चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं. इस कड़ी में भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज फतेहाबाद और सिरसा जिले के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में बात करेंगे. वहीं, इस बीच भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक पर लगाने पर विरोध जताया है. उन्होंने कहा है कि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगने से किसानों को भारी नुकसान होगा. खासतौर पर पंजाब और हरियाणा के किसान इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. क्योंकि इस बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल के अच्छे रेट मिलने की उम्मीद है. इसका लाभ किसानों को मिल सकता है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि, सरकार की तरफ से धान की खरीद देरी से शुरू की जाती है. इसमें प्रति एकड़ की कैप भी लगा दी जाती है. ऐसे में 1 अक्टूबर से होने वाली सरकारी खरीद से पहले किसानों को प्राइवेट एजेंसियों को अपनी फसल बेचनी पड़ती है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल बेचने के उद्देश्य से निर्यातक किसान की फसल खरीदते हैं और किसानों को उचित रेट मिल पाते हैं. लेकिन, सरकार ने अब यह रास्ता भी बंद कर दिया है.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि, साल 2008 में यूपीए सरकार के दौरान जब निर्यात पर रोक लगाने का फैसला लिया गया था, तो मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने खुद प्रधानमंत्री से इसके बारे में बात की थी. उसके बाद यूपीए सरकार ने प्रतिबंध को हटा दिया था. इसके चलते किसानों को धान के अच्छे रेट मिले थे. अब हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार को भी केंद्र से इस बारे में बात करनी चाहिए और किसानों का पक्ष केंद्र सरकार के सामने रखना चाहिए.
इसके अलावा भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर बाढ़ प्रभावित लोगों के मुआवजे का मुद्दा भी उठाया है. उन्होंने कहा कि, बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार ने टालमटोल के मकसद से एक बार फिर जनता को पोर्टल के हवाले कर दिया है. जबकि, किसानों को खेती, दुकानदारों को कारोबार और लोगों को मकानों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए तुरंत सहायता की जरूरत है. उन्होंने कहा कि, सरकार बिना देरी किए किसानों को 40 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दे. साथ ही मकानों, दुकानदारों और अन्य कारोबारियों को हुए नुकसान का जल्द आकलन करके उन्हें भी उचित मुआवजा दे.