चंडीगढ़: 6500, ये वो भाषाएं है जो दुनियाभर में बोली और लिखी-पढ़ी जाती हैं. इन हजारों भाषाओं में एक भाषा ऐसी भी है जो पूरे विश्व में अपनी जगह बनाए हुए है. हम बात हिंदी की कर रहे हैं. ये वही हिंदी भाषा है जिसके कई शब्द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने भी अपनाए हैं. जैसे आधार और बापू. दुख की बात ये है की आज जिस हिंदी को पूरा विश्व जानता है. उसी हिंदी को हिंदुस्तान के लोग ही भूल गए हैं. लिखना तो छोड़िए लोग हिंदी बोलने में भी शर्म महसूस करते हैं.
क्यों युवाओं को हिंदी बोलने में आती है शर्म ?
14 सितंबर को पूरा देश हिंदी दिवस के रूप में मना रहा है. कोशिश की जा रही है कि हिंदी को उसकी खोई हुई पहचान वापिस दिलाई जा सके. माना जाता है कि अगर हिंदी को उसकी खोई पहचान और सम्मान दिलाना है तो इसके लिए देश के युवाओं को आगे आना होगा. जिस देश के सभी युवा हिंदी बोलने में शर्म नहीं करेंगी. उस दिन में हिंदी दिवस की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
क्यों हिंदी से ज्यादा इंग्लिश बोलते हैं देश के युवा ?
हिंदी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने पंजाब यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों से बातचीत की. हमने उनसे बात कर ये जानने की कोशिश की आखिर वो हिंदी बोलने में खुद को कितना सहज महसूस करते हैं? हिंदी को लेकर उनकी क्या राय है?
हिंदी सबकी लेकिन हिंदी का कौन ?
जब हिंदी को लेकर युवाओं से बात की गई तो युवाओं की ओर से कई तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली. इन युवाओं का कहना था कि हालांकि हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें हिंदी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करना चाहिए, लेकिन इस वक्त देश में ऐसी मानसिकता है कि अगर हम अपनी बात को इंग्लिश में रखेंगे तो ही सामने वाला हमारी बात को ज्यादा गंभीरता से लेगा.
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'नौकरी के लिए इंग्लिश आनी जरूरी है'
इन छात्रों ने कहा कि वो जहा भी नौकरी के लिए जाते हैं वहां इंटरव्यू में उन्हें इंग्लिश में ही बात करनी पड़ती है, इसलिए इंग्लिश का आना उनके लिए बेहद जरूरी है. नेपाल से आई एक छात्रा ने बताया की हिंदी बहुत अच्छी भाषा है. नेपाल में भी बहुत से लोग हिंदी में ही बात करते हैं. हालांकि वहां ज्यादातर लोग नेपाली भाषा बोलते हैं, लेकिन लगभग सभी लोगों को हिंदी भाषा बोलनी आती है और वो हिंदी में बात भी करते हैं.
हिंदी के लिए सिर्फ 1 दिन !
छात्रों ने ये भी कहा कि साल में सिर्फ 1 दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है. ये काफी नहीं है. हमें पूरा साल लोगों को हिंदी को लेकर जागरूक करना चाहिए. जिससे हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को हिंदी भाषा के साथ जोड़ सकें. साल में सिर्फ 1 दिन हिंदी भाषा की बात करना और फिर पूरा साल इस बारे में कोई बात ना करना, इससे हिंदी को बढ़ावा नहीं मिल सकता है.