चंडीगढ़: स्वयंसेवी संस्था बंधुआ मुक्त मोर्चा की ओर से एक याचिका पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी. जिसमें यमुनानगर के एक गांव में 79 बंधुआ मजदूरों के हालात पर जिला प्रशासन की अनदेखी के आरोप लगाए गए थे. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है, साथ ही संबंधित डीसी को निजी हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा गया है. अब मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी.
बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में बताया गया है कि 79 बंधुआ मजदूर जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से काम करने के लिए यमुनानगर के भंडारा गांव में लाया गया था. जहां उनसे ईंट के भट्टों पर काम कराया जा रहा था.
याचिका में बताया गया कि हर मजदूर को हजार ईटों के 486 रुपये देने का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें पिछले 7 महीने से वेतन ही नहीं दिया गया. याचिका में कहा गया है कि इन मजदूरों को कोविड-19 के हालातों में भी काम करने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें उनको घर भी जाने नहीं दिया. इस दौरान उन्हों ना तो उचित खाना दिया गया और ना ही कोई सुविधा.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी ओर से जब संबंधित डीसी यमुनानगर को ई मेल के जरिए इसकी जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन की ओर से उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं कई है, जबकि कानून कहता है कि अगर इस तरह की कोई भी घटना सामने आए तो 24 घंटे के अंदर कार्रवाई होनी जरूरी है.
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याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सभी मजदूरों को 20 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएं. इसके साथ ही केंद्र सरकार की ओर से भी उन्हें मुआवजा दिया जाए. हाई कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही संबंधित डीसी को 1 हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है.