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निजी नौकरियों में 75% आरक्षण के फैसले को हरियाणा के उद्योगपति क्यों बता रहे चुनौतीपूर्ण?

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Published : Nov 11, 2020, 7:48 PM IST

हरियाणा चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीबी गोयल का कहना है कि उद्योगों को तकनीकी रूप से सक्षम लेबर या कर्मचारियों की आवश्यकता रहती है. ऐसे लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा या दूसरे राज्यों के अधिक हैं जो पूरी तरह से स्किल्ड होते हैं. जबकि हरियाणा के युवा व्हाइट कॉलर जॉब सरकारी नौकरियों की तरफ ज्यादा रुझान रखते हैं.

Haryana's industrialists are challenging the decision of seventy five percent reservation in private jobs
75% आरक्षण के फैसले को हरियाणा के उद्योगपति क्यों बता रहे चुनौतीपूर्ण?

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की तरफ से प्रदेश के निजी क्षेत्रों में हरियाणा के युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षित करने फैसला लिया गया है. हालांकि हरियाणा सरकार की तरफ से लिए गए इस फैसले को उद्योगपति राजनीतिक फैसला बता रहे हैं, मगर इसी के साथ उद्योगपति इस फैसले के चलते आने वाले समय में खड़ी होने वाली समस्याओं से भी चिंतित हैं. बिजनेस एक्सपर्ट्स ने भी इस फैसले को अव्यवहारिक बताया है, उनका मानना है कि इस फैसले से उद्योगपतियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.

हरियाणा चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीबी गोयल का कहना है कि हरियाणा सरकार की तरफ से लिया गया यह फैसला राजनीतिक फैसला है, मगर दूसरी तरफ इस फैसले से उद्योगपतियों के लिए परेशानी खड़े होने वाली है क्योंकि हरियाणा के स्किल्ड लेबर, कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है, ऐसे में सरकार को यह फैसला लेने से पहले युवाओं को स्किल डेवलपमेंट के शिक्षा देनी चाहिए और शिक्षा नीति में इसको लेकर सुधार करने की आवश्यकता है. उसके बाद ही यह फैसला सही साबित होगा. सीबी गोयल ने कहा कि हरियाणा की मनोहर सरकार की तरफ से फैसला लिया गया है मगर हरियाणा में इसकी डिलीवर की बड़ी कमी है. ऐसे में दूसरे राज्यों के कर्मचारी या लेबर जो स्किल्ड है, तकनीकी रूप से सक्षम हैं उन्हें ही प्राथमिकता दी जाती है.

निजी नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को हरियाणा के उद्योगपति क्यों बता रहे चुनौतीपूर्ण, देखिए रिपोर्ट

'उपायुक्त भी नहीं ढूंढ पा रहे हैं स्किल्ड लेबर'

सीबी गोयल ने बताया कि हाल ही में उनकी तरफ से पंचकूला के उपायुक्त को कर्मचारियों की एक सूची हरियाणा के युवा को रोजगार देने के मकसद से दी गई थी. मगर अभी तक उस सूची के तहत कर्मचारी उपलब्ध नहीं करवा पाए हैं, उन्होंने कहा कि पंचकूला जैसे शहर में ही जब स्किल्ड लेबर नहीं मिल रहे हैं तो दूसरे क्षेत्रों में स्किल्ड लेबर जो कि हरियाणा निवासी हो ऐसे लेबर ढूंढ पाना बेहद मुश्किल है.

'तकनीकी तौर पर मजबूत कर्मचारियों की आवश्यकता'

सीबी गोयल ने कहा कि उद्योगों को तकनीकी रूप से सक्षम लेबर या कर्मचारियों की आवश्यकता रहती है. ऐसे लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा या दूसरे राज्यों के अधिक हैं जो पूरी तरह से स्किल्ड होते हैं. जबकि हरियाणा के युवा व्हाइट कॉलर जॉब सरकारी नौकरियों की तरफ ज्यादा रुझान रखते हैं. ऐसे में हरियाणा के युवाओं का स्किल्ड लेबर या कर्मचारी के तौर पर मिल पाना काफी मुश्किल है.

