चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से निजी स्कूल को फीस में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी और ट्यूशन फीस के अलावा किसी अन्य प्रकार की फीस ना लेने को कहा गया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ स्कूलों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. बाद में अभिभावकों की ओर एक संस्था ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने आप को पक्ष बनाए जाने की मांग की थी. इस मामले पर हाई कोर्ट के जस्टिस राज मोहन सिंह ने सरकार और निजी स्कूलों को 15 जून तक के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों की तरफ से अभिभावकों की ओर से लगाई गई अर्जी का विरोध किया और कहा गया कि ये मामला सरकार और स्कूलों के बीच है. इस मामले पर अभिभावकों के वकील दिनेश डकोरिया ने बहस के दौरान कहा कि अभिभावकों के पक्ष को इस मामले में अनदेखा नहीं किया जा सकता. अभिभावकों की तरफ से दलील दी गई कि लॉकडाउन के होने के कारण अभिभाकों की आय भी प्रभावित हुई है. बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो बेरोजगार हो गए हैं और आय भी बहुत कम बची है.
याचिका में बताया गया कि सभी निजी शिक्षण संस्थाएं गैर लाभ के इरादे से स्थापित की गई है, लेकिन निजी स्कूलों के पास करोड़ों रुपये का रिजर्व फंड है. ऐसे में निजी स्कूल की ओर से बढ़ी फीस और ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेना अभिभावकों के साथ नाइंसाफी है.
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