चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के रिहायशी इलाकों में कमर्शियल कार्य को वैध करार देने वाली हरियाणा सरकार की नीति को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मार्च 2019 की पॉलिसी के तहत रेगुलर हुए निर्माण याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर होगा.
जनहित याचिका दाखिल करते हुए एचसी गर्ग ने हाई कोर्ट को बताया कि हुडा ने हाऊसिंग बोर्ड को भूमि रिहायशी इस्तेमाल के लिए दी थी. इसके बाद धीरे-धीरे जमीन का कमर्शियल इस्तेमाल आरंभ कर दिया गया. इसको लेकर 1995 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने इसपर एक्शन लेने के आदेश देते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट को निगरानी का जिम्मा सौंपा था.
याची ने बताया कि हाई कोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग कर 2006 में केस का निपटारा कर दिया था. इससे पहले सरकार एक और ऐसी नीति लेकर गई जिसपर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. याची ने हाई कोर्ट को बताया कि निर्माण करते हुए न तो बिल्डिंग बाय लॉज का ध्यान रखा जाता है और न ही पार्किंग पॉलिसी का.
कोर्ट को बताया गया कि इसके बाद सरकार ने 26 जून 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी कर इन अवैध निर्माणों को वैध करने की घोषणा कर दी थी. जिसे लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका विचाराधीन है. याची ने कहा कि बिना किसी अधिकार और प्रावधान के यह निर्णय लिया गया है जो बिलकुल गलत है और इसे खारिज किया जाना चाहिए. याची ने कहा कि अधिकारी लैंड माफिया को फायदा देने के लिए यह पॉलिसी लेकर आए हैं. इसलिए इस पॉलिसी पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.