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धान घोटालाः सरकार की कार्रवाई के बाद कैथल के राइस मिलर और गारंटर दोनों गायब

प्रदेश में धान की खरीद में घोटाले का मामला सामने आने के बाद सरकार ने मामले में जांच कराई. जिन मिलों में धान की कमी पाई गई, उनको नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया और सरकार ने मामले में कार्रवाई शुरू की. पढ़िए पूरी खबर...

Paddy Scam Haryana
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Published : Feb 6, 2020, 8:53 AM IST

Updated : Feb 6, 2020, 9:47 AM IST

चंडीगढः हरियाणा में धान की सरकारी खरीद के तहत घोटाले की शिकायत पर राइस मिलर्स के धान के स्टॉक के तीसरे भौतिक सत्यापन में कमी पाए जाने पर कार्रवाई शुरू किए जाने पर कैथल की फर्म आरजी एंटरप्राजेज राइस मिल के मालिक और उसके गारंटर दोनों ही गायब है. इतना ही नहीं इस मिलर द्वारा सरकार के साथ धान की शेलिंग के लिए किए गए अनुबन्ध की प्रति भी गायब है. इस हालत में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने जिला पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए है.

क्या है धान घोटाला ?
पीके दास ने बताया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदी गई धान शेलिंग के लिए राइस मिलर को दी जाती है. शेलिंग के लिए अलग-अलग मिलर और सरकार के बीच अनुबन्ध किया जाता है. धान की सरकारी खरीद के बाद मिलर को अनुबन्ध के अनुसार शेलिंग के लिए धान का कोटा दिया जाता है. इस साल शिकायत यह आई थी कि धान की जितनी खरीद दिखाई गई है, उतनी वास्तव में नहीं की गई और मिलर के पास आवंटित कोटा पहुंचा ही नहीं है. बकाया मात्रा को मिलर सस्ते चावल से पूरा करेंगे.

धान घोटालाः सरकार की कार्रवाई के बाद कैथल के राइस मिलर और गारंटर दोनों गायब

सरकार ने की कार्रवाई
इस शिकायत पर मिलों में धान का भौतिक सत्यापन कराया गया. तीसरे सत्यापन मे करीब 90 करोड़ रूपए का धान अलग-अलग मिलों में कम पाया गया. जिन मिलों में धान कम पाया गया, उनको नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. इनमें 22 मिलों की ओर से जवाब नहीं भेजा गया तो उनसे धान की मूल कीमत और ब्याज की वसूली शुरू की गई. राशि जमा कराने के लिए अंतिम तिथि पांच फरवरी तय की गई थी.

ये भी पढ़ेंः- दिल्ली के सीएम देश को तोड़ने और पाकिस्तान के हक की बात करते हैं- सीएम खट्टर

कैथल में मिल के मालिक और गारंटर गायब
पीके दास ने बताया कि यह जानकारी जुटाई जा रही है कि अंतिम तिथि तक कितने मिलर्स ने धान की कीमत और ब्याज की राशि जमा कराई है. इस कार्रवाई के दौरान कैथल की आरजी एंटरप्राइजेज के राइस मिल के मालिक और गारंटर दोनों ही लापता है. इस मिल के साथ शेलिंग के लिए किए गए अनुबन्ध की प्रति भी गायब है. इस पर जिला पुलिस अधीक्षक को आदेश किए गए है कि मिल मालिक, गारंटर और अनुबन्ध की प्रति रखने वाले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए.

धान घोटाला मामले में ऐसे कार्रवाई कर रही सरकार
पीके दास ने बताया कि धान की कमी वाले मिलर के खिलाफ कार्रवाई के तीन विकल्प हैं. पहले के विकल्प के तहत कम पाई गई धान की कीमत ब्याज समेत वसूल की ही जाएगी. इसके बाद मिलर को आगे के लिए ब्लैक लिस्ट में शामिल करने और आपराधिक कार्रवाई के विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः- उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को मिली Z सुरक्षा, दुबई से मिली थी मारने की धमकी

चंडीगढः हरियाणा में धान की सरकारी खरीद के तहत घोटाले की शिकायत पर राइस मिलर्स के धान के स्टॉक के तीसरे भौतिक सत्यापन में कमी पाए जाने पर कार्रवाई शुरू किए जाने पर कैथल की फर्म आरजी एंटरप्राजेज राइस मिल के मालिक और उसके गारंटर दोनों ही गायब है. इतना ही नहीं इस मिलर द्वारा सरकार के साथ धान की शेलिंग के लिए किए गए अनुबन्ध की प्रति भी गायब है. इस हालत में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने जिला पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए है.

क्या है धान घोटाला ?
पीके दास ने बताया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदी गई धान शेलिंग के लिए राइस मिलर को दी जाती है. शेलिंग के लिए अलग-अलग मिलर और सरकार के बीच अनुबन्ध किया जाता है. धान की सरकारी खरीद के बाद मिलर को अनुबन्ध के अनुसार शेलिंग के लिए धान का कोटा दिया जाता है. इस साल शिकायत यह आई थी कि धान की जितनी खरीद दिखाई गई है, उतनी वास्तव में नहीं की गई और मिलर के पास आवंटित कोटा पहुंचा ही नहीं है. बकाया मात्रा को मिलर सस्ते चावल से पूरा करेंगे.

