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पंचकूला हिंसा को 2 साल पूरे: जानें कैसे गुमनाम चिट्ठी ने खोला था राम रहीम का राज

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Published : Aug 25, 2019, 5:36 PM IST

Updated : Sep 22, 2019, 9:40 AM IST

कहानी शुरू होती है एक गुमनाम चिट्ठी के सहारे. आगे जो कुछ होता है, वो वाकई किसी भी इंसाफ पसंद देश के लिए एक मिसाल है. आइए, जानते हैं कि 17 साल पहले लिखी गई एक चिट्ठी ने किस तरह बाबा राम रहीम को बलात्कारी और खूनी दोनों साबित कर दिया.

राम रहीम

चंडीगढ़: पंचकूला हिंसा में करीब 35 लोगों की मौत हुई थी. आनन-फानन में पुलिस प्रशासन ने शवों को सामान्य अस्पताल में भिजवाया. जहां रात भर लाशों की जेब में मोबाइल फोन बजते रहे, डॉक्टर्स और स्टाफ को फोन रिसीव ना करने को बोला गया था. क्योंकि डर था कि उनके शुभचिंतक सुरक्षा घेरे को तोड़ अस्पताल की तरफ ना भागे.

दो साल बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसियां और पुलिस खाली हाथ हैं. मुख्य आरोपी आदित्य इंसां अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. ना तो पीड़ित लोगों को मुआवजा मिला है और ना ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो पाई है. हिंसा से जुड़े ज्यादातर केस भी पेंडिंग में ही हैं.

जानें कब-कब क्या हुआ
17 साल पहले कुरुक्षेत्र जिले में अचानक लोगों को एक गुमनाम चिट्ठी मिलती है. उस चिट्ठी में लिखा था कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम ने अपने डेरे में कई साध्वियों के साथ बलात्कार किया है और उन साध्वियों में से एक वो खुद हैं. चिट्ठी में उस साध्वी ने अपने नाम की जगह नीचे बस इतना लिखा था- एक दुखी अबला.

फरवरी 2002, कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र जिले के कई गांवों में लोगों को एक गुमनाम चिट्ठी मिलती है. ये चिट्ठी तबके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम लिखी गई थी. चिट्ठी लिखने वाली ने चिट्ठी में अपना नाम पता नहीं लिखा था. नाम की जगह बस इतना लिखा था 'एक दुखी अबला.' चिट्ठी में उस अबला ने बाबा राम रहीम के डेरे के अंदर की कहानी लिखी थी.

ये भी पढ़ें: नहीं भरे पंचकूला हिंसा के जख्म! ना सभी मुजरिम पकड़े गए और ना किसी को मुआवजा मिला

कहानी ये कि वो डेरा सच्चा सौदा में रहती है और बाबा राम रहीम ने ना सिर्फ उसके साथ बल्कि अनगिनत साध्वियों के साथ बलात्कार किया है. कुरुक्षेत्र में ही रहने वाले बलवंत सिंह नाम के एक शख्स ने इस चिट्ठी की फोटोकॉपी करा कर आसपास के इलाके में बांटना शुरू कर दिया.

बलवंत इलाके में तर्कशील के तौर पर जाना जाता था. उसके पर्चे बंटने के बाद ये चिट्ठी हिसार पहुंच गई और हिसार के एक छोटे से अखबार ने पूरी चिट्ठी छाप दी. अखबार में चिट्ठी छपते ही बलवंत सिंह पर हमला हो गया. इसके बाद वो अंडरग्राउंड हो गया था.

5 मई 2002
यही वो तारीख थी जब हाई कोर्ट को बंद लिफाफे में ये चिट्ठी मिली. कोर्ट ने चिट्ठी पढ़ने के बाद खुद ही पहल करते हुए सिरसा के तबके डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज एमएस सुलर को आदेश दिया कि वो चिट्ठी की सच्चाई की जांच कर के अपनी रिपोर्ट दें. जांच के बाद जज सुलर ने हाई कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट मे लिखा कि शुरुआती जांच के बाद चिट्ठी में लगाए गए इलजामों को नकारा नहीं जा सकता.

