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1 हफ्ते की पैरोल पर जेल से बाहर आए ओपी चौटाला, पोते अर्जुन की सगाई में होंगे शामिल - अर्जुन चौटाला की सगाई

ओपी चौटाला 1 हफ्ते की पैरोल पर तिहाड़ जेल से बाहर आ चुके हैं. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अपने पोते अर्जुन चौटाला की सगाई के लिए पैरोल पर बाहर आए हैं.

1 हफ्ते की पैरोल पर जेल से बाहर आए ओपी चौटाला, पोते अर्जुन की सगाई में होंगे शामिल
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Published : Jul 17, 2019, 5:27 PM IST

दिल्ली/ चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला पैरोल पर बाहर आ गए हैं. तिहाड़ जेल से निकलने के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सीधे गुरुग्राम पहुंचे हैं. कल यानी की 18 जुलाई को उनके पोते अर्जुन चौटाला की सिरसा में सगाई है, जिसमें शामिल होने के लिए ओपी चौटाला पैरोल पर जेल से बाहर आए हैं.

1 हफ्ते की पैरोल पर बाहर आए ओपी चौटाला
ओपी चौटाला ने कुछ रोज पहले ही अपने पोते अर्जुन चौटाला की सगाई समारोह में शामिल होने के लिए पैरोल की मांग की थी. उन्होंने पैरोल से जुड़ी याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी. ओपी चौटाला ने कोर्ट से 4 हफ्तों के पैरोल की मांग की थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से रिपोर्ट लेने के बाद उन्हें 1 हफ्ते की पैरोल दी है.

10 साल की जेल की सजा काट रहे हैं चौटाला
जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा काट रहे ओपी चौटाला को इसी साल मई महीने में 14 दिन की पैरोल मिली थी. पूर्व सीएम ओपी चौटाला जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद से तिहाड़ जेल में बंद है. उनके साथ उनके बड़े बेटे अजय चौटाला भी तिहाड़ जेल में ही बंद है. ओपी चौटाला और अजय सिंह चौटाला को 16 जनवरी 2013 को 10 साल की सजा सुनाई गई थी.

क्या है जेबीटी शिक्षक घोटाला ?

जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने निभाई थी. संजीव कुमार ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर की थी. उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने प्रारंभिक जांच वर्ष 2003 में शुरू की.जांच में शिक्षकों की नियुक्ति में बरती गई अनियमितताओं का मामला सामने आने के बाद सीबीआई ने जनवरी 2004 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला, मुख्यमंत्री के तत्कालीन विशेष कार्य अधिकारी आइएएस विद्याधर, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार रहे शेर सिंह बड़शामी, राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार सहित कुल 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

सबसे हैरानी की बात ये रही कि मामले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाने वाले संजीव कुमार को भी सीबीआई ने इस मामले में आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया. सीबीआई के अनुसार संजीव कुमार इस घोटाले में बराबर शामिल रहे. सीबीआई के अनुसार उनका अन्य लोगों से विवाद होने पर ही उन्होंने घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई.

दिल्ली/ चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला पैरोल पर बाहर आ गए हैं. तिहाड़ जेल से निकलने के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सीधे गुरुग्राम पहुंचे हैं. कल यानी की 18 जुलाई को उनके पोते अर्जुन चौटाला की सिरसा में सगाई है, जिसमें शामिल होने के लिए ओपी चौटाला पैरोल पर जेल से बाहर आए हैं.

1 हफ्ते की पैरोल पर बाहर आए ओपी चौटाला
ओपी चौटाला ने कुछ रोज पहले ही अपने पोते अर्जुन चौटाला की सगाई समारोह में शामिल होने के लिए पैरोल की मांग की थी. उन्होंने पैरोल से जुड़ी याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी. ओपी चौटाला ने कोर्ट से 4 हफ्तों के पैरोल की मांग की थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से रिपोर्ट लेने के बाद उन्हें 1 हफ्ते की पैरोल दी है.

10 साल की जेल की सजा काट रहे हैं चौटाला
जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा काट रहे ओपी चौटाला को इसी साल मई महीने में 14 दिन की पैरोल मिली थी. पूर्व सीएम ओपी चौटाला जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद से तिहाड़ जेल में बंद है. उनके साथ उनके बड़े बेटे अजय चौटाला भी तिहाड़ जेल में ही बंद है. ओपी चौटाला और अजय सिंह चौटाला को 16 जनवरी 2013 को 10 साल की सजा सुनाई गई थी.

क्या है जेबीटी शिक्षक घोटाला ?

जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने निभाई थी. संजीव कुमार ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर की थी. उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने प्रारंभिक जांच वर्ष 2003 में शुरू की.जांच में शिक्षकों की नियुक्ति में बरती गई अनियमितताओं का मामला सामने आने के बाद सीबीआई ने जनवरी 2004 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला, मुख्यमंत्री के तत्कालीन विशेष कार्य अधिकारी आइएएस विद्याधर, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार रहे शेर सिंह बड़शामी, राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार सहित कुल 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

सबसे हैरानी की बात ये रही कि मामले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाने वाले संजीव कुमार को भी सीबीआई ने इस मामले में आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया. सीबीआई के अनुसार संजीव कुमार इस घोटाले में बराबर शामिल रहे. सीबीआई के अनुसार उनका अन्य लोगों से विवाद होने पर ही उन्होंने घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई.

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