धान घोटालाः सरकार की कार्रवाई के बाद कैथल के राइस मिलर और गारंटर दोनों गायब

सरकार ने की कार्रवाई
इस शिकायत पर मिलों में धान का भौतिक सत्यापन कराया गया. तीसरे सत्यापन मे करीब 90 करोड़ रूपए का धान अलग-अलग मिलों में कम पाया गया. जिन मिलों में धान कम पाया गया, उनको नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. इनमें 22 मिलों की ओर से जवाब नहीं भेजा गया तो उनसे धान की मूल कीमत और ब्याज की वसूली शुरू की गई. राशि जमा कराने के लिए अंतिम तिथि पांच फरवरी तय की गई थी.

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कैथल में मिल के मालिक और गारंटर गायब
पीके दास ने बताया कि यह जानकारी जुटाई जा रही है कि अंतिम तिथि तक कितने मिलर्स ने धान की कीमत और ब्याज की राशि जमा कराई है. इस कार्रवाई के दौरान कैथल की आरजी एंटरप्राइजेज के राइस मिल के मालिक और गारंटर दोनों ही लापता है. इस मिल के साथ शेलिंग के लिए किए गए अनुबन्ध की प्रति भी गायब है. इस पर जिला पुलिस अधीक्षक को आदेश किए गए है कि मिल मालिक, गारंटर और अनुबन्ध की प्रति रखने वाले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए.

धान घोटाला मामले में ऐसे कार्रवाई कर रही सरकार
पीके दास ने बताया कि धान की कमी वाले मिलर के खिलाफ कार्रवाई के तीन विकल्प हैं. पहले के विकल्प के तहत कम पाई गई धान की कीमत ब्याज समेत वसूल की ही जाएगी. इसके बाद मिलर को आगे के लिए ब्लैक लिस्ट में शामिल करने और आपराधिक कार्रवाई के विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा.

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जांच में धान की कमी पाये जाने के बाद कैथल का राइस मिलर और गारंटर दोनों गायब

चंडीगढ, हरियाणा में धान की सरकारी खरीद के तहत घोटाले की शिकायत पर राइस मिलर के धान के स्टॉक के तीसरे भौतिक सत्यापन में कमी पाए जाने पर कार्रवाई शुरू किए जाने पर कैथल की फर्म आरजी एंन्टरप्राजेज की राइस मिल के मालिक और उनके गारंटर दोनों ही गायब है। इतना ही नहीं इस मिलर द्वारा सरकार के साथ धान की शेलिंग के लिए किए गए अनुबन्ध की प्रति भी गायब है। इस हालत में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने जिला पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए है।
Body:दास ने यहां बताया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदी गई धान शेलिंग के लिए राइस मिलर को दी जाती है। शेलिंग के लिए अलग-अलग मिलर और सरकार के बीच अनुबन्ध किया जाता है। धान की सरकारी खरीद के बाद मिलर को अनुबन्ध के अनुसार शेलिंग के लिए धान का कोटा दिया जाता है। इस साल शिकायत यह आई थी कि धान की जितनी खरीद दिखाई गई है उतनी वास्तव में नहीं की गई और मिलर के पास आवंटित कोटा पहुंचा ही नहीं है। बकाया मात्रा को मिलर सस्ते चावल से पूरा करेंगे। इस शिकायत पर मिलों में धान का भौतिक सत्यापन कराया गया था। तीसरे सत्यापन मे करीब 90 करोड रूपए का धान अलग-अलग मिलों में कम पाया गया। जिन मिलों में धान कम पाया गया उनको नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। इनमें 22 मिलों की ओर से जवाब नहीं भेजा गया तो उनसे धान की मूल कीमत ओर ब्याज की वसूली शुरू की गई। राशि जमा कराने के लिए अंतिम तिथि पांच फरवरी तय की गई थी।
Conclusion:उन्होंने बताया कि यह जानकारी जुटाई जा रही है कि अंतिम तिथि तक कितने मिलर ने धान की कीमत और ब्याज की राशि जमा कराई है। इस कार्रवाई के दौरान कैथल की आरजी एंटरप्राइजेज के राइस मिल के मालिक और गारंटर दोनों ही लापता है। इस मिल के साथ शेलिंग के लिए किए गए अनुबन्ध की प्रति भी गायब है। इस पर जिला पुलिस अधीक्षक को आदेश किए गए है कि मिल मालिक,गारंटर और अनुबन्ध की प्रति रखने वाले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए। उनहोंने बताया कि धान की कमी वाले मिलर के खिलाफ कार्रवाई के तीन विकल्प है। पहले के विकल्प के तहत कम पाई गई धान की कीमत ब्याज समेत वसूल की ही जायेगी। इसके बाद मिलर को आगे के लिए ब्लैक लिस्ट में शामिल करने और आपराधिक कार्रवाई के विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा।
Last Updated : Feb 6, 2020, 9:47 AM IST
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