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रिहायशी इलाकों में कमर्शियल कार्यों को वैध कराने की नीति को HC में चुनौती, पढ़ें पूरी खबर

रिहायशी इलाकों में कमर्शियल कार्य को वैध कराने वाली प्रदेश सरकार की नीति को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. कोर्ट में याची ने बताया कि सरकार की ये नीति बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है.

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : May 23, 2019, 3:05 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के रिहायशी इलाकों में कमर्शियल कार्य को वैध करार देने वाली हरियाणा सरकार की नीति को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मार्च 2019 की पॉलिसी के तहत रेगुलर हुए निर्माण याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर होगा.

जनहित याचिका दाखिल करते हुए एचसी गर्ग ने हाई कोर्ट को बताया कि हुडा ने हाऊसिंग बोर्ड को भूमि रिहायशी इस्तेमाल के लिए दी थी. इसके बाद धीरे-धीरे जमीन का कमर्शियल इस्तेमाल आरंभ कर दिया गया. इसको लेकर 1995 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने इसपर एक्शन लेने के आदेश देते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट को निगरानी का जिम्मा सौंपा था.

याची ने बताया कि हाई कोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग कर 2006 में केस का निपटारा कर दिया था. इससे पहले सरकार एक और ऐसी नीति लेकर गई जिसपर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. याची ने हाई कोर्ट को बताया कि निर्माण करते हुए न तो बिल्डिंग बाय लॉज का ध्यान रखा जाता है और न ही पार्किंग पॉलिसी का.

कोर्ट को बताया गया कि इसके बाद सरकार ने 26 जून 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी कर इन अवैध निर्माणों को वैध करने की घोषणा कर दी थी. जिसे लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका विचाराधीन है. याची ने कहा कि बिना किसी अधिकार और प्रावधान के यह निर्णय लिया गया है जो बिलकुल गलत है और इसे खारिज किया जाना चाहिए. याची ने कहा कि अधिकारी लैंड माफिया को फायदा देने के लिए यह पॉलिसी लेकर आए हैं. इसलिए इस पॉलिसी पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के रिहायशी इलाकों में कमर्शियल कार्य को वैध करार देने वाली हरियाणा सरकार की नीति को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मार्च 2019 की पॉलिसी के तहत रेगुलर हुए निर्माण याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर होगा.

जनहित याचिका दाखिल करते हुए एचसी गर्ग ने हाई कोर्ट को बताया कि हुडा ने हाऊसिंग बोर्ड को भूमि रिहायशी इस्तेमाल के लिए दी थी. इसके बाद धीरे-धीरे जमीन का कमर्शियल इस्तेमाल आरंभ कर दिया गया. इसको लेकर 1995 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने इसपर एक्शन लेने के आदेश देते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट को निगरानी का जिम्मा सौंपा था.

याची ने बताया कि हाई कोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग कर 2006 में केस का निपटारा कर दिया था. इससे पहले सरकार एक और ऐसी नीति लेकर गई जिसपर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. याची ने हाई कोर्ट को बताया कि निर्माण करते हुए न तो बिल्डिंग बाय लॉज का ध्यान रखा जाता है और न ही पार्किंग पॉलिसी का.

कोर्ट को बताया गया कि इसके बाद सरकार ने 26 जून 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी कर इन अवैध निर्माणों को वैध करने की घोषणा कर दी थी. जिसे लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका विचाराधीन है. याची ने कहा कि बिना किसी अधिकार और प्रावधान के यह निर्णय लिया गया है जो बिलकुल गलत है और इसे खारिज किया जाना चाहिए. याची ने कहा कि अधिकारी लैंड माफिया को फायदा देने के लिए यह पॉलिसी लेकर आए हैं. इसलिए इस पॉलिसी पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.

Intro:रिहायशी इलाकों में कॉमर्शियल इस्तेमाल को रेगुलर करने की हरियाणा सरकार की पॉलिसी हाईकोर्ट के राडार पर 

-हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए मांगा जवाब 

-रेगुलर करने का निर्णय याचिका पर आने वाले फैसले पर होगा निर्भर Body:

हरियाणा सरकार द्वारा रिहायशी इलाकों में कामर्शियल कार्य को वैध करार देने वाली हरियाणा सरकार की नीति को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्टï कर दिया कि मार्च 2019 की पॉलिसी के तहत रेगुलर हुए निर्माण याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर होगा। 

Conclusion:जनहित याचिका दाखिल करते हुए एचसी गर्ग ने हाईकोर्ट को बताया कि हुडा द्वारा हाऊसिंग बोर्ड को भूमि रिहायशी इस्तेमाल के लिए दी गई थी। इसके बाद धीरे-धीरे इसपर कॉमर्शियल इस्तेमाल आरंभ कर दिया गया। इसको लेकर 1995 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने इसपर एक्शन लेने के आदेश देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को निगरानी का जिम्मा सौंपा था। हाईकोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग कर 2006 में केस का निपटारा कर दिया। इससे पहले सरकार एक और ऐसी नीति लेकर गई जिसपर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। याची ने हाईकोर्ट को बताया कि निर्माण करते हुए न तो बिल्डिंग बाय लॉज का ध्यान रखा जाता है और न ही पार्किंग पॉलिसी। कोर्ट को बताया गया कि इसके बाद सरकार ने 26 जून 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी कर इन अवैध निर्माणों को वैध करने की घोषणा कर दी जिसे लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका विचाराधीन है। याची ने कहा कि बिना किसी अधिकार और प्रावधान के यह निर्णय लिया गया है जो बिलकुल गलत है औरइसे खारिज किया जाना चाहिए। याची ने कहा कि अधिकारी लैंड माफिया को फायदा देने के लिए यह पॉलिसी लेकर आए हैं इसलिए इस पॉलिसी पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए। 



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