ETV Bharat / state

चंडीगढ़ में बच्चों के लिए संघर्ष करने वाली माताओं का हुआ सम्मान

मदर्स डे के मौके पर सिटी ब्यूटीफूल चंडीगढ़ में एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम का नाम मां सम्मान समारोह ( Maa Samman Samroh Chandigarh) था. इस कार्यक्रम में 10 ऐसी मांओं को बुलाया गया था.जिन्होंने बेहद विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए अपने बच्चों को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया.

Maa Samman Samroh Chandigarh
चंडीगढ़ में बच्चों के लिए संघर्ष करने वाली माताओं का हुआ सम्मान
author img

By

Published : May 11, 2022, 11:54 AM IST

Updated : May 11, 2022, 2:38 PM IST

चंडीगढ़: मदर्स डे के मौके पर सिटी ब्यूटीफूल चंडीगढ़ में एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम का नाम मां सम्मान समारोह था. इस कार्यक्रम में 10 ऐसी मांओं को बुलाया गया था.जिन्होंने बेहद विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए अपने बच्चों को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया. बेशक उन माताओं के लिए समय बेहद मुश्किल था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस मुश्किल समय कि आंच अपने बच्चों पर नहीं पड़ने दी. उन्हें पढ़ा लिखा कर एक सफल नागरिक बनाया.

कार्यक्रम में हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से इस तरह की 10 महिलाओं को बुलाया गया था. जहां पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने इन सभी माताओं को सम्मानित किया. यह ऐसी महिलाएं थी जिनमें से ज्यादातर महिलाएं गरीब तबके से थी. वह पढ़ी-लिखी भी नहीं थी. कई महिलाओं के पति भी दुनिया से जा चुके थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और जिंदगी में संघर्ष करते हुए अपने बच्चों के लिए ताउम्र मेहनत की.

चंडीगढ़ में बच्चों के लिए संघर्ष करने वाली माताओं का हुआ सम्मान

इन्हीं में से एक शर्मिता नाम की महिला से हमने बात की. बातचीत के दौरान शर्मिता ने बताया कि उनकी शादी महज 19 साल की उम्र में हो गई थी. वे कम उम्र में ही मां बन गई थी. लेकिन बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि उनका बेटा ऑटिज्म नाम की बिमारी का शिकार है. इसके बाद शमिता ने अपनी पढ़ाई नौकरी और सारा कामकाज अपने बच्चे के लिए छोड़ दिया और उसे ठीक करने में जुट गई.

शर्मिता ने बताया कि उन्होंने अपनी सारी उम्र अपने बच्चे का इलाज करने में लगा दी. यहां तक कि उन्होंने अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियां सीखकर खुद अपने बच्चे का इलाज किया. साल 2020 में कोरोना के चलते उनके पति का देहांत हो गया था लेकिन उन्होंने फिर भी अपना संघर्ष जारी रखा. आज उनका बेटा 12वीं कक्षा पास कर चुका है. 12वीं में उसने 91 प्रतिशत मार्क्स अंक हासिल किए. इतना ही नहीं उनके बेटे को अमेरिका के दो कॉलेज और कनाडा के एक कॉलेज की ओर से दाखिले का ऑफर भी आया था लेकिन आर्थिक हालात के चलते वे उसका दाखिला उन कॉलेजों में नहीं करा पाई.

उन्होंने कहा कि बेशक वे अपने बेटे को अमेरिका या कैनेडा नहीं भेज पाई लेकिन उनका बेटा पढ़ाई में बहुत तेज है और वह यहां रह कर भी एक सफल नागरिक बन सकता है. इसके अलावा उन्होंने इस समारोह के आयोजक मयंक मिश्रा को भी धन्यवाद कहा. उन्होंने कहा कि वे इस कदम की सराहना करती हैं क्योंकि यह समारोह उन सभी माताओं को समर्पित है जिन्होंने अपनी जिंदगी में अपने बच्चों के लिए बेहद बुरे हालात में संघर्ष किया है.आज उन्हीं संघर्षों के लिए इन माताओं को सम्मानित किया गया है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

चंडीगढ़: मदर्स डे के मौके पर सिटी ब्यूटीफूल चंडीगढ़ में एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम का नाम मां सम्मान समारोह था. इस कार्यक्रम में 10 ऐसी मांओं को बुलाया गया था.जिन्होंने बेहद विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए अपने बच्चों को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया. बेशक उन माताओं के लिए समय बेहद मुश्किल था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस मुश्किल समय कि आंच अपने बच्चों पर नहीं पड़ने दी. उन्हें पढ़ा लिखा कर एक सफल नागरिक बनाया.

कार्यक्रम में हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से इस तरह की 10 महिलाओं को बुलाया गया था. जहां पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने इन सभी माताओं को सम्मानित किया. यह ऐसी महिलाएं थी जिनमें से ज्यादातर महिलाएं गरीब तबके से थी. वह पढ़ी-लिखी भी नहीं थी. कई महिलाओं के पति भी दुनिया से जा चुके थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और जिंदगी में संघर्ष करते हुए अपने बच्चों के लिए ताउम्र मेहनत की.

चंडीगढ़ में बच्चों के लिए संघर्ष करने वाली माताओं का हुआ सम्मान

इन्हीं में से एक शर्मिता नाम की महिला से हमने बात की. बातचीत के दौरान शर्मिता ने बताया कि उनकी शादी महज 19 साल की उम्र में हो गई थी. वे कम उम्र में ही मां बन गई थी. लेकिन बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि उनका बेटा ऑटिज्म नाम की बिमारी का शिकार है. इसके बाद शमिता ने अपनी पढ़ाई नौकरी और सारा कामकाज अपने बच्चे के लिए छोड़ दिया और उसे ठीक करने में जुट गई.

शर्मिता ने बताया कि उन्होंने अपनी सारी उम्र अपने बच्चे का इलाज करने में लगा दी. यहां तक कि उन्होंने अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियां सीखकर खुद अपने बच्चे का इलाज किया. साल 2020 में कोरोना के चलते उनके पति का देहांत हो गया था लेकिन उन्होंने फिर भी अपना संघर्ष जारी रखा. आज उनका बेटा 12वीं कक्षा पास कर चुका है. 12वीं में उसने 91 प्रतिशत मार्क्स अंक हासिल किए. इतना ही नहीं उनके बेटे को अमेरिका के दो कॉलेज और कनाडा के एक कॉलेज की ओर से दाखिले का ऑफर भी आया था लेकिन आर्थिक हालात के चलते वे उसका दाखिला उन कॉलेजों में नहीं करा पाई.

उन्होंने कहा कि बेशक वे अपने बेटे को अमेरिका या कैनेडा नहीं भेज पाई लेकिन उनका बेटा पढ़ाई में बहुत तेज है और वह यहां रह कर भी एक सफल नागरिक बन सकता है. इसके अलावा उन्होंने इस समारोह के आयोजक मयंक मिश्रा को भी धन्यवाद कहा. उन्होंने कहा कि वे इस कदम की सराहना करती हैं क्योंकि यह समारोह उन सभी माताओं को समर्पित है जिन्होंने अपनी जिंदगी में अपने बच्चों के लिए बेहद बुरे हालात में संघर्ष किया है.आज उन्हीं संघर्षों के लिए इन माताओं को सम्मानित किया गया है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

Last Updated : May 11, 2022, 2:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.