चंडीगढ़: कबूतरबाजों पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा सरकार काफी एक्टिव हो गई है. सरकार की ओर से लगातार इन पर कार्रवाई की जा रही है. इस बात की जानकारी प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने खुद ने दी.
उन्होंने कहा कि कबूतरबाजी और धोखाधड़ी से विदेश में भेजने वाले लोगों के खिलाफ 370 एफआईआर दर्ज की गई हैं. इसके तहत आरोपियों की धरपकड़ करते हुए पुलिस ने 351 लोगों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 1.04 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की है.
कबूतरबाजों के लिए एसआईटी का जाल
विज ने कहा कि हरियाणा की धरती से कबूतरबाजी जैसे गोरखधंधे को पूरी तरह से खत्म करने लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. इस दल में एक पुलिस महानिरीक्षक की अध्यक्षता में 6 एसपी स्तर के अधिकारियों को शामिल किया गया है.
ये टीम पूरे प्रदेश के युवाओं से धोखाधड़ी कर लाखों रुपये ऐंठकर गैरकानूनी तरीके से विदेशों में भेजने वाले कबूतरबाजों की जांच कर रही है. ये कबूतरबाज विश्व के अनेक देशों में लोगों को नाजायज तौर पर भेजने का काम रहे थे. इनमें अमेरिका, मलेशिया, मैक्सिको, दुबई आदि देश शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि उन देशों की सरकार द्वारा वापस भारत भेजे गए लोगों में हरियाणा के कुल 421 नागरिक शामिल हैं. गृह मंत्री ने बताया कि इस संबंध में टीम को सख्त और तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
इसके तहत पुलिस विभिन्न जिलों में छापेमारी कर रही है. पिछले 4 महीने में पुलिस को 646 शिकायतें मिलीं. जिनमें से एसआईटी ने 370 शिकायतों पर मुकदमें दर्ज किए और 276 शिकायतें जांच के लिए संबंधित जिलों को भेजी जा चुकी हैं.
2020 में बढ़ी कबूतरबाजी
इस टीम के द्वारा वर्ष 2018-2019 में दर्ज हुए 51 मुकदमों और वर्ष 2020 के 370 मुकादमों की जांच करके कुल 351 आरोपियों को गिरफ्तार करने की बड़ी कामयाबी हासिल की. ये पिछले 12 वर्षों में 24 इमीग्रेशन अधिनियम के तहत गिरफ्तार कुल अभियुक्तों से 94 प्रतिशत अधिक हैं.
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करनाल में सबसे ज्यादा केस दर्ज
विज ने बताया कि करनाल जिले में सबसे अधिक 175 एफआईआर हुई हैं. इसी प्रकार कुरूक्षेत्र में 80, कैथल में 51, अंबाला में 44, इसके अलावा भिवानी, दादरी, सिरसा, नारनौल और भिवानी में सबसे कम एफआईआर दर्ज हुई हैं. इनके अलावा अन्य जिलों में इस प्रकार के मामले दर्ज किए गए हैं.