उन्होंने रिपोर्ट में ये भी कहा कि डेरा में कोई भी इस बारे में बात करने को तैयार नहीं है. यहां तक कि डेरा के अंदर उस होस्टल में भी जहां साध्वी रहती हैं, बिना राम रहीम की इजाजत के नहीं जाया जा सकता. जज एमएस सुलर ने हाई कोर्ट से इस मामले की जांच सेंट्रल जांच एजेंसी यानी सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी.

24 सितंबर 2002
सिरसा के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज की सिफारिश के बाद 24 सितंबर को हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.

12 दिसंबर 2002
हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 12 दिसंबर, 2002 को चंडीगढ़ में इस मामले में केस दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी. लेकिन जांच आसान नहीं थी. डेरा ने स्टे ऑर्डर लेकर करीब डेढ़ साल तक सीबीआई की जांच रुकवा दी. यहां तक की सीबीआई की टीम को डेरा में घुसने तक नहीं दिया गया. मगर सीबीआई की कोशिश जारी रही और इसी कोशिश के तहत डेरा में रहने वाली करीब 200 लड़कियों से सीबीआई ने संपर्क साधा.

जुलाई 2007
बाद में 18 लड़कियों ने सीबीआई को बयान भी दिए. मगर कोर्ट सिर्फ दो लड़कियां ही आईं. दो लड़कियों के बयान के आधार पर आखिरकार सीबीआई ने जुलाई, 2007 में बाबा राम रहीम के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 यानी बलात्कार और 506 यानी आपराधिक साजिश के तहत चार्जशीट दाखिल कर दिया.

6 सितंबर 2008
स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बाबा राम रहीम के खिलाफ दायर आरोप पत्र को मंजूर करते हुए मुकदमे की सुनवाई शुरू कर दी. इस दौरान राम रहीम की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी होती रही और बाकि आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया.

25 अगस्त 2017
9 साल चली लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार 25 अगस्त को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बाबा राम रहीम को बलात्कार का दोषी करार दे दिया था. जिसके बाद उसे 20 साल कैद की सजा सुनाई गई और अब वो रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है.

राम रहीम को सजा सुनाने के साथ ही पंचकूला में पुलिस-प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों की पोल खुल गई थी. राम रहीम को सजा सुनाने के बाद जबरदस्त हिंसा हुई थी. जिसके जख्म आज भी लोगों के दिलों में ताजा हैं.

चंडीगढ़: पंचकूला हिंसा में करीब 35 लोगों की मौत हुई थी. आनन-फानन में पुलिस प्रशासन ने शवों को सामान्य अस्पताल में भिजवाया. जहां रात भर लाशों की जेब में मोबाइल फोन बजते रहे, डॉक्टर्स और स्टाफ को फोन रिसीव ना करने को बोला गया था. क्योंकि डर था कि उनके शुभचिंतक सुरक्षा घेरे को तोड़ अस्पताल की तरफ ना भागे.

दो साल बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसियां और पुलिस खाली हाथ हैं. मुख्य आरोपी आदित्य इंसां अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. ना तो पीड़ित लोगों को मुआवजा मिला है और ना ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो पाई है. हिंसा से जुड़े ज्यादातर केस भी पेंडिंग में ही हैं.

जानें कब-कब क्या हुआ
17 साल पहले कुरुक्षेत्र जिले में अचानक लोगों को एक गुमनाम चिट्ठी मिलती है. उस चिट्ठी में लिखा था कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम ने अपने डेरे में कई साध्वियों के साथ बलात्कार किया है और उन साध्वियों में से एक वो खुद हैं. चिट्ठी में उस साध्वी ने अपने नाम की जगह नीचे बस इतना लिखा था- एक दुखी अबला.

