करनाल: आज 14 सितंबर यानी हिंदी दिवस (Hindi Day) है. आज हर सोशल मीडिया फर लोग हिंदी दिवस की बधाइयां देते नजर आ रहे हैं. राजनेता हों या अभिनेता हिंदी को अपनी प्यारी भाषा के तौर पर बखान करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, लेकिन सोचने वाली बात है कि कथित मॉडर्न युग में लोगों के दिलों में हिंदी भाषा को इतनी अहमियत नहीं (Hindi Language Negligence) दी जा रही है. यहां तक की सरकार की पॉलिसी का प्रतिनिधत्व करने वाले सरकारी विभाग भी हिंदी भाषा की अवहेलना करते नजर आते हैं.
वैसे तो अग्रेजी की होड़ में हिंदी भाषा की अनदेखी करीब-करीब पूरे देश में हो रही है, लेकिन आज बात हम हरियाणा के करनाल जिले की करते हैं. पूरे शहर के निजी जन प्रतिष्ठानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों पर भी अंग्रेजी भाषा का ही बोलबाला दिखाई देता है. यही नहीं विभागों में जो फॉर्म भरे जाते हैं वो भी ज्यादातर अंग्रेजी में ही होते हैं. ऐसे में आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जो कि बेहद गलत है और हिंदी का अपमान भी है.
हिंदी की होती इस अनदेखी पर भारतीय भाषा अभियान आंदोलन के प्रदेश उपाध्यक्ष दलीप चांदना ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत की. उन्होंने बताया कि संस्था की तरफ से साल 2014 से हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई अभियान चलाये गए. दलीप चांदना ने कहा कि मांग पत्र सौपे गए, 2147 किलोमीटर की न्यायिक आग्रह पैदल यात्रा कर जनता जनार्दन को जागरुक किया गया. इस हिन्दी अभियान के साथ जुड़ कर न्यायालयों में हिंदी में काम हो, इसके लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री के फैसले के साथ डिक्री शीट यानी अधिकारिक निर्णय हिंदी में तैयार करने बारे हरियाणा के सभी न्यायाधीशों को अधिसूचना जारी की गई.
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दलीप चांदना ने बताया कि न्यायालयों में थोड़ा अंतर दिखने को मिलना शुरू हो गया है, लेकिन इतने भर से हिंदी को वो सम्मान नहीं मिल सकता जो हम चाहते हैं अभी और कोशिशें करनी होंगी. हरियाणा में सरकारी कार्यालयों में आला अधिकारी ही हरियाणा राजभाषा नियम 1969 की धज्जियां उड़ा रहे है. हरियाणा सरकार की ओर से निर्देशित करने के बाबजूद कार्यालयों में लगी नाम पटिकाएं तक अंग्रेजी में लिखी हुई है, जिन्हें अभी तक भी हटाया नहीं गया.
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जिला अतिरिक्त उपायुक्त योगेश के मुताबिक लगभग 70 से 75 साल हो गए देश को आजाद हुए. अंग्रेज जाते-जाते विरासत में अंग्रेजी दे गए. जितने भी कामकाज का होना सब अंग्रेजी में मिला. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे हम हिंदी की ओर बढ़ रहे है, हिंदी पखवाड़ों के आयोजन किये जा रहे है. वो दिन दूर नहीं जब हम हिंदी में काम करने के मुकाम तक पहुंचेगे.
बहरहाल, हाल-ए-हिंदी की हकीकत किसी से छिपी नहीं है. 14 सितम्बर को हम बस हिंदी दिवस मनाते है, लेकिन इसे आत्मसात नहीं कर पाते. हिंदी को सही सम्मान देने के लिए हमें समझना होगा कि ये सिर्फ एक भाषा नहीं है, ये हमारी पहचान है और हमारे देश का गौरव है.
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