चंडीगढ़ः सुनवाई के दौरान सरकार ने हाईकोर्ट में जानकारी दी है कि प्रदेश में मक्की की फसल नहीं होती है और ना ही फसल बिक्री के लिए मंडी में पहुंची है. इससे पहले भारतीय किसान यूनियन की तरफ से एक एप्लीकेशन दायर की गई थी जिसमें सरकार की तरफ से मंडियों में मक्की की खरीदना करने और सूरजमुखी की केवल 25% खरीद करने की बात कही गई थी. सरकार की तरफ से मक्की की खरीदना करनी के आरोप पर सरकार की तरफ से जो जवाब दिया गया. उस पर याचिकाकर्ता पक्ष ने कुछ आंकड़े हाईकोर्ट में देते हुए हरियाणा सरकार पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया है.
इस मामले में किसान यूनियन के वकील जेएस तूर ने बताया कि हाईकोर्ट की तरफ से हरियाणा सरकार को मक्की की खरीद करने को कहा था मगर सरकार ने खरीद नहीं की है. जब हरियाणा सरकार से पूछा गया कि क्यों खरीद नहीं की जा रही तो सरकार ने कहा कि हरियाणा में मक्की नहीं होती है और मंडी में मक्की नहीं आई. याचिकाकर्ता पक्ष ने इस पर कोर्ट को बताया है कि कितने हजार क्विंटल मक्की पैदा हुई और कितनी मंडी में खरीद के लिए आई है. इसमें याचिकाकर्ता पक्ष ने कोर्ट में एप्लिकेशन दायर कर कहा है कि हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट को मिस लीड किया है.
याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से हाई कोर्ट में जानकारी दी है की पंजाब सरकार की तरफ से फरवरी 2017 में एफिडेविट दायर किया गया था. इसके तहत सरकार ने कहा था कि 4 जगह मक्की और पंजाब भर से सूरजमुखी की खरीद की जाएगी, इस ऐफिडेविट के नाते सरकार को प्रोग्राम बनाना था और केंद्र सरकार को नोटिफिकेशन देना होता है कि कितनी फसल हुई है और कितनी फसल मंडी में आएगी ताकि खरीद एजेंसी इसकी खरीद कर ले. नैफेड ने कहा था की हमारे बिहाफ पर राज्य सरकार इसपर कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है और 30 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.