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MSME को बढ़ावा देने के लिए बनेगा अलग निदेशालय, तकनीक और इनोवेशन पर जोर

हरियाणा में मध्य, सूक्ष्म और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अलग से निदेशालय बनाने का फैसला किया है. इसके जरिए नई तकनीक और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जायेगा.

MOU signed chandigarh
मुख्यमंत्री मनोहर लाल
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Published : Dec 17, 2020, 11:20 AM IST

Updated : Dec 17, 2020, 12:39 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा एमएसएमई निदेशालय ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद- (सीएसआईआर- सीएसआईओ) के सहयोग से राज्य में एमएसएमई के विकास को गति देने के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इसका मुख्य फोकस नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना है.

एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए निरन्तर ईको सिस्टम पर बल दे रही है. भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एमएसएमई को नई परिभाषा दी गई है.

इससे इस क्षेत्र का दायरा बढऩे की व्यापक संभावनाएं बढ़ी हैं. इस कड़ी में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल एमएसएमई के लिए एक अलग से निदेशालय स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय पहले ही ले चुके हैं.

उद्योगों को मिलेगा फायदा

एमएसएमई निदेशालय राज्य में उद्योागें को विकसित करने और व्यापारियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा. निदेशालय का मुख्य उद्देश्य सक्रिय तरीके से सहयोग कर एमएसएमई उद्यमियों को सुविधाएं प्रदान करना एवं उन्हें सलाह देना कि किस प्रकार से उनके व्यापार को बढ़ावा देने के अंतराल को पाटा जा सके. इसके साथ-साथ निदेशालय कारोबार में आने वाली चुनौतियों व शिकायतों का समाधान फास्ट ट्रैक तरीके से करने के साथ-साथ नीति निर्धारण को तर्कसंगत बनाने का कार्य भी करेगा.

चंडीगढ़ में सीएसआईआर-सीएसआईओ एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला संचालित है, जो वैज्ञानिक और औद्योगिक उपकरणों के अनुसंधान, डिजाइन और विकास के लिए कार्य करती है. साथ ही सीएसआईआर की घटक प्रयोगशालाओं में से एक है. उन्होंने बताया कि सीएसआईओ माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक, ऑप्टिक्स, एप्लाइड फिजिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास में सहयोग देता है.

सीएसआईआर खाद्य, कृषि, स्वास्थ्य एवं पुनर्वास, एवियोनिक्स, स्नो और रणनीतिक क्षेत्र में भूकंपीय निगरानी, सार्वजनिक सुरक्षा और जैव और नैनो विज्ञान के क्षेत्र में नागरिक सुरक्षा के लिए भूस्खलन और संरचना स्वास्थ्य निगरानी के विभिन्न आरईडी कार्यक्रम भी क्रियान्वित कर रहा है.

इस समझौता ज्ञापन के बाद एमएसएमई निदेशालय और सीएसआईआर-सीएसआईओ विभिन्न कृषि प्रौद्योगिकियों जैसे कि उन्नत कृषि- उपकरण, उन्नत छिडक़ाव प्रौद्योगिकी, स्मार्ट और स्वचालित इलेक्ट्रोस्टैटिक स्प्रेयर इत्यादि के विकास में एमएसएमई की सहायता के लिए एक सहयोगी ढांचा तैयार करने के लिए संयुक्त रूप से कार्य करेंगे. निदेशालय और सीएसआईआर-सीएसआईओ सरकारी निजी या अन्य एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित विभिन्न संबंधित परियोजनाओं पर भी परस्पर सहयोग करेंगे.

इसके अलावा, निदेशालय की पहल होगी कि उद्योग को सुगम बनाने के लिए उद्योग शैक्षणिक लिंकेज करने में भी सहयोग किया जाए और एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार को सुदृढ़ करने के लिए राज्य में अनुसंधान एवं विकास का एक उद्यमशीलता-मैत्री वातावरण सृजित हो.

ये भी पढे़ं- चंडीगढ़ नगर निगम में बनाए गए नए वार्डों पर AAP ने जताई आपत्ति

चंडीगढ़: हरियाणा एमएसएमई निदेशालय ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद- (सीएसआईआर- सीएसआईओ) के सहयोग से राज्य में एमएसएमई के विकास को गति देने के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इसका मुख्य फोकस नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना है.

एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए निरन्तर ईको सिस्टम पर बल दे रही है. भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एमएसएमई को नई परिभाषा दी गई है.

इससे इस क्षेत्र का दायरा बढऩे की व्यापक संभावनाएं बढ़ी हैं. इस कड़ी में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल एमएसएमई के लिए एक अलग से निदेशालय स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय पहले ही ले चुके हैं.

उद्योगों को मिलेगा फायदा

एमएसएमई निदेशालय राज्य में उद्योागें को विकसित करने और व्यापारियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा. निदेशालय का मुख्य उद्देश्य सक्रिय तरीके से सहयोग कर एमएसएमई उद्यमियों को सुविधाएं प्रदान करना एवं उन्हें सलाह देना कि किस प्रकार से उनके व्यापार को बढ़ावा देने के अंतराल को पाटा जा सके. इसके साथ-साथ निदेशालय कारोबार में आने वाली चुनौतियों व शिकायतों का समाधान फास्ट ट्रैक तरीके से करने के साथ-साथ नीति निर्धारण को तर्कसंगत बनाने का कार्य भी करेगा.

चंडीगढ़ में सीएसआईआर-सीएसआईओ एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला संचालित है, जो वैज्ञानिक और औद्योगिक उपकरणों के अनुसंधान, डिजाइन और विकास के लिए कार्य करती है. साथ ही सीएसआईआर की घटक प्रयोगशालाओं में से एक है. उन्होंने बताया कि सीएसआईओ माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक, ऑप्टिक्स, एप्लाइड फिजिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास में सहयोग देता है.

सीएसआईआर खाद्य, कृषि, स्वास्थ्य एवं पुनर्वास, एवियोनिक्स, स्नो और रणनीतिक क्षेत्र में भूकंपीय निगरानी, सार्वजनिक सुरक्षा और जैव और नैनो विज्ञान के क्षेत्र में नागरिक सुरक्षा के लिए भूस्खलन और संरचना स्वास्थ्य निगरानी के विभिन्न आरईडी कार्यक्रम भी क्रियान्वित कर रहा है.

इस समझौता ज्ञापन के बाद एमएसएमई निदेशालय और सीएसआईआर-सीएसआईओ विभिन्न कृषि प्रौद्योगिकियों जैसे कि उन्नत कृषि- उपकरण, उन्नत छिडक़ाव प्रौद्योगिकी, स्मार्ट और स्वचालित इलेक्ट्रोस्टैटिक स्प्रेयर इत्यादि के विकास में एमएसएमई की सहायता के लिए एक सहयोगी ढांचा तैयार करने के लिए संयुक्त रूप से कार्य करेंगे. निदेशालय और सीएसआईआर-सीएसआईओ सरकारी निजी या अन्य एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित विभिन्न संबंधित परियोजनाओं पर भी परस्पर सहयोग करेंगे.

इसके अलावा, निदेशालय की पहल होगी कि उद्योग को सुगम बनाने के लिए उद्योग शैक्षणिक लिंकेज करने में भी सहयोग किया जाए और एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार को सुदृढ़ करने के लिए राज्य में अनुसंधान एवं विकास का एक उद्यमशीलता-मैत्री वातावरण सृजित हो.

ये भी पढे़ं- चंडीगढ़ नगर निगम में बनाए गए नए वार्डों पर AAP ने जताई आपत्ति

Last Updated : Dec 17, 2020, 12:39 PM IST
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