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'बीजेपी और आरएसएस आरक्षण को खत्म करना चाहती है' - kumari selja on rss reservation policy

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-आरएसएस किसी न किसी तरीके से आरक्षण को देश के संविधान से निकालने की कोशिश कर रहे हैं. उनका मानना है कि केंद्र सरकार और बीजेपी की राज्य सरकारें एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय कर रही हैं.

kumari selja on BJP govt reservation policy
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Published : Jul 4, 2020, 3:17 PM IST

चंडीगढ़: आरक्षण को लेकर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भाजपा सरकार और आरएसएस पर बड़ा वार किया है. उनका आरोप है कि दोनों मिलकर आरक्षण को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस किसी न किसी तरीके से आरक्षण को देश के संविधान से निकालने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले कई वर्षों में ऐसे कई मौके आए जब भाजपा और आरएसएस की आरक्षण विरोधी मानसिकता का पर्दाफाश हुआ है.

सैलजा ने कहा कि 2015 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने खुद कहा था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए. उसके बाद दिल्ली में रविदास मंदिर को तोड़ा गया. भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी कह चुके हैं कि हमारी सरकार आरक्षण को उस स्तर पर पहुंचा देगी, जहां उसका होना या नहीं होना बराबर होगा.

सैलजा ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी के इस कथन से भाजपा सरकार की आरक्षण को अन्य तरीकों से खत्म करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ था. इसी का नतीजा है कि केंद्र सरकार ने नौकरशाही में बाहर के क्षेत्रों से जानकारों को लाने की एक नई प्रणाली लागू की, जिसमें उम्मीदवारों से कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी और उनकी नियुक्तियों में कोई आरक्षण भी लागू नहीं होगा.

'लेटरल एंट्री से आरक्षण को किया जा रहा खत्म'

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अभी यूपीएसससी की सिविल सर्विस परीक्षा में कम से कम 50 प्रतिशत अफसर एससी-एसटी-ओबीसी कैटेगरी से आते हैं, वैसा इन नियुक्तियों में नहीं होगा. इसे लेटरल एंट्री नाम दिया गया है. वर्ष 2017 में सरकार ने बताया कि 747 अफसर डायरेक्टर और ऊपरी रैंक के हैं, जिनमें से सिर्फ 8 प्रतिशत एससी समुदाय और 3 प्रतिशत एसटी वर्ग के थे. अब लेटरल एंट्री इस नंबर को और कम कर देगी. ये लेटरल एंट्री इस सरकार की आरक्षण को खत्म करने की साजिश का एक बड़ा उदाहरण है.

कुमारी सैलजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी महीने में कहा गया कि राज्य सरकारें पदोन्नति में आरक्षण मुहैया करने के लिए बाध्य नहीं हैं. भाजपा की उत्तराखंड सरकार की गलत दलील के आधार पर न्यायालय ने ऐसा फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि नीट (NEET) के जरिए मेडिकल संस्थानों में होने वाले दाखिले के संदर्भ में ओबीसी छात्रों को आरक्षण की सुविधा नहीं मिल पा रही.

'पहले ये सरकारी नौकरियों को खत्म करेंगे और फिर आरक्षण को'

कुमारी सैलजा ने कहा कि आरक्षण को खत्म करने की साजिश ही है कि सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों को खत्म किया जा रहा है और सरकारी सेक्टरों का निजीकरण किया जा रहा है. रेलवे इसका ताजा उदाहरण है. ये एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों पर इस सरकार का वार है. इससे इन वर्गों को सीधा नुकसान होगा.

कुमारी सैलजा ने हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आरक्षण को खत्म करने की साजिश के तहत हरियाणा सरकार ने अभी हाल ही में फैसला लिया कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. जिस कारण प्रदेश में हजारों एससी, बीसी वर्ग के कर्मचारी इससे प्रभावित होंगे. प्रदेश सरकार की ओर से 15 नवंबर 2018 को पत्र जारी करके रोस्टर सिस्टम से प्रमोशन का प्रावधान किया गया था, लेकिन अब सरकार आरक्षण को खत्म करने के लिए नए-नए पत्र जारी कर रही है.

कुमारी सैलजा ने रखी ये मांग

सैलजा ने कहा कि समानता और सामाजिक न्याय के निष्पादन के लिए वो आग्रह करती हैं कि केंद्र सरकार को तुरंत इन मुद्दों पर अपना मत स्पष्ट करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को आरक्षण पर की गई टिप्पणी पर पुनर्विचार करना चाहिए. इसके साथ ही लोकसभा में लंबित 117वें संविधान संसोधन बिल 2012 को पारित करवाकर एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला जाए.

