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चंडीगढ़ के हेरिटेज पेड़ों की हालत दयनीय, इंजीनियरिंग और वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप

चंडीगढ़ के हेरिटेज पेड़ों के लिए प्रशासन द्वारा किए जा रहे काम को लेकर चंडीगढ़ हेरिटेज कमेटी के अपनी रिपोर्ट में इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट और वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रखरखाव की कमी के कारण चंडीगढ़ के हेरिटेज पेड़ आए दिन गिर रहे हैं. (heritage trees in chandigarh)

heritage trees in chandigarh
चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़.
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Published : May 21, 2023, 1:49 PM IST

चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़.

चंडीगढ़: पिछले साल कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल सेक्टर-9 में पेड़ गिरा था जिसके कारण एक बच्ची की जान भी चली गई. वहीं, इस संबंध में रिटायर्ड जस्टिस जितेंद्र चौहान द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन को एक रिपोर्ट सौंपी गई है. इन 51 पन्नों की रिपोर्ट में चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया है. बता दें कि 2022 जुलाई में सेक्टर-9 स्थित कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल में पेड़ गिरा था. इस हादसे में मौके पर एक छोटी बच्ची की मौत हो गई थी. वहीं, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा संज्ञान लेते हुए एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस जितेंद्र चौहान को नियुक्त किया था. जिन्होंने बीते दिन चंडीगढ़ हेरिटेज कमेटी के प्रधान शहर के एडवाइजर को रिपोर्ट सौंपी दी है.

चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़ों को बचाने की मुहिम: वहीं, शहर के एनवायरमेंट एक्टिविस्ट राहुल महाजन पिछले लंबे समय से हेरिटेज पेड़ों को बचाने और उनकी देखभाल कर रहे हैं. जिसके लिए वे कई नेशनल अवार्ड भी जीत चुकी है. ऐसे में उनसे जानेंगे कि हेरिटेज पेड़ों के स्थिति क्या है और उसकी देखरेख करने के लिए क्या किया जा रहा है.

Environment activist Rahul Mahajan
एनवायरमेंट एक्टिविस्ट राहुल महाजन

इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट पर सवाल: रिपोर्ट के मुताबिक चंडीगढ़ के हेरिटेज पेड़ों के लिए प्रशासन द्वारा किए जा रहे काम को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में प्रशासन के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि शहर के अंदर मौजूद हेरिटेज का कैसे ख्याल रखा जाए इसके बारे में किसी को कोई अनुभव नहीं है कि इन पेड़ के अंदर क्या इन्फेक्शन हैं. हर पेड़ को लेकर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ओर‌ कहीं न कहीं हॉर्टिकल्चर की लापरवाही बताई गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हेरिटेज पेड़ों को ध्यान रखने का न तो काई प्रोटोकॉल और ना ही सपोर्ट है.

एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट के अनुसार शहर में एक भी एक्सपर्ट नहीं है जो इन पेड़ों की रेगुलर विजिट कर सके और ना ही अधिकारियों की ओर से किसी विभाग को इस संबंध में ट्रेनिंग दिलाई गई है. हेरिटेज पेड़ों को लेकर प्रशासन की तरफ से कस्टोडियन के जवाब को लेकर कुछ नहीं है. हादसा होने के बाद अधिकारियों द्वारा आदेश दिए गए थे कि हेरिटेज पेड़ों की रिजर्वेशन के लिए हर 2 साल बाद फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून की टीम विजिट करेगी और रिपोर्ट देगी. हालांकि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हो पाया है.

heritage trees in chandigarh
चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़ों के अलावा पुराने पेड़ों की समय-समय पर होगी चेकिंग.

हेरिटेज के अलावा पुराने पेड़ों की समय-समय पर की जाएगी चेकिंग: इंक्वायरी रिपोर्ट में सिफारिश रिटायर्ड जस्टिस चौहान ने सिफारिश की कि स्कूल अथॉरिटी को उनके कैंपस के स्थित पेड़ों को हेल्दी रखने के लिए ट्रेनिंग दी जानी चाहिए साथ ही रेगुलर इंस्पेक्शन भी की जानी चाहिए. हेरिटेज पेड़ों के साथ पुराने पेड़ों की समय-समय पर चेकिंग की जाएगी. इसके लिए प्रशासन अल्ट्रासोनिक मशीन खरीदी जाए.

वहीं, पेड़ गिरने की हादसे में जिस बच्चे की मौत हुई उसके परिवार को इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट एक करोड़ रुपए का मुआवजा दे. जिस बच्ची ने इस हादसे में अपनी एक बाजू गंवा चुकी है उसको प्रशासन 50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए. इसी हादसे में गंभीर रूप से घायल अटेंडेंट शीला देवी के इलाज का पूरा खर्च प्रशासन उठाए बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए जो काम शीला देवी ने किया उसके लिए क्वालिफिकेशन के हिसाब से जॉब ऑफर की जाए.

heritage trees in chandigarh
चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़.