ये पढ़ें- नौकरियों में 75% आरक्षण: सरकार के फैसले से फरीदाबाद के उद्योगपति नाराज़

'सरकार ने नहीं किया उद्योगपतियों से सलाह-मशविरा'

सीबी गोयल ने कहा कि हरियाणा सरकार की तरफ से यह फैसला लिए जाने से पहले अगर उद्योगपतियों से सलाह-मशविरा किया जाता तो सरकार को इस बारे में अच्छी सलाह दी जा सकती थी. सबसे बड़ा कारण हरियाणा के युवाओं को तकनीकी रूप से शिक्षित करना बड़ी चुनौती है. इसके लिए हरियाणा सरकार को शिक्षा नीति में सुधार करने की जरूरत है और शिक्षा का स्तर उठाना होगा. उन्होंने कहा कि 50,000 से ऊपर के कर्मचारियों की जो बात है सरकार की तरफ से की गई है उन कर्मचारियों का उद्योगों में वेतन 30 से 35 हजार तक रहता है.

'हरियाणा के युवाओं में तकनीकी दक्षता की कमी होती है'

वहीं पंचकूला के उद्योगपति रजनीश गर्ग ने कहा कि सरकार की तरफ से यह जो फैसला लिया गया है उसका नतीजा आने वाले समय में स्पष्ट होगा. रजनीश गर्ग ने कहा कि हरियाणा के कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां के युवा कृषि की तरफ रुझान रखते हैं, जबकि तकनीकी रूप से सक्षम युवाओं की हरियाणा में कमी रहती है. ऐसे में सरकार की तरफ से किए गए इस फैसले के अनुरूप युवाओं को प्राथमिकता देना चुनौतीपूर्ण रहेगा. उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता स्किल्ड लेबर की रहती है फिर वह किसी भी प्रदेश का हो इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता.

गौरतलब है कि हरियाणा सरकार की तरफ से अपने एक वादे को पूरा करते हुए हरियाणा के युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देना आने वाले समय में अपने वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है, इसके दूसरी तरफ हरियाणा सरकार की तरफ से 50,000 से नीचे के वेतन के कर्मचारियों अधिकारियों में हरियाणा के युवाओं को प्राथमिकता देने का जो फैसला सरकार की तरफ से लिया गया है उसके लिए उद्योगपति इसलिए भी चिंतित हैं. क्योंकि हरियाणा के युवाओं की इतनी बड़ी तादाद स्किल्ड लेबर के तौर पर या स्किल्ड कर्मचारी या अधिकारी के तौर पर मिल पाना काफी मुश्किल है. फिलहाल उद्योगपति सरकार के इस फैसले को ना चाहते हुए भी मानने को मजबूर जरूर हैं, लेकिन उद्योगपतियों को मलाल यह भी है कि सरकार की तरफ से नीति बनाने से पहले उनकी परेशानियों को भी प्राथमिकता से सुना जाना चाहिए था.

ये पढ़ें- हरियाणा के लिए घातक हो सकता है निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण, राज्य से पलायन कर सकती हैं बड़ी कंपनियां

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की तरफ से प्रदेश के निजी क्षेत्रों में हरियाणा के युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षित करने फैसला लिया गया है. हालांकि हरियाणा सरकार की तरफ से लिए गए इस फैसले को उद्योगपति राजनीतिक फैसला बता रहे हैं, मगर इसी के साथ उद्योगपति इस फैसले के चलते आने वाले समय में खड़ी होने वाली समस्याओं से भी चिंतित हैं. बिजनेस एक्सपर्ट्स ने भी इस फैसले को अव्यवहारिक बताया है, उनका मानना है कि इस फैसले से उद्योगपतियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.

हरियाणा चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीबी गोयल का कहना है कि हरियाणा सरकार की तरफ से लिया गया यह फैसला राजनीतिक फैसला है, मगर दूसरी तरफ इस फैसले से उद्योगपतियों के लिए परेशानी खड़े होने वाली है क्योंकि हरियाणा के स्किल्ड लेबर, कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है, ऐसे में सरकार को यह फैसला लेने से पहले युवाओं को स्किल डेवलपमेंट के शिक्षा देनी चाहिए और शिक्षा नीति में इसको लेकर सुधार करने की आवश्यकता है. उसके बाद ही यह फैसला सही साबित होगा. सीबी गोयल ने कहा कि हरियाणा की मनोहर सरकार की तरफ से फैसला लिया गया है मगर हरियाणा में इसकी डिलीवर की बड़ी कमी है. ऐसे में दूसरे राज्यों के कर्मचारी या लेबर जो स्किल्ड है, तकनीकी रूप से सक्षम हैं उन्हें ही प्राथमिकता दी जाती है.