चंडीगढ़: आरक्षण को लेकर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भाजपा सरकार और आरएसएस पर बड़ा वार किया है. उनका आरोप है कि दोनों मिलकर आरक्षण को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस किसी न किसी तरीके से आरक्षण को देश के संविधान से निकालने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले कई वर्षों में ऐसे कई मौके आए जब भाजपा और आरएसएस की आरक्षण विरोधी मानसिकता का पर्दाफाश हुआ है.

सैलजा ने कहा कि 2015 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने खुद कहा था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए. उसके बाद दिल्ली में रविदास मंदिर को तोड़ा गया. भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी कह चुके हैं कि हमारी सरकार आरक्षण को उस स्तर पर पहुंचा देगी, जहां उसका होना या नहीं होना बराबर होगा.

सैलजा ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी के इस कथन से भाजपा सरकार की आरक्षण को अन्य तरीकों से खत्म करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ था. इसी का नतीजा है कि केंद्र सरकार ने नौकरशाही में बाहर के क्षेत्रों से जानकारों को लाने की एक नई प्रणाली लागू की, जिसमें उम्मीदवारों से कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी और उनकी नियुक्तियों में कोई आरक्षण भी लागू नहीं होगा.

'लेटरल एंट्री से आरक्षण को किया जा रहा खत्म'

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अभी यूपीएसससी की सिविल सर्विस परीक्षा में कम से कम 50 प्रतिशत अफसर एससी-एसटी-ओबीसी कैटेगरी से आते हैं, वैसा इन नियुक्तियों में नहीं होगा. इसे लेटरल एंट्री नाम दिया गया है. वर्ष 2017 में सरकार ने बताया कि 747 अफसर डायरेक्टर और ऊपरी रैंक के हैं, जिनमें से सिर्फ 8 प्रतिशत एससी समुदाय और 3 प्रतिशत एसटी वर्ग के थे. अब लेटरल एंट्री इस नंबर को और कम कर देगी. ये लेटरल एंट्री इस सरकार की आरक्षण को खत्म करने की साजिश का एक बड़ा उदाहरण है.

कुमारी सैलजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी महीने में कहा गया कि राज्य सरकारें पदोन्नति में आरक्षण मुहैया करने के लिए बाध्य नहीं हैं. भाजपा की उत्तराखंड सरकार की गलत दलील के आधार पर न्यायालय ने ऐसा फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि नीट (NEET) के जरिए मेडिकल संस्थानों में होने वाले दाखिले के संदर्भ में ओबीसी छात्रों को आरक्षण की सुविधा नहीं मिल पा रही.

'पहले ये सरकारी नौकरियों को खत्म करेंगे और फिर आरक्षण को'

कुमारी सैलजा ने कहा कि आरक्षण को खत्म करने की साजिश ही है कि सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों को खत्म किया जा रहा है और सरकारी सेक्टरों का निजीकरण किया जा रहा है. रेलवे इसका ताजा उदाहरण है. ये एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों पर इस सरकार का वार है. इससे इन वर्गों को सीधा नुकसान होगा.

कुमारी सैलजा ने हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आरक्षण को खत्म करने की साजिश के तहत हरियाणा सरकार ने अभी हाल ही में फैसला लिया कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. जिस कारण प्रदेश में हजारों एससी, बीसी वर्ग के कर्मचारी इससे प्रभावित होंगे. प्रदेश सरकार की ओर से 15 नवंबर 2018 को पत्र जारी करके रोस्टर सिस्टम से प्रमोशन का प्रावधान किया गया था, लेकिन अब सरकार आरक्षण को खत्म करने के लिए नए-नए पत्र जारी कर रही है.

कुमारी सैलजा ने रखी ये मांग

सैलजा ने कहा कि समानता और सामाजिक न्याय के निष्पादन के लिए वो आग्रह करती हैं कि केंद्र सरकार को तुरंत इन मुद्दों पर अपना मत स्पष्ट करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को आरक्षण पर की गई टिप्पणी पर पुनर्विचार करना चाहिए. इसके साथ ही लोकसभा में लंबित 117वें संविधान संसोधन बिल 2012 को पारित करवाकर एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला जाए.

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