चंडीगढ़: हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. ये जवाब 30 सितंबर तक दिया जाना है. खेमका ने 2016 के बजट प्रस्ताव जिसके तहत ईपीएफ पर आयकर लगाए जाने से जुड़े दस्तावेज की आरटीआई से जानकारी मांगी थी, लेकिन सरकार ने उन्हें ये जानकारी नहीं दी. जिसके बाद खेमका ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
खेमका ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय 2016 के बजट से पहले एक प्रस्ताव लाया था. प्रावधान के तहत अगर कोई कर्मी ईपीएफ राशि निकलता है, तो उसके 60 प्रतिशत पर आयकर देना होगा. लेकिन अगर राशि दूसरे निजी फंड में निवेश करता है तो उसे इस आयकर से पूरी तरह से छूट मिलेगी. कर्मचारियों ने इसका खासा विरोध किया था. विरोध के बाद सरकार ने ये प्रस्ताव वापस ले लिया था और साल 2016 -17 के बजट में इसे शामिल नहीं किया गया.
खेमका ने मार्च 2017 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स में आरटीआई से सूचना मांगी थी कि इस प्रस्ताव के पीछे सरकार की मंशा क्या थी और इस प्रस्ताव पर क्या नोटिंग दी गई. साथ ही किस आधार पर यह प्रस्ताव लाया गया. खेमका ने आरोप लगाया गया है कि सरकार कारपोरेट को लाभ पहुंचाने के लिए ये प्रस्ताव लाई है.