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हरियाणा सरकार भूमिगत जल के संरक्षण के लिए सही कदम उठा रही है: HC

हाई कोर्ट ने फसल विविधीकरण मामले की सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार द्वारा उठाए गए कदम की सराहना की है. कोर्ट ने हरियाणा सरकार के दिशा-निर्देशों में दखल देने से भी इनकार कर दिया है.

hc comment on haryana govt ground water conservation policy
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Published : Jul 11, 2020, 3:16 PM IST

चंडीगढ़: फसल विविधीकरण के एक मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को राज्य की सभी वॉटर बॉडीज को रिवाइव करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने भूमिगत जल (Ground Water) के इस्तेमाल को लेकर हरियाणा सरकार के दिशा-निर्देशों में दखल देने से भी इनकार किया है.

खंडपीठ ने कहा है कि हरियाणा सरकार भूमिगत जल के संरक्षण को लेकर सही कदम उठा रही है. हाई कोर्ट ने कहा कि देश में सिंचाई के लिए भूमिगत जल का इस्तेमाल जरूरत से काफी ज्यादा हो रहा है. लगातार हो रही वॉटर पंपिंग के चलते जलस्तर गिर रहा है. उपजाऊ भूमि रेत के टीलों में तब्दील हो रही है.

ये भी पढ़ें- कैथल: भूजल के स्तर को बचाने के लिए बाढ़ क्षेत्रों में लगाए जाएंगे रिचार्ज बोर

खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर अब भूमिगत जल के दुरुपयोग को नहीं रोका गया तो ये आने वाले समय में पर्यावरण के लिए भी खतरा बन जाएगा. देश में खेती के लिए भूमिगत जल का इस्तेमाल जरूरत से काफी ज्यादा हो रहा है. ऐसे में इसे लेकर जरूरी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि समय रहते अगर राज्य सरकार ने इस दिशा में जरूरी कदम नहीं उठाए तो भूमिगत जल की समस्या से जूझ रहे इलाके डार्क जोन में तब्दील होते जाएंगे. ऐसे में जरूरी है कि हरियाणा सरकार अपनी सभी वॉटर बॉडीज को सुरक्षित करे और भूमिगत जल के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल को रोके.

हरियाणा का भूजल स्तर गिरता जा रहा है

देश का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. अगर बात हरियाणा की करें तो यहां भी भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. पिछले 1 दशक में लगभग दोगुना भूजल स्तर का संकट बढ़ा है. लगातार गिर रहे भूजल स्तर को देखते हुए पिछले साल नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 तक देश के 21 शहर पीने के पानी के लिए तरस जाएंगे. इन 21 शहरों में जीरो ग्राउंट वॉटर का नीति आयोग की ओर से अनुमान लगाया गया था. इन 21 शहरों में दिल्ली-NCR सहित बेंगलुरु, चेन्नई, और हैदराबाद जैसे शहर शामिल हैं.

बता दें कि भूजल स्तर के मामले में दिल्ली-NCR सहित गुरुग्राम रेड डार्क जोन में है. जिसे देखते हुए यहां जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है. दरअसल, 1980 में गुरुग्राम की जो आबादी 1 लाख के आसपास थी वो अब 26 लाख के पार पहुंच गई है. बढ़ती आबादी, शहरीकरण और औद्योगीकरण के बीच गुरुग्राम में भूमिगत जलस्तर तेजी से प्रभावित हुआ है. तेजी से भूजल स्तर घटता जा रहा है, जिसका खामियाजा आने वाले कुछ सालों में लोगों को भुगतना पड़ सकता है.

चंडीगढ़: फसल विविधीकरण के एक मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को राज्य की सभी वॉटर बॉडीज को रिवाइव करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने भूमिगत जल (Ground Water) के इस्तेमाल को लेकर हरियाणा सरकार के दिशा-निर्देशों में दखल देने से भी इनकार किया है.

खंडपीठ ने कहा है कि हरियाणा सरकार भूमिगत जल के संरक्षण को लेकर सही कदम उठा रही है. हाई कोर्ट ने कहा कि देश में सिंचाई के लिए भूमिगत जल का इस्तेमाल जरूरत से काफी ज्यादा हो रहा है. लगातार हो रही वॉटर पंपिंग के चलते जलस्तर गिर रहा है. उपजाऊ भूमि रेत के टीलों में तब्दील हो रही है.

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खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर अब भूमिगत जल के दुरुपयोग को नहीं रोका गया तो ये आने वाले समय में पर्यावरण के लिए भी खतरा बन जाएगा. देश में खेती के लिए भूमिगत जल का इस्तेमाल जरूरत से काफी ज्यादा हो रहा है. ऐसे में इसे लेकर जरूरी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि समय रहते अगर राज्य सरकार ने इस दिशा में जरूरी कदम नहीं उठाए तो भूमिगत जल की समस्या से जूझ रहे इलाके डार्क जोन में तब्दील होते जाएंगे. ऐसे में जरूरी है कि हरियाणा सरकार अपनी सभी वॉटर बॉडीज को सुरक्षित करे और भूमिगत जल के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल को रोके.

हरियाणा का भूजल स्तर गिरता जा रहा है

देश का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. अगर बात हरियाणा की करें तो यहां भी भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. पिछले 1 दशक में लगभग दोगुना भूजल स्तर का संकट बढ़ा है. लगातार गिर रहे भूजल स्तर को देखते हुए पिछले साल नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 तक देश के 21 शहर पीने के पानी के लिए तरस जाएंगे. इन 21 शहरों में जीरो ग्राउंट वॉटर का नीति आयोग की ओर से अनुमान लगाया गया था. इन 21 शहरों में दिल्ली-NCR सहित बेंगलुरु, चेन्नई, और हैदराबाद जैसे शहर शामिल हैं.

बता दें कि भूजल स्तर के मामले में दिल्ली-NCR सहित गुरुग्राम रेड डार्क जोन में है. जिसे देखते हुए यहां जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है. दरअसल, 1980 में गुरुग्राम की जो आबादी 1 लाख के आसपास थी वो अब 26 लाख के पार पहुंच गई है. बढ़ती आबादी, शहरीकरण और औद्योगीकरण के बीच गुरुग्राम में भूमिगत जलस्तर तेजी से प्रभावित हुआ है. तेजी से भूजल स्तर घटता जा रहा है, जिसका खामियाजा आने वाले कुछ सालों में लोगों को भुगतना पड़ सकता है.

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