चरखी दादरी: टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics-2020) में पहला मैच जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंची विनेश फोगाट (Wrestler Vinesh Phogat) को दूसरे मैच में हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद विनेश का ओलंपिक में गोल्ड जीतने का सपना अधूरा रह गया. विनेश की हार पर परिजनों को खासा गम है. परिजनों ने कहा कि विनेश से गोल्ड की उम्मीद थी, अब अगर उनकी बेटी कांस्य जीतती है तो वह खास मायने नहीं रहेगा. देश के लिए गोल्ड जीतने के लिए अब विदेशी कोचों पर विश्वास नहीं रहेगा. ओलंपिक में गोल्ड जीतने के लिए ही अब विनेश की ट्रेनिंग करवाई जाएगी.
बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में 53 किलोभार वर्ग में चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी विनेश फोगाट को इस बार गोल्ड का प्रबल दावेदार माना जाता था. हालांकि रियो ओलंपिक में विनेश को चोट लगने के कारण मेडल जीतने से रह गई थी. इस बार देश को विनेश के गोल्ड जीतने की पूरी आस थी. रेसलिंग का पहला मैच शुरू होते ही दुनियाभर की नजर विनेश के प्रफोर्मेंस पर लगी हुई थी. पहला मैच जीतते ही विनेश पर गोल्ड की आस हो गई. दूसरे मैच में बेलारूस की पहलवान से हार (Vinesh Defeat from Belarus wrestler) का सामना करना पड़ा.
विनेश के गांव बलाली में विनेश के ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर पहलवान (Mahabir Phogat) और परिजन लगातार मैच देखते रहे. जैसे ही विनेश अपने मैच में हार गई तो परिजनों को काफी दुख हुआ. विनेश की मां प्रेमलता की आंखों में आंसू आ गए. आंसू पोछते हुए बोली, बेटी से गलती हुई है. कांस्य पदक तो जीतेगी लेकिन गोल्ड मेडल जीतती तो खुशी होती कि बेटी ने दूध की लाज रखी है.विनेश के भाई हरविंद्र ने कहा कि बहन का टारगेट केवल गोल्ड जीतने का था लेकिन हार जाएगी, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है. विनेश ने जिस तरह से मेहनत की थी, गोल्ड जीतने के पूरे चांस थे. अब अगर कांस्य पदक भी जीतती है तो कोई खास मायने नहीं है. गोल्ड जीतने के लिए चाहे कितने ही ओलंपिक खेलने पड़ें, खिलाएंगे.
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खुद ट्रेनिंग देता तो बेटी गोल्ड जीतती: विनेश के ताऊ व द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर पहलवान ने कहा कि विदेशी कोचों द्वारा ट्रेनिंग दी गई, उन पर खास विश्वास नहीं है. ट्रेनिंग में खामियां रही, इसलिए बेटी गोल्ड नहीं जीत पाई. अब मैं खुद ट्रेनिंग दूंगा और अगले ओलंपिक में बेटी देश के लिए गोल्ड लाएगी. महावीर ने कहा कि कांस्य पदक चाहे कितने ले आओ, कोई मायने नहीं है. अबकी बार बेटी गोल्ड नहीं ला पाई, गम जरूर है. इस हार की भरपाई वे बेटी को स्वयं ट्रेनिंग देकर अगले ओलंपिक में पूरी करवाएंगे.