चंडीगढ़: दुनिया में सबसे हसीन रिश्ते में से एक होता है मां का बच्चों के साथ रिश्ता. इस रिश्ते में ना तो कोई शर्त और ना ही कोई छल कपट. लेकिन, आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में कई ऐसी महिलाएं हैं जो मां की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ बाहर काम भी करती हैं. ऐसे में कामकाजी महिलाओं को अपनी जिम्मेदारी निभाने में काफी तालमेल बिठानी पड़ती हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन दोनों जिम्मेदारी निभाने में महिलाएं कहीं भी कोई समझौता नहीं करती हैं. आज मदर्स डे 2023 के अवसर पर चंडीगढ़ की कुछ इसी तरह की कामकाजी महिलाओं से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं.
हर हालात में भी एक मां अपने बच्चों को लेकर सतर्क रहती हैं. भले ही उन्हें महिलाओं को अपने कामकाज को छोड़ कर अपने बच्चों के लिए हर हाल में मौजूद होती है. दरअसल आज के समय में कामकाजी माताओं के लिए काम और बच्चों के पालन-पोषण संभालना आसान नहीं है. ऐसे में दो कामों को पूरा करना काफी चुनौती भरा है. वहीं, इस मदर्स डे ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ की उन महिलाओं से विशेष बातचीत की आखिर वे अपने कामकाजी जीवन और बच्चों को को कैसे संभालती हैं. काम करने वाली माताओं को समय से साथ काफी चीजों से समझौता करना पड़ता है, जिसमें वे अपने शौक और अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं.
चंडीगढ़ पुलिस में इंस्पेक्टर कुलदीप कौर बखूबी निभाती आ रही हैं दोनों जिम्मेदारी: चंडीगढ़ पुलिस में इंस्पेक्टर कुलदीप कौर कहती हैं, 'चंडीगढ़ पुलिस में 1992 में मेरी भर्ती हुई थी. 31 सालों की सर्विस में मैंने कई उतार चढ़ाव देखे, लेकिन मैंने अपनी बेटी को हमेशा पहले समझा है. कई बार ऐसे हालात हुए हैं कि मुझे उसे अकेले छोड़ कर जाना पड़ा है. लेकिन, मेरी बेटी मेरा हमेशा साथ दिया क्योंकि उसने हमेशा मुझे समझा है. मेरी बेटी आज मास्टर डिग्री हासिल कर चुकी है. ऐसे में अब वह अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी है. आज भी चौबीसों घंटे वाली जॉब में मेरी कोशिश रहती है कि उसके लिए हर समय मौजूद रहूं. लेकिन, इतने सालों का सफर भले ही आसान नहीं था. बावजूद इसके समय बदला है और मैंने अपनी जिम्मेदारी निभाई है.'
क्या कहती हैं चंडीगढ़ की स्टेट अवार्ड टीचर रीतू मारिया?: रीतू मारिया ने बताया कि, 'पिछले 18 सालों से जीएसएचएसएस में हिंदी टीचर के तौर पर पढ़ा रही हूं. मुझे अपना काम पसंद है क्योंकि एक टीचर होना मेरे लिए गर्व की बात है. इतने सालों में कई बार ऐसे मौके आए जहां मुझे वहां अपने काम को छोड़ना मुश्किल हो जाता था. लेकिन, एक स्कूल टीचर होने के नाते मेरा मानना है कि सैकड़ों माता पिता अपने बच्चों हमारी जिम्मेदारी पर अपने बच्चों को छोड़ कर जाता है. ऐसे में हमारी ड्यूटी बनती है कि हम उनका अपने बच्चों की तरह ख्याल रखें ताकि वे स्कूल में अपने मन लगाकर पढ़ाई कर सकें. कई बार अपने बच्चों के लिए मैं उपस्थित नहीं हो पाती हूं, लेकिन पूरा दिन एक मां की भूमिका में रहती हूं.'
क्या कहती हैं पीजीआई की गयनेकोलॉजिस्ट डॉ. भारती जोशी?: डॉ. भारती जोशी ने बताया कि, 'काम शुरुआत से ही मुश्किल भरा था. पहले मेडिसिन में तो बाद में इमरजेंसी वार्ड में. वहीं, रोजाना एक नई मां को बनते देखना और अपने मां होने की ड्यूटी निभाना एक चैलेंज है. लेकिन, मेरा मानना है कि महिलाओं में एक अलग सी शक्ति होती है जिसके चलते वे अपनी हर जिम्मेदारी बखूबी निभा पाती हैं. जब कोरोना संक्रमण काल शुरू हुआ था तो हमने 500 कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी करवाई थी. इस दौरान मैंने अपने दोनों बच्चों को अपने से दूर अपने माता-पिता के पास भेज दिया था. वो ऐसा समय था जब मुझे उनसे अचानक दूरी बनानी पड़ी. आज की महिलाओं और माओं को मेरी यही राय है कि वे हर घबराएं नहीं. हर हालात को संभाला जा सकता है. इसके साथ ही काम और निजी जीवन के बीच स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करने की भी आवश्यकता है.'
उन्होंने कहा कि अच्छी नींद लेने के लिए कामकाजी माताओं को रूटीन में सुधार लाने की जरूरत है. वहीं, उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाएं खुद के लिए समय निकालें. साथ ही पौष्टिक आहार लें. स्वास्थ्य की देखभाल बहुत जरूरी है. इसके लिए उन्हें कुछ काम को अगले दिन के लिए क्यों ने टालना पड़े. परिवार में सभी लोगों के बीच काम का बंटवारा कर देने से राहत मिल सकती है. वहीं, इस साल मदर्स डे पर वर्किंग वुमन को खुद के लिए समय निकालना चाहिए. ताकि वे अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान रख पाएं.
डॉ. भारती जोशी ने कहा कि, कामकाजी मां के रूप में पर्याप्त नींद लें, सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से बचें. काम और निजी जीवन के बीच लाइन खींचने की जरूरत है. जरूरत पड़ने पर ना कहना सीखें और कार्यों को सौंपने या समर्थन मांगने में शर्म न करें. खुद के लिए ऐसी गतिविधि करें, जो आपको खुशी के साथ-साथ आराम दे. तनाव को कम करने के लिए किताब पढ़ने और योगाभ्यास करने की आदत डालने की जरूरत है.
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