फरवरी 2002, कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र जिले के कई गांवों में लोगों को एक गुमनाम चिट्ठी मिलती है. ये चिट्ठी तबके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम लिखी गई थी. चिट्ठी लिखने वाली ने चिट्ठी में अपना नाम पता नहीं लिखा था. नाम की जगह बस इतना लिखा था 'एक दुखी अबला.' चिट्ठी में उस अबला ने बाबा राम रहीम के डेरे के अंदर की कहानी लिखी थी.

ये भी पढ़ें: नहीं भरे पंचकूला हिंसा के जख्म! ना सभी मुजरिम पकड़े गए और ना किसी को मुआवजा मिला

कहानी ये कि वो डेरा सच्चा सौदा में रहती है और बाबा राम रहीम ने ना सिर्फ उसके साथ बल्कि अनगिनत साध्वियों के साथ बलात्कार किया है. कुरुक्षेत्र में ही रहने वाले बलवंत सिंह नाम के एक शख्स ने इस चिट्ठी की फोटोकॉपी करा कर आसपास के इलाके में बांटना शुरू कर दिया.

बलवंत इलाके में तर्कशील के तौर पर जाना जाता था. उसके पर्चे बंटने के बाद ये चिट्ठी हिसार पहुंच गई और हिसार के एक छोटे से अखबार ने पूरी चिट्ठी छाप दी. अखबार में चिट्ठी छपते ही बलवंत सिंह पर हमला हो गया. इसके बाद वो अंडरग्राउंड हो गया था.

5 मई 2002
यही वो तारीख थी जब हाई कोर्ट को बंद लिफाफे में ये चिट्ठी मिली. कोर्ट ने चिट्ठी पढ़ने के बाद खुद ही पहल करते हुए सिरसा के तबके डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज एमएस सुलर को आदेश दिया कि वो चिट्ठी की सच्चाई की जांच कर के अपनी रिपोर्ट दें. जांच के बाद जज सुलर ने हाई कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट मे लिखा कि शुरुआती जांच के बाद चिट्ठी में लगाए गए इलजामों को नकारा नहीं जा सकता.

उन्होंने रिपोर्ट में ये भी कहा कि डेरा में कोई भी इस बारे में बात करने को तैयार नहीं है. यहां तक कि डेरा के अंदर उस होस्टल में भी जहां साध्वी रहती हैं, बिना राम रहीम की इजाजत के नहीं जाया जा सकता. जज एमएस सुलर ने हाई कोर्ट से इस मामले की जांच सेंट्रल जांच एजेंसी यानी सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी.

24 सितंबर 2002
सिरसा के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज की सिफारिश के बाद 24 सितंबर को हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.

12 दिसंबर 2002
हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 12 दिसंबर, 2002 को चंडीगढ़ में इस मामले में केस दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी. लेकिन जांच आसान नहीं थी. डेरा ने स्टे ऑर्डर लेकर करीब डेढ़ साल तक सीबीआई की जांच रुकवा दी. यहां तक की सीबीआई की टीम को डेरा में घुसने तक नहीं दिया गया. मगर सीबीआई की कोशिश जारी रही और इसी कोशिश के तहत डेरा में रहने वाली करीब 200 लड़कियों से सीबीआई ने संपर्क साधा.

जुलाई 2007
बाद में 18 लड़कियों ने सीबीआई को बयान भी दिए. मगर कोर्ट सिर्फ दो लड़कियां ही आईं. दो लड़कियों के बयान के आधार पर आखिरकार सीबीआई ने जुलाई, 2007 में बाबा राम रहीम के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 यानी बलात्कार और 506 यानी आपराधिक साजिश के तहत चार्जशीट दाखिल कर दिया.

6 सितंबर 2008
स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बाबा राम रहीम के खिलाफ दायर आरोप पत्र को मंजूर करते हुए मुकदमे की सुनवाई शुरू कर दी. इस दौरान राम रहीम की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी होती रही और बाकि आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया.

25 अगस्त 2017
9 साल चली लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार 25 अगस्त को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बाबा राम रहीम को बलात्कार का दोषी करार दे दिया था. जिसके बाद उसे 20 साल कैद की सजा सुनाई गई और अब वो रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है.