निजी नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को हरियाणा के उद्योगपति क्यों बता रहे चुनौतीपूर्ण, देखिए रिपोर्ट

'उपायुक्त भी नहीं ढूंढ पा रहे हैं स्किल्ड लेबर'

सीबी गोयल ने बताया कि हाल ही में उनकी तरफ से पंचकूला के उपायुक्त को कर्मचारियों की एक सूची हरियाणा के युवा को रोजगार देने के मकसद से दी गई थी. मगर अभी तक उस सूची के तहत कर्मचारी उपलब्ध नहीं करवा पाए हैं, उन्होंने कहा कि पंचकूला जैसे शहर में ही जब स्किल्ड लेबर नहीं मिल रहे हैं तो दूसरे क्षेत्रों में स्किल्ड लेबर जो कि हरियाणा निवासी हो ऐसे लेबर ढूंढ पाना बेहद मुश्किल है.

'तकनीकी तौर पर मजबूत कर्मचारियों की आवश्यकता'

सीबी गोयल ने कहा कि उद्योगों को तकनीकी रूप से सक्षम लेबर या कर्मचारियों की आवश्यकता रहती है. ऐसे लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा या दूसरे राज्यों के अधिक हैं जो पूरी तरह से स्किल्ड होते हैं. जबकि हरियाणा के युवा व्हाइट कॉलर जॉब सरकारी नौकरियों की तरफ ज्यादा रुझान रखते हैं. ऐसे में हरियाणा के युवाओं का स्किल्ड लेबर या कर्मचारी के तौर पर मिल पाना काफी मुश्किल है.

ये पढ़ें- नौकरियों में 75% आरक्षण: सरकार के फैसले से फरीदाबाद के उद्योगपति नाराज़

'सरकार ने नहीं किया उद्योगपतियों से सलाह-मशविरा'

सीबी गोयल ने कहा कि हरियाणा सरकार की तरफ से यह फैसला लिए जाने से पहले अगर उद्योगपतियों से सलाह-मशविरा किया जाता तो सरकार को इस बारे में अच्छी सलाह दी जा सकती थी. सबसे बड़ा कारण हरियाणा के युवाओं को तकनीकी रूप से शिक्षित करना बड़ी चुनौती है. इसके लिए हरियाणा सरकार को शिक्षा नीति में सुधार करने की जरूरत है और शिक्षा का स्तर उठाना होगा. उन्होंने कहा कि 50,000 से ऊपर के कर्मचारियों की जो बात है सरकार की तरफ से की गई है उन कर्मचारियों का उद्योगों में वेतन 30 से 35 हजार तक रहता है.

'हरियाणा के युवाओं में तकनीकी दक्षता की कमी होती है'

वहीं पंचकूला के उद्योगपति रजनीश गर्ग ने कहा कि सरकार की तरफ से यह जो फैसला लिया गया है उसका नतीजा आने वाले समय में स्पष्ट होगा. रजनीश गर्ग ने कहा कि हरियाणा के कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां के युवा कृषि की तरफ रुझान रखते हैं, जबकि तकनीकी रूप से सक्षम युवाओं की हरियाणा में कमी रहती है. ऐसे में सरकार की तरफ से किए गए इस फैसले के अनुरूप युवाओं को प्राथमिकता देना चुनौतीपूर्ण रहेगा. उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता स्किल्ड लेबर की रहती है फिर वह किसी भी प्रदेश का हो इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता.

गौरतलब है कि हरियाणा सरकार की तरफ से अपने एक वादे को पूरा करते हुए हरियाणा के युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देना आने वाले समय में अपने वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है, इसके दूसरी तरफ हरियाणा सरकार की तरफ से 50,000 से नीचे के वेतन के कर्मचारियों अधिकारियों में हरियाणा के युवाओं को प्राथमिकता देने का जो फैसला सरकार की तरफ से लिया गया है उसके लिए उद्योगपति इसलिए भी चिंतित हैं. क्योंकि हरियाणा के युवाओं की इतनी बड़ी तादाद स्किल्ड लेबर के तौर पर या स्किल्ड कर्मचारी या अधिकारी के तौर पर मिल पाना काफी मुश्किल है. फिलहाल उद्योगपति सरकार के इस फैसले को ना चाहते हुए भी मानने को मजबूर जरूर हैं, लेकिन उद्योगपतियों को मलाल यह भी है कि सरकार की तरफ से नीति बनाने से पहले उनकी परेशानियों को भी प्राथमिकता से सुना जाना चाहिए था.

ये पढ़ें- हरियाणा के लिए घातक हो सकता है निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण, राज्य से पलायन कर सकती हैं बड़ी कंपनियां

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