चंडीगढ़: मेयर का डायरेक्ट चुनाव पिछली बार भाजपा के लिए एक टॉनिक साबित हुआ था. पांचों नगर निगमों में मेयर की कुर्सी भाजपा की झोली में आ गई थी, लेकिन इस बार ये राह मुश्किल साबित हो सकती है, क्योंकि इस बार इन चुनावों के लिए बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष अनिल विज इस पक्ष में नही हैं कि इन चुनावों में मेयर की सीट के लिए चुनाव डायरेक्ट करवाये जाएं. गृह मंत्री के इस रुख के बाद एक बार फिर से सीएम और गृह मंत्री के बीच तलवारे खिंच गई हैं.
मेयर का डायरेक्ट चुनाव संविधान में नहीं: विज
बता दें कि मुख्यमंत्री मानोहरलाल इस पक्ष में हैं कि मेयर के चुनाव पिछली बार की तरह डायरेक्ट करवाएं जाए. वहीं इन चुनावों के लिए बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष अनिल विज इस के खिलाफ हैं, उन का तर्क है कि इस तरह की रूप रेखा संविधान में नहीं है और अगर यह परंपरा जारी रखनी है तो पहले ऊपर के क्रम से इस तरह की शुरुआत होनी चाहिए. अनिल विज चंडीगढ़ में अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं तो वहीं हाल ही में कैथल दौरे के दौरान मुख्यमंत्री भी अपना स्टैंड क्लियर कर चुके हैं.
एक मंत्री के कहने से कुछ नहीं होता: सीएम
अनिल विज की मंशा के बारे में जब मुख्यमंत्री मानोहर लाल से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले सभी मिल कर लेते हैं और एक मंत्री के कहने से कुछ नही होता है. उन्होंने कहा इस पहले भी पांचों नगर निगम के मेयर के चुनाव डायरेक्ट हुए थे और अब स्थानीय निकाय के जो चुनाव होंगे वे डायरेक्ट ही करवाएं जाएंगे.
चुनाव पर पूर्ण विचार होना चाहिए: गृह मंत्री
मुख्यमंत्री के स्टैंड पर जब गृह मंत्री अनिल विज से सवाल किया गया. जिस पर गृह मंत्री ने कहा कि यह ठीक बात है कि यह फैसला सामूहिक लिया गया था, लेकिन अगर कोई फैसला गलत लिया गया है तो उस पर भी पूर्ण विचार होना चाहिए. यह प्रजातंत्र का हिस्सा है. विज ने निजी विचार बताते हुए कहा कि मुझे लगता है कि डायरेक्ट चुनाव ठीक नहीं है इस पर पूर्ण विचार जरूर होना चाहिए.
3 नगर निगम समेत कई नगर परिषदों में होंगे चुनाव
बतादें हरियाणा में कुछ ही दिन में अंबाला, पंचकूला और सोनीपत नगर निगम समेत कुछ नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के चुनाव होने हैं, 2018 में निगमों में पहली बार डायरेक्ट मेयर का चुनाव हुआ था. साल 2018 में बीजेपी ने हरियाणा में अपने पक्ष में जबरदस्त माहौल बनाया था.
इस साल के आखिर में बीजेपी ने पांच निगमों के चुनाव में तमाम विरोधियों का सफाया कर दिया था और पांचों निगमों पर कब्जा जमाया था. इस सब के बाद अब यह साफ दिखता है कि पहले की तरह इस बार भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृह मंत्री अनिल विज के बीच यह विषय लंबा खिंच सकता है और इस मे जीत किस की होगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा.
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