दिल्ली/चंडीगढ़: एसवाईएल मामले पर हरियाणा सरकार की ओर से केंद्र सरकार को लिखे पत्र के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल की बैठक हुई. इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी जुड़े.
बैठक के मीडिया से रूबरू होते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि आज की बैठक में दोनों राज्यों के बीच खुले मन से बात हुई. बैठक में खुली बातचीत का मकसद था कि एसवाईएल नहर बननी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है. अब उसका कार्यक्रम क्या होगा? हम सुप्रीम कोर्ट में जाकर बताएंगे. जल्द ही हम दूसरे दौर की बैठक करेंगे. मिलनसार संसोधन कैसे हो सकता है? इसके लिए सारे रास्ते खुले हैं. जो भी सहमति होगी वो हम सुप्रीम कोर्ट में बताएंगे.
बैठक के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि एसवाईएल को लेकर अगले सप्ताह फिर से बैठक होगी. दूसरे दौर की बैठक के बाद मामले की पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी.
इस बैठक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि दोनों राज्यों की बैठक कराकर हल निकालें. जिसके बाद केंद्र की ओर से पंजाब सरकार को पत्र लिखा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस बैठक के लिए 3 सप्ताह का समय दिया था. जिसके बाद बैठक हुई.
क्या है एसवाईएल विवाद?
ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.
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इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.