चंडीगढ़: हरियाणा निवास चंडीगढ़ में रविवार को प्रदेश के तमाम सरकारी कॉलेजों के एमबीबीएस डॉक्टर की हरियाणा सरकार के साथ बैठक बेनतीजा रही. बैठक में दो दौर की बातचीत हुई, लेकिन दो दौर की बातचीत के बाद भी इस मसले का कोई भी हल नहीं निकल पाया. हालांकि छात्रों का कहना था कि जिस तरीके से मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई थी कि रविवार को इस मसले का हल निकल जाएगा, उस तरह से सरकार की ओर से बैठक में कुछ भी देखने को नहीं मिला. (Bond Policy in Haryana)
सरकार की ओर से मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, अतिरिक्त प्रधान सचिव अमित अग्गरवाल, स्वास्थ्य विभाग की एसीएस जी अनुपमा, डीएमआईईआर आदित्य दहिया और रोहतक पीजीआई के निदेशक एसएस लोहचब बैठक में मौजूद थे. बैठक के बाद एमबीबीएस डॉक्टर ने साफ तौर पर कहा कि जब तक उनकी मांगों का समाधान नहीं होता तब तक हड़ताल पर रहेंगे. छात्रों का साफ कहना था है कि उन्हें सरकारी नौकरी हर हाल में मिलनी चाहिए चाहे शहरों में हो या ग्रामीण क्षेत्र में. उन्होंने कहा कि हमने सरकार के सामने बात रखी कि अगर कोई सरकारी नौकरी को नहीं लेता तो उसको 10,00,000 की पेनल्टी लगाई जा सकती है. (MBBS doctor meeting with Haryana govt)
उनका कहना है कि सरकार डॉक्टरों की कमी की बात तो कह रही है, लेकिन सभी को सरकारी नौकरी देने का वादा नहीं कर रही है. उनका कहना है कि सरकार सीधे-सीधे तौर पर जनता का बेवकूफ बना रहे हैं और यह सरकार के अधिकारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह बॉन्ड पॉलिसी कोई सर्विस बॉन्ड नहीं है या सिर्फ सरकारी कॉलेजों की फीस 40,00,000 लेने की कोशिश है. बता दें कि करीब 1 महीने से एमबीबीएस छात्र सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं और हड़ताल पर चल रहे हैं. वहीं, सरकार इससे पहले भी एमबीबीएस डॉक्टरों के साथ दो दौर की बातचीत कर चुकी है, लेकिन वह बातचीत भी बेनतीजा रही थी. (MBBS students protest against Bond Policy in Haryana)
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