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MR ने किया बड़ा खुलासा, फार्मा कंपनियों को 15 मई तक का दिया अल्टीमेटम, जानें पूरा मामला

हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ से आए मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने फार्मा कंपनियों का विरोध कर 15 मई तक का अल्टीमेटम दिया है. यदि मांगें नहीं मानी गई तो MR अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगे. (protest against pharma companies)

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Published : Apr 27, 2023, 6:32 PM IST

protest against pharma companies to ultimatum
MR ने किया बड़ा खुलासा

चंडीगढ़: फार्मा कंपनियों के विरोध में चंडीगढ़ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन व नार्थ जोन कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पर फार्मा कंपनियों द्वारा की जा रही धक्केशाही के खिलाफ आवाज उठाई गई है. मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव द्वारा कंपनी के मालिकों द्वारा मांगें न माने जाने पर आने वाले 15 मई को हड़ताल करने का फैसला लिया है.

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ से आए मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने कहा कि आज के इस दौर में सबसे तेजी से फार्मास्यूटिकल फील्ड ग्रो कर रहा है. मेडिकल फील्ड आज के समय में सबसे ज्यादा और जल्दी कामयाबी हासिल करने वाली इंडस्ट्री बन चुकी है. वहीं, उन्होंने कहा कि फार्मा कंपनी को सबसे आगे बढ़ाने का काम और सबसे बड़ा योगदान मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यानी MR का होता है, और फार्मास्यूटिकल सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है.

वहीं, नॉर्थ जोन कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों ने कहा कि फार्मा कंपनियां अपने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से काम लेते समय हर तरह के नियम ताक पर रख देते हैं. इसके खिलाफ अब नार्थ जोन के MR सड़कों पर उतरेंगे. उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि यदि उनकी मांगों पर 15 मई तक विचार नहीं किया गया, तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर देंगे.

उन्होंने फार्मा कंपनी पर आरोप लगाया है कि फार्मा एम्प्लॉई के कोई भी वर्किंग आवर डिसाइड नहीं होते हैं. सुबह 8 बजे से और रात को 12 बजे तक काम किया जाता है. अधिनियम 19-1(सी) के तहत MR को ट्रेड यूनियन जॉइन करने का अधिकार है, जिसे फार्मा कंपनियां रोक देती है. सेल्स प्रमोशन कार्यकर्ता जो इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट 1947 अधिनियम 2 (S) के तहत कार्यकर्ता हैं, उनको कार्यकर्ता भी नहीं माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें: Wrestlers Protest: जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना जारी, कहा-प्रधानमंत्री उनके मन की बात भी सुने

साथ ही मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने बताया कि कंपनियां अपॉइंटमेंट लेटर फॉर्म ए पर नहीं देते हैं, इसलिए वो फर्जी दस्तावेज के सिवा कुछ नहीं होते. बस कंपनी की नाजायज हुक्मों का फरमान बनकर रह जाते हैं. उस पर कर्मचारी की डेजिग्नेशन भी नहीं लिखी जाती, हमारा काम है क्या, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है, मैनेजर है या उच्च शैली मैनेजर है. वैसे तो मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पद रखा जाता है, लेकिन जब विवाद बनने की स्थिति पैदा हो जाती है, तो रिप्रेजेंटेटिव को मैनेजर दिखा दिया जाता है.

चंडीगढ़: फार्मा कंपनियों के विरोध में चंडीगढ़ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन व नार्थ जोन कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पर फार्मा कंपनियों द्वारा की जा रही धक्केशाही के खिलाफ आवाज उठाई गई है. मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव द्वारा कंपनी के मालिकों द्वारा मांगें न माने जाने पर आने वाले 15 मई को हड़ताल करने का फैसला लिया है.

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ से आए मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने कहा कि आज के इस दौर में सबसे तेजी से फार्मास्यूटिकल फील्ड ग्रो कर रहा है. मेडिकल फील्ड आज के समय में सबसे ज्यादा और जल्दी कामयाबी हासिल करने वाली इंडस्ट्री बन चुकी है. वहीं, उन्होंने कहा कि फार्मा कंपनी को सबसे आगे बढ़ाने का काम और सबसे बड़ा योगदान मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यानी MR का होता है, और फार्मास्यूटिकल सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है.

वहीं, नॉर्थ जोन कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों ने कहा कि फार्मा कंपनियां अपने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से काम लेते समय हर तरह के नियम ताक पर रख देते हैं. इसके खिलाफ अब नार्थ जोन के MR सड़कों पर उतरेंगे. उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि यदि उनकी मांगों पर 15 मई तक विचार नहीं किया गया, तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर देंगे.

उन्होंने फार्मा कंपनी पर आरोप लगाया है कि फार्मा एम्प्लॉई के कोई भी वर्किंग आवर डिसाइड नहीं होते हैं. सुबह 8 बजे से और रात को 12 बजे तक काम किया जाता है. अधिनियम 19-1(सी) के तहत MR को ट्रेड यूनियन जॉइन करने का अधिकार है, जिसे फार्मा कंपनियां रोक देती है. सेल्स प्रमोशन कार्यकर्ता जो इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट 1947 अधिनियम 2 (S) के तहत कार्यकर्ता हैं, उनको कार्यकर्ता भी नहीं माना जा रहा है.

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साथ ही मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने बताया कि कंपनियां अपॉइंटमेंट लेटर फॉर्म ए पर नहीं देते हैं, इसलिए वो फर्जी दस्तावेज के सिवा कुछ नहीं होते. बस कंपनी की नाजायज हुक्मों का फरमान बनकर रह जाते हैं. उस पर कर्मचारी की डेजिग्नेशन भी नहीं लिखी जाती, हमारा काम है क्या, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है, मैनेजर है या उच्च शैली मैनेजर है. वैसे तो मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पद रखा जाता है, लेकिन जब विवाद बनने की स्थिति पैदा हो जाती है, तो रिप्रेजेंटेटिव को मैनेजर दिखा दिया जाता है.

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