चंडीगढ़: भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपना और अपनी सेहत का ध्यान रखना भूल जाते हैं और फास्ट फूड का सेवन अधिक करने लगे हैं. जिसके कारण लोग गंभीर बीमारी की अवस्था में डॉक्टर के पास पहुंचते हैं. अस्पताल पहुंचने वाले ऐसे मरीजों से अक्सर डॉक्टर उनकी लाइफ स्टाइल और डाइट से जुड़े सवाल ही पूछते हैं. एक्सपर्ट से जानिए, इस भागदौड़ भरी जिंदगी में किस तरह अपनी सेहत का ध्यान रखा जा सकता है.
इसके बारे में पीजीआई के डिपार्टमेंट ऑफ डायटीशियन की एचओडी डॉ. नैंसी ने बताया कि आज के समय में खाना पकाने और खाने के लिए समय नहीं होना एक बेतुका बहाना लगता है. जबकि लोग रोजाना ब्रश करना नहीं भूलते, फोन देखना नहीं भूलते तो अपने लिए ताजा खाना बनाकर खाना कैसे भूल सकते हैं. जिस चीज से उन्हें एनर्जी मिलने वाली है, वे उसे कैसे भूल सकते हैं. उन्होंने बताया कि फास्ट फूड अधिक खाने से नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर से संबंधित रोग होने की संभावना है.
इसके साथ ही फास्ट फूड का अधिक सेवन करने वाले लोगों को मोटापा या मधुमेह रोग होने की भी अधिक संभावना होती है. वे अक्सर अपनी अनियमित दिनचर्या के कारण इन गंभीर बीमारियों को न्योता देते हैं. अक्सर लोग बाहर का खाना पसंद करते हैं, जबकि उन्हें नहीं पता होता कि वह खाना स्वच्छ तरीके से बना भी है या नहीं. हालांकि लोग पहले के समय में खाए जाने वाले पौष्टिक आहार की तरफ लौट रहे हैं लेकिन तब तक उनकी सेहत फास्ट फूड से काफी बिगड़ चुकी होती है.
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बाहर बनने वाला खाना अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड होता है. उनमें इस तरह के पदार्थ इस्तेमाल किए जाते हैं. जिससे हमारा मेटाबॉलिज्म और बॉडी भी कंफ्यूज हो जाती है. बाहर का खाना एक फूड एडिक्शन से ज्यादा कुछ नहीं है. उन्होंने बताया कि बाहर के खाने में कुछ ऐसे प्रिजर्वेटिव डाले होते हैं जो आपके टेस्ट को अच्छे लगते हैं. उदाहरण के तौर पर चिप्स का पैकेट जिसे आप एक बार खाते हैं और पैकेट खत्म होने तक खाते रहते हैं.
उन्होंने बताया कि पहले के समय में घर का एक व्यक्ति ही कमाने वाला होता था, बाकी खाने वाले होते थे. लेकिन आज के समय में लगभग सभी कमाने वाले हैं लेकिन एक भी घर का खाना खाने वाला नहीं है. ऐसे में अगर सभी लोग खाना बनाने में मदद करेंगे तो स्वच्छ और पौष्टिक खाना खाने के लिए अधिक समय नहीं लगेगा. डॉक्टर नैंसी ने बताया कि आज के समय में शहर हो या गांव हर गली कूचे में फास्ट फूड की रेहड़ियां लगी हुई है.
यहां तक कि गरीब से गरीब परिवार के बच्चों के हाथ में भी पैकेट वाली चीजें होती हैं. उन्होंने बताया कि सबसे आश्चर्य वाली बात यह है कि फास्ट फूड खाना सस्ता है जबकि पौष्टिक खाना महंगा है. वहीं आजकल के बच्चों में मोटापा के साथ एनीमिया, प्रोटीन और कैल्शियम की कमी देखी जा रही है. किसी भी फास्ट फूड के खाने में पौष्टिक चीज नहीं होती है. वही डॉक्टर नैंसी ने बताया कि जो पैकेट में आए जो चीजें आती हैं.
उनमें ऐसे रसायन डाले जाते हैं जो उन्हें लंबे समय तक प्रिजर्व रखते हैं. जबकि ताजा खाना अगर बनाया जाए तो वह कुछ घंटों के बाद ही खराब हो जाता है. इस बात से साफ नजर आता है कि बाहर का खाना किसी भी प्रकार से खाने लायक नहीं है. यह कुछ समय के लिए आपकी भूख जरूर मिटा सकता है लेकिन आपको बीमारियों से ग्रस्त भी कर सकता. पौष्टिक आहार की बात करते हुए डॉक्टर नैंसी ने बताया कि पांच प्रकार के पौष्टिक आहार हमारी तीन समय की प्लेट में होने चाहिए.
इसमें अनाज, फल, दाल, दूध, सब्जियां और प्रोटीन होना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि चाय या स्नेक्स टाइम के समय बिस्कुट और नमकीन जगह सूखे फल या मेवे खाने शुरू कर दें. जिसमें बादाम, किशमिश, काजू और अखरोट आदि शामिल किए जा सकते हैं. इनमें ओमेगा-3 और फाइबर अधिक मात्रा में मिलता है. यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होगा. लोगों को पौष्टिक आहार को अपनाते हुए अपना ख्याल रखना चाहिए ताकि वे लंबे समय तक बीमारियों से बचे रह सकते हैं.