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8 ब्लॉकों में धान की खेती पर लगाए गए सरकारी प्रतिबंध पर हाईकोर्ट का स्टे - हरियाणा डार्क जोन धन पाबंदी

हरियाणा सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत 8 डार्क जोन क्षेत्रों में धान की खेती पर पाबंदी लगा दी थी. इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले पर स्टे लगा दिया है.

High court stay on government ban on paddy cultivation in 8 blocks
8 ब्लॉकों में धान की खेती पर लगाए गए सरकारी प्रतिबंध पर हाईकोर्ट का स्टे
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Published : Jun 18, 2020, 11:13 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में धान ना बोने के आदेश पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने ये रोक किसानों की हरियाणा सरकार की पंचायत से पट्टे पर ली गई भूमि पर धान ना बोने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को एडमिट करते हुए लगाई है.

याचिका के जरिए किसानों ने कोर्ट को बताया कि पीने के पानी के लिए या कृषि प्रयोजन के लिए ट्यूबवेल स्थापित करने पर उनके क्षेत्र में कोई प्रतिबंध नहीं है. इस तरह पूरे-पूरे ब्लॉकों को अधिसूचना के तहत रखा जाना कानून की नजर में उचित नहीं है. उनके यहां पानी की कोई कमी नहीं है. इसके अलावा अगर यहा धान की खेती नहीं की गई तो पानी के कारण उनकी जमीन खराब हो सकती है.

याचिका लगाने वाले किसानों का कहना है कि परिस्थितियां अलग होने के बावजूद सरकार ने सभी को एक आंख से देखकर उनके गांव को भी उन ब्लाक में शामिल कर दिया. सरकार का कहना है कि ब्लॉक में पानी का लेवल खतरनाक स्तर पर है, जबकि ऐसा नहीं है.

बगैर वैज्ञानिक जांच के लगाई रोक

याचिका में बताया गया कि मेरा पानी मेरी विरासत नीति के तहत सरकार ने बगैर किसी वैज्ञानिक जांच के उनके गांवों में पंचायती जमीन पट्टे पर लेकर उसमें धान की फसल लगाने पर रोक लगा दी. कोर्ट को बताया गया कि उनके गांव में पानी का स्तर 30-35 मीटर है जबकि सरकार ने धान की खेती पर रोक के लिए 40 मीटर से अधिक का स्तर रखा है.

ये भी पढ़िए: नहीं दिया ध्यान तो बूंद-बूंद को तरस जाएंगे, इसलिए इस बरसात करें जल संरक्षण

चंडीगढ़: हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में धान ना बोने के आदेश पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने ये रोक किसानों की हरियाणा सरकार की पंचायत से पट्टे पर ली गई भूमि पर धान ना बोने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को एडमिट करते हुए लगाई है.

याचिका के जरिए किसानों ने कोर्ट को बताया कि पीने के पानी के लिए या कृषि प्रयोजन के लिए ट्यूबवेल स्थापित करने पर उनके क्षेत्र में कोई प्रतिबंध नहीं है. इस तरह पूरे-पूरे ब्लॉकों को अधिसूचना के तहत रखा जाना कानून की नजर में उचित नहीं है. उनके यहां पानी की कोई कमी नहीं है. इसके अलावा अगर यहा धान की खेती नहीं की गई तो पानी के कारण उनकी जमीन खराब हो सकती है.

याचिका लगाने वाले किसानों का कहना है कि परिस्थितियां अलग होने के बावजूद सरकार ने सभी को एक आंख से देखकर उनके गांव को भी उन ब्लाक में शामिल कर दिया. सरकार का कहना है कि ब्लॉक में पानी का लेवल खतरनाक स्तर पर है, जबकि ऐसा नहीं है.

बगैर वैज्ञानिक जांच के लगाई रोक

याचिका में बताया गया कि मेरा पानी मेरी विरासत नीति के तहत सरकार ने बगैर किसी वैज्ञानिक जांच के उनके गांवों में पंचायती जमीन पट्टे पर लेकर उसमें धान की फसल लगाने पर रोक लगा दी. कोर्ट को बताया गया कि उनके गांव में पानी का स्तर 30-35 मीटर है जबकि सरकार ने धान की खेती पर रोक के लिए 40 मीटर से अधिक का स्तर रखा है.

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