राम रहीम को सजा सुनाने के साथ ही पंचकूला में पुलिस-प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों की पोल खुल गई थी. राम रहीम को सजा सुनाने के बाद जबरदस्त हिंसा हुई थी. जिसके जख्म आज भी लोगों के दिलों में ताजा हैं.

Intro:आज से ठीक 2 साल पहले आज ही के दिन पंचकूला के लोग अपने ही घरों में कैद हो गए थे। इंटरनेट सेवा बिजली सेवा व सड़क पर निकलना बंद था। 25 अगस्त से पहले जब लोगों ने अपने घरों के बाहर डेरा के समर्थकों की भीड़ को देखा तो पुलिस और सरकार ने दावा किया था कि किसी को भी कोई भी परेशानी नहीं होगी। लेकिन 24 अगस्त की शाम हकीकत कुछ ओर ही निकली और 24 अगस्त तक पंचकूला में गुरमीत राम रहीम के भगतों का जमावड़ा लग गया था। 25 अगस्त को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला में 10 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था जिसमें पत्रकारों के वाहनों, सरकारी प्रॉपर्टी, लोगों के घरों में तोड़फोड़ करना शामिल है, जिसकी आज तक भरपाई नहीं हो पाई। वहीं आज के दिन भी लोगों में दहशत कायम है। पत्रकारों के नुकसान की भरपाई करवाये जाने की मांग को लेकर पंचकूला प्रेस क्लब ने भी कई बार सरकार को लिखा लेकिन आज तक पत्रकारों के नुकसान की भरपाई नहीं हुई।


Body:पंचकूला को जलाने की प्लानिंग करने वालों में हनीप्रीत, गोबी राम सहित कई आरोपी जेल में है। वही मोस्ट वांटेड आदित्य इंसा और विपासना को पुलिस अभी तक पकड़ नहीं पाई। आदित्य इंसा पर पुलिस ने 50 हजार से लेकर 5 लाख का इनाम रखा हुआ है। वहीं 2 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक आदित्य इंसा और वीपासना की गिरफ्तारी ना होने के चलते पुलिस की कार्रवाई पर कई प्रकार के सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

बाइट - दीपांशु, पंचकूला नागरिक।

बाइट - अमित, पीड़ित पत्रकार।


Conclusion:आपको बता दें कि 25 अगस्त के दंगों को एकदम से प्लान नहीं किया गया था बल्कि इसकी पूरी प्लानिंग 45 मेम्बरी कमेटी ने की,जोकि सिरसा के डेरे में प्लानिंग हुई थी। इस कमेटी में डेरे की चेयरमैन विपासना से लेकर हनीप्रीत, डेरे का वाइस चेयरमैन गोबी राम, आदित्य इंसा सहित कई लोग शामिल थे। कमेटी ने मीटिंग में यह बात तय की थी कि गुरमीत राम रहीम को कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद कैसे पंचकूला में हिंसा को बढ़ाया जाएगा। मीटिंग में यह भी तय किया गया था कि दोषी करार दिए जाने के बाद किस कदर कोर्ट के एरिया से आईपीएस अधिकारियों से लड़ कर डेरा प्रमुख को छुड़वाना जाएगा और फिर उसे हिमाचल प्रदेश तक लेजा कर हवाई के जरिये नेपाल ले जाना है। इस बारे में हनीप्रीत ने यह बात बताई थी कि इस प्लानिंग में विपासना भी शामिल थी, जिसके बाद विपासना के नाम का खुलासा हुआ था।

खैर मामले को अब 2 साल बीत चुके है लेकिन 25 अगस्त 2017 को पंचकूला में जिस कदर दंगे हुए उसकी कल्पना आज कोई नहीं करना चाहेगा और यही उम्मीद करेगा कि ऐसे फिर कभी पंचकूला में ना हो। वहीं विपासना और आदित्य इंसा की अभी तक गिरफ्तारी न होने के चलते पंचकूला पुलिस फिर बार फिर सवालों के कटघरे में है।
Last Updated : Sep 22, 2019, 9:40 AM IST
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