चंडीगढ़: हरियाणा में इस समय गेहूं खरीद का सीजन चल रहा है. प्रदेश भर में किसान अपनी फसलों को लेकर मंडी तक पहुंच रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण भी विकराल रूप धारण कर चुका है, सरकार की तरफ से पाबंदियां लगाई जा रही है, ऐसे में हरियाणा सरकार ने गेहूं खरीद प्रक्रिया को लेकर भी बड़ा फैसला लिया गया, सरकार ने प्रदेश में शनिवार और रविवार को गेहूं खरीद पर रोक लगा दी है.
सरकार का पक्ष है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है और मंडियों में भारी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं, ऐसे में वीकेंड पर मंडियों में संक्रमण फैलने का खतरा है, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने सरकार के इस फैसले का विश्लेषण किया किया कि आखिर गेहूं खरीद प्रक्रिया के दौरान दो दिन मंडी बंद करने से किसानों पर क्या असर पड़ेगा.
बंपर आवक, सुस्त उठान
अनाज मंडी में गेहूं की आवक बढ़ने के साथ ही अब मंडी में किसानों को फसल डालने के लिए जगह कम पड़ने लगी है. जगह नहीं मिलने के चलते कई मंडियों की गेहूं सर्विस रोड पर लगानी पड़ रही है, लेकिन मंडियों में उचित उठान व्यवस्था नहीं है. लगभग हरियाणा की सभी बड़ी मंडियों में है. ऐसे में कई किसानों और किसान संगठनों का कहना है कि सरकार ने उठान में हो रही देरी और मंडी में जगह नहीं बचने की वजह से सरकरा दो दिनों के लिए मंडी बंद कर रही है, ना कि कोरोना संक्रमण की वजह से.
बारिश में बही किसानों की मेहनत, कृषि मंत्री ने मानी गलती
प्रदेश में पिछले दो दिनों से रुक-रुक बारिश हुई. जिससे मंडियों में पड़ा गेहूं भीग गया. किसान कड़ी मेहनत कर अपनी फसल मंडी तक लाया था, ऐसे में सरकार की तरफ से सही व्यवस्था और फसल खरीद में देरी की वजह से किसानों का नुकसान हो गया. खुद हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने भी मंडियों में अव्यवस्था होने की बात मानी है. कृषि मंत्री ने कहा कि आवक ज्यादा होने व बेमौसमी बारिश के कारण कुछ कमी रही हैं, पर अधिकारियों को गेहूं सूखाकर भरने के निर्देश और शनिवार व रविवार को किसानों से मंडियों में फसल ना लाने की अपील की है.
हरियाणा में पिछले साल जब कोरोना संक्रमण की वजह से देश में लॉकडाउन था, मजदूरों के पलायन की वजह से दिक्कतें होनी चाहिए थी, उठान प्रक्रिया में भी देरी हो सकती थी, तब भी गेहूं खरीद प्रक्रिया व्यवस्थित ढंग से की गई थी, लेकिन इस साल जब सभी सही से विभाग काम कर रहे तब भी मंडियां अनाज से अटी पड़ी हैं, किसानों को अपनी फसल रखने के लिए जगह नहीं मिल रही है.
सरकार के फैसले से निजी ऐजेंसियों को होगा फायदा?
तमाम अव्यवस्थाओं के बीच मंडी में फसल खरीद प्रक्रिया प्रभावित हो रही है, इस बीच सरकार की ओर से दो दिन के लिए मंडी बंद करने का फैसला हजम नहीं रहा है. क्योंकि गेहूं खरीद के लिए आने वाले 10 दिन काफी अहम हैं. गेहूं खरीद में देरी और मौसम में हो रहे बदलाव से अपनी फसल खराब होने की वजह से किसानों को मजबूरन अपनी फसल निजी एजेंसियों को बेचनी पड़ेगी.