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क्या है शिवजी के गले में लिपटे सांप का नाम, महादेव ने क्यों किया है उन्हें धारण? जानिए - शिवजी के सांप वासुकी

सावन के महीने में (Sawan Somwari) राजस्थान के नागौर में एक शिव मंदिर के गुबंद में एक काला सांप घंटों तक लिपटा रहा. भक्त इसे देखकर महादेव का चमत्कार और शुभ संकेत मान रहे हैं. शिवजी ने भी अपने गले में सांप को धारण किया हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं जो सांप महादेव के गले में विराजमान हैं (lord shiva snake) उनका नाम क्या है और वह कौन हैं.

lord shiva snake
lord shiva snake
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Published : Aug 3, 2021, 6:17 PM IST

चंडीगढ़: सावन का महीना चल रहा और इस महीने का शिव भक्तों के लिए खास महत्व होता है. सावन के पूरे महीने में लोग भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करते हैं और शिव लिंग पर जल, दूध, दही, चीनी, केसर, देसी घी और तमाम चीज़ें अर्पित करते हैं. वहीं राजस्थान में एक सांप भी शिवजी के दर्शन करने पहुंचा. नागौर के लांडनू में सावन के दूसरे सोमवार (Sawan Somwari) को रोचक वाक्या हुआ. क्षेत्र के एक शिव मंदिर के गुबंद में एक काला सांप लिपटा रहा. भक्त इसे देखकर महादेव का चमत्कार और शुभ संकेत मान रहे हैं.

भगवान शिव के एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डंगरु, सिर पर त्रिपुंड चंदन लगा हुआ है. इसके अलावा महादेव ने अपने गले में सांप को धारण किया है. लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि जो सांप उनके गले में विराजमान हैं उसका नाम क्या है और वह शिवजी के गले में क्यों विराजमान हैं.

ये भी पढ़ें- शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये 6 चीजें, माना जाता है अशुभ

भगवान शिव (lord shiva snake) के गले में जो सांप हैं उनका नाम वासुकि (snake vasuki) है. माना जाता है कि वासुकि नाग भोलेनाथ के परम भक्त थे और ये भी कहा जाता है कि नाग प्रजातियों ने ही शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरु किया था और भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें अपने गणों में शामिल किया था.

नागराज वासुकि को नागलोक के राजा के रूप में जाना जाता है. कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान वासुकि नाग को ही रस्सी के रूप में मेरु पर्वत के चारों ओर लपेटकर मंथन किया गया था और इसके साथ ही जब भगवान श्रीकृष्ण को कंस की जेल से चुपचाप वसुदेव उन्हें गोकुल ले जा रहे थे तब यमुना नदी के उफान से वासुकि नाग ने ही श्रीकृष्ण की रक्षा की थी.

ये भी पढ़ें- महादेव के दर्शन करने पहुंचे नागराज, मंदिर के गुंबद से कई घंटे लिपटे रहे

वासुकि ने ही पांडु पुत्र भीम को दस हजार हाथियों के बल प्राप्ति का वरदान दिया था. वासुकि के सिर पर ही नागमणि होती थी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वासुकि ने भगवान शिव की सेवा में नियुक्त होना स्वीकार किया. कहते हैं कि तभी से भगवान शिव ने नागों के राजा वासुकि को अपने गले का हार बनाया.

बता दें कि, सावन के महीने में जो भक्त नाग देवताओं की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं, भगवान भोलेनाथ उनके सारे संकटों को दूर कर देते हैं और उनको मनचाहा फल व आशीर्वाद देते हैं. इस रुद्राभिषेक कराने का बहुत महत्व माना जाता है और नाग पंचमी के दिन को काफी शुभ माना जाता है.

ये भी पढ़ें- सावन के महीने में भूल कर भी ना करें ये काम, भोले नाथ हो जाएंगे नाराज!

चंडीगढ़: सावन का महीना चल रहा और इस महीने का शिव भक्तों के लिए खास महत्व होता है. सावन के पूरे महीने में लोग भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करते हैं और शिव लिंग पर जल, दूध, दही, चीनी, केसर, देसी घी और तमाम चीज़ें अर्पित करते हैं. वहीं राजस्थान में एक सांप भी शिवजी के दर्शन करने पहुंचा. नागौर के लांडनू में सावन के दूसरे सोमवार (Sawan Somwari) को रोचक वाक्या हुआ. क्षेत्र के एक शिव मंदिर के गुबंद में एक काला सांप लिपटा रहा. भक्त इसे देखकर महादेव का चमत्कार और शुभ संकेत मान रहे हैं.

भगवान शिव के एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डंगरु, सिर पर त्रिपुंड चंदन लगा हुआ है. इसके अलावा महादेव ने अपने गले में सांप को धारण किया है. लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि जो सांप उनके गले में विराजमान हैं उसका नाम क्या है और वह शिवजी के गले में क्यों विराजमान हैं.

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भगवान शिव (lord shiva snake) के गले में जो सांप हैं उनका नाम वासुकि (snake vasuki) है. माना जाता है कि वासुकि नाग भोलेनाथ के परम भक्त थे और ये भी कहा जाता है कि नाग प्रजातियों ने ही शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरु किया था और भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें अपने गणों में शामिल किया था.

नागराज वासुकि को नागलोक के राजा के रूप में जाना जाता है. कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान वासुकि नाग को ही रस्सी के रूप में मेरु पर्वत के चारों ओर लपेटकर मंथन किया गया था और इसके साथ ही जब भगवान श्रीकृष्ण को कंस की जेल से चुपचाप वसुदेव उन्हें गोकुल ले जा रहे थे तब यमुना नदी के उफान से वासुकि नाग ने ही श्रीकृष्ण की रक्षा की थी.

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वासुकि ने ही पांडु पुत्र भीम को दस हजार हाथियों के बल प्राप्ति का वरदान दिया था. वासुकि के सिर पर ही नागमणि होती थी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वासुकि ने भगवान शिव की सेवा में नियुक्त होना स्वीकार किया. कहते हैं कि तभी से भगवान शिव ने नागों के राजा वासुकि को अपने गले का हार बनाया.

बता दें कि, सावन के महीने में जो भक्त नाग देवताओं की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं, भगवान भोलेनाथ उनके सारे संकटों को दूर कर देते हैं और उनको मनचाहा फल व आशीर्वाद देते हैं. इस रुद्राभिषेक कराने का बहुत महत्व माना जाता है और नाग पंचमी के दिन को काफी शुभ माना जाता है.

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