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हाईकोर्ट ने पलटा हिसार जिला कोर्ट का फैसला, मौत की सजा पाए आरोपी को किया बरी

हिसार जिला अदालत ने 5 दिसंबर 2018 को एक महिला को जहर देकर हत्या करने के मामले में उसके भाई को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आरोपी को बरी कर दिया. जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मृतका के भाई ने हाईकोर्ट में अपील की थी.

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Published : Apr 12, 2019, 12:53 PM IST

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट.

चंडीगढ़ः पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने हिसार जिला अदालत का एक फैसला पलट दिया है. हिसार जिला अदालत ने 5 दिसंबर 2018 को एक महिला को जहर देकर हत्या करने के मामले में उसके भाई को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आरोपी को बरी कर दिया. जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मृतका के आरोपी भाई ने हाईकोर्ट में अपील की थी.


मामले में शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया था कि उसने लव मैरिज की थी जिसके बारे में उसकी पत्नी के परिवार वालों को पता नहीं था और वो अपने मायके में ही रह रही थी. एक दिन उसे उसकी पत्नी के भाई का फोन आया और धमकी मिली. जिसके बाद उसे सूचना मिली की घरवालों ने उसकी पत्नी की हत्या कर दी है और शव जला दिया.


याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अलग-अलग तथ्यों पर गौर करते हुए कहा कि इस मामले में शिकायत देने वाले ने कोर्ट में आकर अपना बयान बदल दिया. मृतका के घर से जो सैंपल इक्ट्ठा किए गए उसमें कोई जहर मौजूद नहीं था. मृतका के माता-पिता का लाई डिटेक्टर टेस्ट भी करवाया गया जो आरोपी के पक्ष में ही हुआ.


आरोपी को बरी करने के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी को इस प्रकार के सबूतों के आधार पर सजा सुनाते हुए सबूतों की कड़ी नहीं टूटनी चाहिए. इस मामले में सभी कड़ियां टूटी हुई हैं.


जिसके बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के मौत की सजा के आदेश को पलटते हुए आरोपी को बरी करने का आदेश दे दिया.

चंडीगढ़ः पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने हिसार जिला अदालत का एक फैसला पलट दिया है. हिसार जिला अदालत ने 5 दिसंबर 2018 को एक महिला को जहर देकर हत्या करने के मामले में उसके भाई को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आरोपी को बरी कर दिया. जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मृतका के आरोपी भाई ने हाईकोर्ट में अपील की थी.


मामले में शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया था कि उसने लव मैरिज की थी जिसके बारे में उसकी पत्नी के परिवार वालों को पता नहीं था और वो अपने मायके में ही रह रही थी. एक दिन उसे उसकी पत्नी के भाई का फोन आया और धमकी मिली. जिसके बाद उसे सूचना मिली की घरवालों ने उसकी पत्नी की हत्या कर दी है और शव जला दिया.


याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अलग-अलग तथ्यों पर गौर करते हुए कहा कि इस मामले में शिकायत देने वाले ने कोर्ट में आकर अपना बयान बदल दिया. मृतका के घर से जो सैंपल इक्ट्ठा किए गए उसमें कोई जहर मौजूद नहीं था. मृतका के माता-पिता का लाई डिटेक्टर टेस्ट भी करवाया गया जो आरोपी के पक्ष में ही हुआ.


आरोपी को बरी करने के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी को इस प्रकार के सबूतों के आधार पर सजा सुनाते हुए सबूतों की कड़ी नहीं टूटनी चाहिए. इस मामले में सभी कड़ियां टूटी हुई हैं.


जिसके बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के मौत की सजा के आदेश को पलटते हुए आरोपी को बरी करने का आदेश दे दिया.

Intro:बहन की हत्या का दोषी मान अदालत ने सुनाई मौत की सजा, हाईकोर्ट ने किए बरी करने के आदेश 


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बहन की हत्या का दोषी मान अदालत ने सुनाई मौत की सजा, हाईकोर्ट ने किए बरी करने के आदेश 

-बहन को प्रेम विवाह के चलते जहद देकर मारने की पुलिस को दी गई थी शिकायत 

अम

चंडीगढ़। 

हिसार जिला अदालत ने बहन को जहर देकर मारने के आरोप में जिस भाई को मौत की सजा सुनाई थी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे बरी करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शक की गुंजाइश से ऊपर जाकर प्रोसीक्यूशन अपना केस साबित करने में कामयाब नहीं हुआ ऐसे में याची को सजा नहीं सुनाई जा सकती है। 

हिसार की जिला अदालत ने 5 दिसंबर 2018 को महिला की हत्या के मामले में उसके भाई को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ हत्या के आरोपी मृतका के भाई ने फैसले के खिलाफ अपील की थी। इस मामले में शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया था कि उसने लव मैरिज की थी जिसके बारे में लड़की के परिवार वालों को पता नहीं था। लड़की अपने मायके में ही रह रही थी। एक दिन उसे उसकी पत्नी के भाई का फोन आया और धमकी मिली। इसके बाद उसे सूचना मिली की घरवालों ने उसकी पत्नी की हत्या कर दी है और शव जला दिया। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विभिन्न तथ्यों पर गौर करते हुए कहा कि इस मामले में शिकायत देने वाले ने कोर्ट में आकर अपना बयान बदल दिया। मृतका के घर से जो सैंपल एकत्रित किए उसमें कोई जहर मोजूद नहीं था। मृतका के माता पिता का लाई डिटेक्टर टैस्ट भी करवाया गया जो आरोपी के पक्ष में ही हुआ। कोर्ट ने कहा कि किसी को इस प्रकार के सबूतों के आधार पर सजा सुनाते हुए सबूतों की कड़ी नहींं टूटनी चाहिए। इस मामले में सभी कडिय़ां टूटी हुई हैं और ऐसे में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलटते हुए मौत की सजा के आदेश खारिज कर दिए और याची को बरी करने के आदेश दिए हैं। 





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