चंडीगढ़: हरियाणा में इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव काफी रोचक हैं. कहीं बाप-बेटे अलग-अलग जगह से चुनाव लड़ रहे हैं. तो कहीं एक ही परिवार के 3 तीन भाई अलग-अलग जगह से चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा कई नए चेहरे भी इस लोकसभा चुनाव में लॉन्च हुए हैं. जिनके परिवार का हरियाणा की राजनीति से पुराना नाता है.
देवी लाल परिवार: 73वां चुनाव, 12वां सदस्य
हरियाणा की राजनीति में देवी लाल परिवार सबसे पुराने सियासी घरानों में से एक है. देवी लाल परिवार ने 1937-38 में राजनीति में कदम रखा था. देवी लाल के बड़े भाई साहिब राम ब्रिटिश असेंबली में हिसार नॉर्थ ने जीते थे. वही देवी लाल ने 1952 में कांग्रेस के टिकट पर सिरसा आउटर से विधानसभा का चुनाव जीता था. वो देश के 7वें उप-प्रधानमंत्री और 2 बार हरियाणा के सीएम रह चुके हैं. देवी लाल पूरे जीवन में 22 चुनाव लड़े. जिसमें से उन्हें 12 बार जीत मिली. देवी लाल के 4 बेटों में से सिर्फ जगदीश चौटाला ही चुनाव से दूर रहे. देवी लाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला 16 में से 12 चुनाव जीते. ओपी चौटाला 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे. इस परिवार का ये 73वां चुनाव है और कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे अर्जुन चौटाला चुनाव लड़ने वाले परिवार के 12वें सदस्य हैं. इस चुनाव में देवी लाल के कुनबे के सिर्फ सदस्य ही चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि परिवार में अब दो अलग-अलग पार्टियां भी बन चुकीं हैं.
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देवीलाल परिवार और उससे जुड़ी खास बातें
- हरियाणा में सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड
- देवीलाल: 22 चुनाव लड़े, 12 जीते
- ओपी चौटाला: 16 में से 12 चुनाव जीते
- 2019 का लोकसभा चुनाव देवीलाल परिवार का 73वां चुनाव है
- अर्जुन चौटाला चुनाव लड़ने वाले देवीलाल परिवार के 12वें सदस्य हैं
भजन लाल परिवार: 29 चुनाव, भव्य 7वां सदस्य
देवी लाल परिवार के अलावा दूसरा सियासी घराना जो हरियाणा की राजनीति में सबसे पुराना है और अच्छी पकड़ रखता है वो है भजन लाल परिवार. इस बार भव्य इस परिवार से चुनाव लड़ रहे हैं. भजन लाल परिवार से चुनाव लड़ने वाले वे 7वें सदस्य हैं.
भजन लाल परिवार के लोग अभी तक 29 चुनाव लड़ चुके हैं. इनमें से सिर्फ 4 बार इस परिवार को हार का सामना करना पड़ा है. भजन लाल, उनकी पत्नी जसमा, बेटे चंद्रमोहन और कुलदीप एक-एक बार चुनाव हारे हैं. आदमपुर हलका भजन लाल परिवार का गढ़ माना जाता है. पिछले 52 सालों में कभी भजन लाल परिवार इस हलके से नहीं हारा है. विधायक कुलदीप और रेणुका के बेटे भव्य परिवार के 7वें सदस्य हैं, जो राजनीति में लॉन्च हुए हैं. वही चंद्रमोहन के बेटे सिद्धार्थ को भी राजनीति में लाने की कोशिशें जारी हैं.
भजन लाल दो बार हरियाणा के सीएम रह चुके हैं. 2005 में जब वो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, उस वक्त कांग्रेस ने हरियाणा में बहुमत हासिल किया, बावजूद इसके उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. इस पर भजनलाल ने कांग्रेस से अलग होकर हरियाण जनहित कांग्रेस पार्टी बनाई, जिसका बाद में कांग्रेस में विलय हो गया.
