चंडीगढ़: 15 जुलाई को दुनिया भर में इंटरनेशनल प्लास्टिक सर्जरी डे (International Plastic Surgery Day) के तौर पर मनाया जाता है. इस मौके पर चंडीगढ़ पीजीआई की ओर से उस प्लास्टिक सर्जरी को याद किया गया, जिसकी सफलता पर देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी चंडीगढ़ पीजीआई के काम को सराहा गया था.
दरअसल, 12 अप्रैल, 2020 को पंजाब के पटियाला में कर्फ्यू पास मांगने पर भड़के निहंगों ने तलवार से हमला करके एसआई हरजीत सिंह की कलाई हाथ से अलग कर दी थी. इसके बाद हरजीत सिंह को चंडीगढ़ पीजीआई रेफर कर दिया गया था. यहां पर उनके हाथ को जोड़ने के लिए ऑपरेशन किया गया जो करीब साढ़े सात घंटे चला था. 9 डॉक्टर्स की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था.
अब एसआई हरजीत सिंह का हाथ पहले की तरह ही काम कर रहा है. ये ऑपरेशन काफी जटिल था और इस ऑपरेशन का सफल होना किसी चमत्कार से कम नहीं था, लेकिन डॉक्टरों ने इस चमत्कार को कर दिखाया था और इस ऑपरेशन की काफी तारीफ की गई थी.
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इस मौके पर एसआई हरजीत सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उस दिन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि वो 12 अप्रैल 2020 के दिन ड्यूटी पर थे. कुछ लोग लॉकडाउन का पालन नहीं कर रहे थे. उनकी गाड़ी पुलिस की ओर से लगाए गए बैरिकेड में फंस गई थी, जो निकल नहीं पा रही थी. इसी दौरान एक व्यक्ति (निहंग) उस गाड़ी में से निकला और उसने उनपर तलवार से हमला कर दिय. जिससे उनका हाथ कट गया.
एएसआई हरजीत सिंह ने कहा कि वो वक्त उनके लिए बेहद मुश्किल भरा था, लेकिन फिर भी उनके मन में ये उम्मीद थी कि उनका हाथ फिर से ठीक हो जाएगा, जो पीजीआई डॉक्टरों ने कर दिखाया है.
हरजीत सिंह ने कहा कि अब वो अपने ठीक हुए हाथ से लगभग सभी तरह के काम कर पाते हैं. वो कपड़े पहन सकते हैं, पगड़ी बांध सकते हैं, खाना खा सकते हैं और कार भी ड्राइव कर सकते हैं. उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कोई कमी महसूस नहीं होती. फिलहाल उनका हाथ 90 से 95 प्रतिशत तक ठीक काम कर रहा है, जो आने वाले वक्त में 100 फीसदी भी काम करने लगेगा.
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वहीं चंडीगढ़ पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. आरके शर्मा ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन में सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि कटे अंग को सही सलामत और कम वक्त में अस्पताल तक पहुंचा दिया जाए, ताकि समय रहते उसे शरीर से जोड़ा जा सके.
डॉक्टर आरके शर्मा ने बताया कि हरजीत सिंह को पटियाला से चंडीगढ़ पीजीआई लाने के लिए ग्रीन कोरिडोर बनाया गया था और महज एक घंटे के भीतर हरजीत सिंह पीजीआई पहुंच चुके थे. जिसके तुरंत बाद उनका ऑपरेशन शुरू कर दिया गया था.