पेड़ की मेंटेनेंस हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास: एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट राहुल महाजन बताया कि जिस स्कूल के पेड़ के नीचे आकर एक छोटी बच्ची की मौत हुई थी, उस पेड़ की मेंटेनेंस हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास है. वहीं, हॉर्टिकल्चर और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट चंडीगढ़ द्वारा बोर्ड लगाने से इन पेड़ों को गिरने से बचाया नहीं जा सकता. रिटायर्ड जस्टिस जितेंद्र चौहान द्वारा जो रिपोर्ट पेश की गई है, उसमें उस बच्ची व अन्य घायल लोगों को जो मुआवजा देने की बात कही गई है वह सही है. लेकिन, इन मामलों में भेदभाव नहीं होना चाहिए. क्योंकि, सेक्टर-9 के हादसे के 1 महीने बाद एक रिक्शा वाले की भी मौत ऐसे ही पेड़ के नीचे आने से हो गई थी. जिसके बारे में न तो रिपोर्ट में कुछ कहा गया है और ना ही प्रशासन द्वारा उसके परिजनों को कोई मुआवजा दिया गया है.

उन्होंने बताया कि, 'मैं लंबे समय से हेरिटेज ‌पेडों को लेकर आरटीआई डाल रहा हूं. हाल ही में नगर निगम द्वारा आरटीआई में जवाब दिया गया है कि वे किसी भी तरह का कंपनसेशन नहीं देते हैं. जबकि यह कोई कुदरती तौर पर हादसा नहीं है. इन पेड़ों की देखभाल में कमी रखी जाती है, जिसके चलते यह पेड़ थोड़े से तूफान में भी गिर जाते हैं.'

'हेरिटेज पेड़ों के लिए एक मेंटेनेंस बुक की जरूरत': चंडीगढ़ वन विभाग द्वारा हेरिटेज पेड़ों की जो लिस्ट दी गई है उसमें 31 पेड़ों में से तीन पेड़ कट चुके हैं. अगर 100 साल पुरानी बात करें तो शहर में लगभग 150 से 200 पेड़ हेरिटेज पेड़ों के अंदर आते हैं. इन सभी हेरिटेज पेड़ों के लिए एक मेंटेनेंस बुक होनी चाहिए, जिसमें इनकी उम्र बीमारी व इनके रखरखाव की जानकारी मौजूद हो.

ये भी पढ़ें: Egg Of The Sun : ठगी के लिए 'बदनाम' जामताड़ा में दुनिया के दुर्लभ और सबसे महंगे आमों की खेती

चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़.

चंडीगढ़: पिछले साल कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल सेक्टर-9 में पेड़ गिरा था जिसके कारण एक बच्ची की जान भी चली गई. वहीं, इस संबंध में रिटायर्ड जस्टिस जितेंद्र चौहान द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन को एक रिपोर्ट सौंपी गई है. इन 51 पन्नों की रिपोर्ट में चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया है. बता दें कि 2022 जुलाई में सेक्टर-9 स्थित कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल में पेड़ गिरा था. इस हादसे में मौके पर एक छोटी बच्ची की मौत हो गई थी. वहीं, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा संज्ञान लेते हुए एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस जितेंद्र चौहान को नियुक्त किया था. जिन्होंने बीते दिन चंडीगढ़ हेरिटेज कमेटी के प्रधान शहर के एडवाइजर को रिपोर्ट सौंपी दी है.

चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़ों को बचाने की मुहिम: वहीं, शहर के एनवायरमेंट एक्टिविस्ट राहुल महाजन पिछले लंबे समय से हेरिटेज पेड़ों को बचाने और उनकी देखभाल कर रहे हैं. जिसके लिए वे कई नेशनल अवार्ड भी जीत चुकी है. ऐसे में उनसे जानेंगे कि हेरिटेज पेड़ों के स्थिति क्या है और उसकी देखरेख करने के लिए क्या किया जा रहा है.

Environment activist Rahul Mahajan
एनवायरमेंट एक्टिविस्ट राहुल महाजन

इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट पर सवाल: रिपोर्ट के मुताबिक चंडीगढ़ के हेरिटेज पेड़ों के लिए प्रशासन द्वारा किए जा रहे काम को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में प्रशासन के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि शहर के अंदर मौजूद हेरिटेज का कैसे ख्याल रखा जाए इसके बारे में किसी को कोई अनुभव नहीं है कि इन पेड़ के अंदर क्या इन्फेक्शन हैं. हर पेड़ को लेकर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ओर‌ कहीं न कहीं हॉर्टिकल्चर की लापरवाही बताई गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हेरिटेज पेड़ों को ध्यान रखने का न तो काई प्रोटोकॉल और ना ही सपोर्ट है.

एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट के अनुसार शहर में एक भी एक्सपर्ट नहीं है जो इन पेड़ों की रेगुलर विजिट कर सके और ना ही अधिकारियों की ओर से किसी विभाग को इस संबंध में ट्रेनिंग दिलाई गई है. हेरिटेज पेड़ों को लेकर प्रशासन की तरफ से कस्टोडियन के जवाब को लेकर कुछ नहीं है. हादसा होने के बाद अधिकारियों द्वारा आदेश दिए गए थे कि हेरिटेज पेड़ों की रिजर्वेशन के लिए हर 2 साल बाद फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून की टीम विजिट करेगी और रिपोर्ट देगी. हालांकि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हो पाया है.

heritage trees in chandigarh
चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़ों के अलावा पुराने पेड़ों की समय-समय पर होगी चेकिंग.

हेरिटेज के अलावा पुराने पेड़ों की समय-समय पर की जाएगी चेकिंग: इंक्वायरी रिपोर्ट में सिफारिश रिटायर्ड जस्टिस चौहान ने सिफारिश की कि स्कूल अथॉरिटी को उनके कैंपस के स्थित पेड़ों को हेल्दी रखने के लिए ट्रेनिंग दी जानी चाहिए साथ ही रेगुलर इंस्पेक्शन भी की जानी चाहिए. हेरिटेज पेड़ों के साथ पुराने पेड़ों की समय-समय पर चेकिंग की जाएगी. इसके लिए प्रशासन अल्ट्रासोनिक मशीन खरीदी जाए.

वहीं, पेड़ गिरने की हादसे में जिस बच्चे की मौत हुई उसके परिवार को इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट एक करोड़ रुपए का मुआवजा दे. जिस बच्ची ने इस हादसे में अपनी एक बाजू गंवा चुकी है उसको प्रशासन 50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए. इसी हादसे में गंभीर रूप से घायल अटेंडेंट शीला देवी के इलाज का पूरा खर्च प्रशासन उठाए बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए जो काम शीला देवी ने किया उसके लिए क्वालिफिकेशन के हिसाब से जॉब ऑफर की जाए.

heritage trees in chandigarh
चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़.

पेड़ की मेंटेनेंस हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास: एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट राहुल महाजन बताया कि जिस स्कूल के पेड़ के नीचे आकर एक छोटी बच्ची की मौत हुई थी, उस पेड़ की मेंटेनेंस हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास है. वहीं, हॉर्टिकल्चर और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट चंडीगढ़ द्वारा बोर्ड लगाने से इन पेड़ों को गिरने से बचाया नहीं जा सकता. रिटायर्ड जस्टिस जितेंद्र चौहान द्वारा जो रिपोर्ट पेश की गई है, उसमें उस बच्ची व अन्य घायल लोगों को जो मुआवजा देने की बात कही गई है वह सही है. लेकिन, इन मामलों में भेदभाव नहीं होना चाहिए. क्योंकि, सेक्टर-9 के हादसे के 1 महीने बाद एक रिक्शा वाले की भी मौत ऐसे ही पेड़ के नीचे आने से हो गई थी. जिसके बारे में न तो रिपोर्ट में कुछ कहा गया है और ना ही प्रशासन द्वारा उसके परिजनों को कोई मुआवजा दिया गया है.

उन्होंने बताया कि, 'मैं लंबे समय से हेरिटेज ‌पेडों को लेकर आरटीआई डाल रहा हूं. हाल ही में नगर निगम द्वारा आरटीआई में जवाब दिया गया है कि वे किसी भी तरह का कंपनसेशन नहीं देते हैं. जबकि यह कोई कुदरती तौर पर हादसा नहीं है. इन पेड़ों की देखभाल में कमी रखी जाती है, जिसके चलते यह पेड़ थोड़े से तूफान में भी गिर जाते हैं.'

'हेरिटेज पेड़ों के लिए एक मेंटेनेंस बुक की जरूरत': चंडीगढ़ वन विभाग द्वारा हेरिटेज पेड़ों की जो लिस्ट दी गई है उसमें 31 पेड़ों में से तीन पेड़ कट चुके हैं. अगर 100 साल पुरानी बात करें तो शहर में लगभग 150 से 200 पेड़ हेरिटेज पेड़ों के अंदर आते हैं. इन सभी हेरिटेज पेड़ों के लिए एक मेंटेनेंस बुक होनी चाहिए, जिसमें इनकी उम्र बीमारी व इनके रखरखाव की जानकारी मौजूद हो.

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