भजन लाल परिवार और उससे जुड़ी खास बातें
- आदमपुर हलका भजन लाल परिवार का गढ़ हैं
- 52 सालों से भजन लाल परिवार आदपुर हलके से जीत रहा है
- भजन लाल परिवार कुल 29 बार चुनाव लड़ चुका है
- भजन लाल ने 12 चुनाव लड़े, 11 जीते
- कुलदीप बिश्नोई ने 5 चुनाव लड़े, 4 जीते
- भव्य चुनाव लड़ने वाले इस परिवार के 7वें सदस्य हैं
बंसी लाल परिवार: 59 साल, 36 चुनाव, तीसरी पीढ़ी
हरियाणा में तीसरा सबसे पुराना सियासी घराना बंसी लाल का है. चौधरी बंसी लाल 7 बार हरियाणा विधानसभा के लिए चुने गए. 1968 में वो पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. वो भगवत दयाल शर्मा और राव बीरेंद्र सिंह के बाद हरियाणा के तीसरे मुख्यमंत्री थे. कांग्रेस से नाराजगी के चलते बंसी लाल ने 1991 में हरियाणा विकास पार्टी और 1996 में सरकार बनाई. बेटे सुरेंद्र सिंह एमपी और एमएलए के 10 चुनाव लड़कर 7 बार जीते. सुरेंद्र सिंह दो बार राज्यसभा भी गए. सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं. उन्होंने हरियाणा में 4 चुनाव में शत प्रतिशत जीत दर्ज की. तीसरी पीढ़ी श्रुति चौधरी एक बार सांसद बनीं तो एक बार हारीं.
बंसी लाल परिवार और उससे जुड़ी खास बातें
- बंसी लाल की तीसरी पीढ़ी इस बार चुनाव लड़ रही है
- 2004 में तीन पीढ़ियां एक साथ चुनाव जीतीं
- बंसीलाल परिवार के 3 लोग एक साथ विधायक बने
- किरण चौधरी, रणबीर सिंह महेंद्र और सोमवीर सांगवान विधायक बने
- बंसीलाल 11 बार चुनाव लड़े, 9 बार जीते
- सुरेंद्र सिंह 10 चुनाव लड़े, 7 बार जीते
हुड्डा परिवार: 96 साल, 28 चुनाव, दीपेंद्र पांचवें सदस्य
दो बार हरियाणा की कमान संभाल चुके पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकी उनके बेटे दीपेंद्र एक बार फिर से रोहतक सीट से उम्मीदवार कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. दीपेंद्र राजनीति में आने वाले हुड्डा परिवार के 5वें सदस्य हैं. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दादा चौधरी मातूराम ने सबसे पहले 1923 में स्वराज पार्टी से चुनाव लड़ा था. भूपेंद्र हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह ने 10 चुनाव लड़े जिनमें से उन्हें 8 बार जीत मिली. हुड्डा के बड़े भाई कैप्टन प्रताप सिंह 1972 में पहला चुनाव हारे थे. उसके बाद 1987 तक लगातार 4 बार हुड्डा परिवार हारा, जिसके बाद हुड्डा परिवार ने अगले 3 चुनावों में हिस्सा नहीं लिया. भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से तीन बार सांसद बने, जबकि एक बार हारे. दीपेंद्र भी लगातार तीन बार सांसद बने हैं. एक सीट(रोहतक) पर तीन पीढ़ियां सांसद बनने का रिकॉर्ड इसी परिवार के नाम है.
हुड्डा परिवार और उससे जुड़ी खास बातें
- रोहतक सीट पर तीन पीढ़ियां रह चुकी हैं सांसद
- दीपेंद्र हुड्डा राजनीति में हुड्डा परिवार के 5वें सदस्य हैं
- 96 सालों से हुड्डा परिवार राजनीति में सक्रिय है
- रणबीर सिंह ने 10 चुनाव लड़े, 8 जीते
- भूपेंद्र हुड्डा ने 12 चुनाव लड़े, 9 जीते