चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब में फिर से गेहूं के अवशेषों को जलाने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिसकी वजह से प्रदूषण में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. नासा ने इसको लेकर कुछ तस्वीरें जारी की हैं. जिसमें उन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है जहां पर फसलों के अवशेष बड़ी मात्रा में जलाए जा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से हाल फिलहाल में प्रदूषण के स्तर में काफी सुधार हुआ था. अब फसल के अवशेष जलाने के बाद फिर से प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
इस बारे में ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर रविंद्र खैवाल से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि भारत में किसान दो बार फसलों के अवशेष जलाते हैं एक बार गेहूं के समय में और एक बार धान के समय में, धान की कटाई के बाद ज्यादा अवशेष जलाए जाते हैं. जिसे पराली कहते है.
रविंद्र खैवाल ने कहा कि किसानों के पास फसल के अवशेष के इस्तेमाल को लेकर ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं हैं. दूसरी तरफ गेहूं की कटाई के बाद उसके अवशेषों को कम मात्रा में ही जलाया जाता है, क्योंकि गेहूं की फसल के अवशेष पशुओं का चारा बनाने के काम आते हैं. इन अवशेषों से भूसा बनाकर किसान बेच भी सकते हैं.
एक परेशानी ये भी रही कि इस बार किसान लॉकडाउन होने की वजह से इन अवशेषों को एक जगह से दूसरी जगह तक नहीं ले जा पाए. जिस वजह से अब किसान इसे खेतों में ही जला रहे हैं. हरियाणा में करीब 15 दिन पहले किसानों ने गेहूं के अवशेषों को जाना शुरू किया था और अब ये पंजाब में भी शुरू हो गया है.
नासा की जारी तस्वीर के मुताबिक उत्तर हरियाणा और पंजाब के सीमावर्ती जिलों में ये अवशेष जलाए जा रहे हैं. वहीं पंजाब की बात की जाए तो यहा पूरे प्रदेश में ही गेहूं की फसल के अवशेष जलाए जा रहे हैं.
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डॉक्टर रविंद्र ने कहा कि फसलों के अवशेषों के जलाने से हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. इसको जलाने से धरती की उपजाऊ क्षमता तो कम होती ही है साथ ही हमारे स्वास्थ पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है. अवशेषों के धुएं की वजह से हमें दिल और फेफड़ों की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
रविंद्र खैवाल ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों को कई तरह के विकल्प दिए गए हैं. जहां वो इन अवशेषों को ना जला कर कई दूसरी जगहों पर इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ सरकार के प्रयासों से ये संभव नहीं है. जब तक किसान खुद आगे आकर सरकार के विकल्पों को नहीं अपनाते तब तक इस समस्या का कोई समाधान होने वाला नहीं है.