चंडीगढ़: ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर हरियाणा में कर्मचारी आर पार की लड़ाई के मूड में हैं. पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारी 19 फरवरी को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. समिति के अध्यक्ष बृजेंद्र धालीवाल ने कहा कि ओपीएस कर्मचारियों का हक है. इसके लिए हम लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने बताया कि सीएम आवास के घेराव से पहले सभी कर्मचारी पंचकूला में एकत्र होंगे. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से कर्मचारियों की ओपीएस को बहाल करने की मांग की है.
पेंशन बहाली संघर्ष समिति के अध्यक्ष बृजेंद्र धालीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री व्हाट्सएप मैसज के आधार पर प्रदेश के दिवालिया होने के बयान दे रहे हैं. ये सीएम के पद की गरिमा के खिलाफ है. उन्हें ऐसी बयान बाजी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्री भी लगातार इस तरीके के बयान देते रहते हैं, लेकिन ओपीएस को कई राज्यों में लागू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के संघर्ष की बदौलत ही हिमाचल, झारखंड, राजस्थान व पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल हुई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिमाचल में तो सरकार भी इसी मुद्दे पर बदली है. इस दौरान उन्होंने कहा कि हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कई बार कह चुके हैं कि अगर ओपीएस को लेकर उनकी सरकार ने बात की होती, तो वे भी फिर से सत्ता में वापस आते. धालीवाल ने कहा कि इसलिए मुख्यमंत्री हरियाणा भी उनसे एक बार बात कर लें.
अगर सरकार ने हमारी मांग को नहीं माना, तो आगामी चुनाव में कर्मचारी इसका जवाब देंगे और सत्ता में बदलाव लेकर आएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों के पैसे को सरकार शेयर बाजार में लगा रही है. शेयर बाजार कब डूब जाए, कोई पता नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने नेताओं के लिए कई तरीके की पेंशन का प्रबंध कर रखा है. लेकिन कर्मचारियों की पेंशन काट दी गई है.
जैसे अन्य राज्यों ने पेंशन बहाल की है, उसी तरह ही हरियाणा में ओपीएस बहाल होनी चाहिए. अब विभिन्न विभागों के कर्मचारी एकजुट हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनपीएस में 900 के करीब कर्मचारी रिटायर हुए हैं. एक एसडीओ की 16 साल की सेवा के बाद मात्र 5 हजार पेंशन बनी है. वहीं एक कर्मचारी की 1600 रुपए पेंशन बनी है.