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मंडियों में दिखने लगा कृषि कानून का असर, दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर किसान- हुड्डा

मंडियों में किसानों को हो रही परेशानी के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होने कहा कि किसान विरोधी नए कानूनों को असर मंडियों में दिखने लगा है. किसान दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं.

leader of opposition bhupinder hooda statement on jjp-bjp alliance government for paddy procurement
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा
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Published : Oct 7, 2020, 9:43 PM IST

चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंडियों में किसानों को हो रही परेशानी के लिए गठबंधन सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि किसान कई हफ्तों से मंडियों में धान और दूसरी फसलें लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी खरीद नहीं हो रही है.

फसल की आवक के मुकाबले खरीद नहीं के बराबर है. रजिस्ट्रेशन और गेट पास के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है. सरकार नमी का बहाना बनाकर फसल खरीदने से इंकार कर रही है. जितनी भी खरीद हो रही है, उसमें भी किसानों को एमएसपी नहीं मिल पा रहा. मजबूरी में किसान औने-पौने दामों पर अपनी फसल प्राइवेट एजेंसी को बेचने को मजबूर हैं. निजी एजेंसियां किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लूट रही हैं.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये वही प्राइवेट एजेंसियां है, जिनके बारे में सरकार दावा कर रही थी कि 3 नए कानून लागू होने के बाद ये एजेंसियां फसल को एमएसपी से भी ऊंचे रेट पर खरीदेंगी, लेकिन अब क्लियर हो गया है कि प्राइवेट एजंसियां सिर्फ किसानों की फसल लूटने में लगी हैं. क्योंकि सरकार किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदने को तैयार नहीं है. सरकार ने किसानों को इन प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करने के लिए ही ये 3 किसान विरोधी कानून लागू किए गए हैं.

दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर किसान- हुड्डा

हुड्डा का आरोप है कि सरकार की अनदेखी के शिकार किसानों को अपने धान 500 से 1000 रुपये कम रेट पर बेचने पड़ रहे हैं. इसी तरह मक्का किसानों को भी प्रति क्विंटल 1 हज़ार से 12 सौ रुपये कम रेट मिल रहा है. यही हाल बाजरा, कपास और अन्य फसलों का है. हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में किसानों की हर फसल पिट रही है. मंडियां धान और दूसरी फसलों से अटी पड़ी है. किसान अपने पीले सोने को सड़क पर डालने को मजबूर है और सरकार आंख बंद किए बैठी है.

ये भी पढ़ें:-बरोदा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने बढ़ाई टिकट आवेदन की समय सीमा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सिरसा में सत्ताधारी गठबंधन सहयोगी जेजेपी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के आंदोलन को जायज ठहराया. उन्होंने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में सभी राजनीतिक दलों का फर्ज है कि वो कांग्रेस की तरह किसानों के साथ खड़े हों. इसलिए किसानों के साथ धोखा करने वाली सरकार से जेजेपी को फौरन समर्थन वापस लेना चाहिए. अब वक्त आ गया है जब सभी विधायकों को कुर्सी और किसान में से एक को चुनना पड़ेगा. जो किसान का नहीं है, वो किसी का नहीं हो सकता. उनका कहना है कि मंडी में आवक के मुकाबले खरीद 5% ही हुई है.

चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंडियों में किसानों को हो रही परेशानी के लिए गठबंधन सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि किसान कई हफ्तों से मंडियों में धान और दूसरी फसलें लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी खरीद नहीं हो रही है.

फसल की आवक के मुकाबले खरीद नहीं के बराबर है. रजिस्ट्रेशन और गेट पास के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है. सरकार नमी का बहाना बनाकर फसल खरीदने से इंकार कर रही है. जितनी भी खरीद हो रही है, उसमें भी किसानों को एमएसपी नहीं मिल पा रहा. मजबूरी में किसान औने-पौने दामों पर अपनी फसल प्राइवेट एजेंसी को बेचने को मजबूर हैं. निजी एजेंसियां किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लूट रही हैं.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये वही प्राइवेट एजेंसियां है, जिनके बारे में सरकार दावा कर रही थी कि 3 नए कानून लागू होने के बाद ये एजेंसियां फसल को एमएसपी से भी ऊंचे रेट पर खरीदेंगी, लेकिन अब क्लियर हो गया है कि प्राइवेट एजंसियां सिर्फ किसानों की फसल लूटने में लगी हैं. क्योंकि सरकार किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदने को तैयार नहीं है. सरकार ने किसानों को इन प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करने के लिए ही ये 3 किसान विरोधी कानून लागू किए गए हैं.

दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर किसान- हुड्डा

हुड्डा का आरोप है कि सरकार की अनदेखी के शिकार किसानों को अपने धान 500 से 1000 रुपये कम रेट पर बेचने पड़ रहे हैं. इसी तरह मक्का किसानों को भी प्रति क्विंटल 1 हज़ार से 12 सौ रुपये कम रेट मिल रहा है. यही हाल बाजरा, कपास और अन्य फसलों का है. हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में किसानों की हर फसल पिट रही है. मंडियां धान और दूसरी फसलों से अटी पड़ी है. किसान अपने पीले सोने को सड़क पर डालने को मजबूर है और सरकार आंख बंद किए बैठी है.

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सिरसा में सत्ताधारी गठबंधन सहयोगी जेजेपी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के आंदोलन को जायज ठहराया. उन्होंने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में सभी राजनीतिक दलों का फर्ज है कि वो कांग्रेस की तरह किसानों के साथ खड़े हों. इसलिए किसानों के साथ धोखा करने वाली सरकार से जेजेपी को फौरन समर्थन वापस लेना चाहिए. अब वक्त आ गया है जब सभी विधायकों को कुर्सी और किसान में से एक को चुनना पड़ेगा. जो किसान का नहीं है, वो किसी का नहीं हो सकता. उनका कहना है कि मंडी में आवक के मुकाबले खरीद 5% ही हुई है.

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