उत्तराखंड/(राकेश रावत): 38वें नेशनल गेम्स में हरियाणा की महिला टीम ने पहली बार वेलोड्रोम साइकिलिंग की 4 हजार मीटर प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है. प्रतियोगिता में एक टीम से चार राइडर यानी खिलाड़ी होते हैं. चारों को 4000 मीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इस प्रतियोगिता में हरियाणा की तरफ से हिमांशी सिंह, पारुल, अंशु देवी और मीनाक्षी ने हिस्सा लिया था. चारों की टीम ने उमदा खेल दिखाते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
उत्तराखंड नेशनल गेम्स साइकलिंग में हरियाणा ने जीता गोल्ड: हरियाणा के साथ प्रतिद्वंदी टीम ओडिशा से बरसारानी बारीक थी. जिसमें गोल्ड मेडलिस्ट स्वस्ति सिंह, रजिया देवी, खोरों और उर्मिला बेहरा ने हिस्सा लिया. हरियाणा की टीम ने 4 हजार मीटर की रेस को पूरा करने के लिए 5 मिनट 26 सेकंड का वक्त लिया और गोल्ड मेडल को अपने नाम किया.
हरियाणा की महिला टीम ने रचा इतिहास: हरियाणा टीम की खिलाड़ी पारुल ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उनकी टीम इस इवेंट में पहली बार गोल्ड मेडल लाने में कामयाब रही और उनकी टीम ने प्रदेश के लिए पहला गोल्ड जीता है. ये उनके लिए गर्व का पल है.
पहले बैडमिंटन खिलाड़ी थी पारुल: साइकिलिस्ट पारुल ने बताया कि वो 2016 से 2021 तक बैडमिंटन खिलाड़ी रही. इस दौरान उन्होंने नेशनल गेम भी खेले, लेकिन बैडमिंटन की बेस्ट ट्रेनिंग साउथ के राज्यों में है. जिसके चलते उन्होंने बैडमिंटन को अलविदा कह दिया. 2022 में पहली बार उन्होंने रोड साइकिलिंग में हिस्सा लिया. अब पारुल ने नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रचा है.
गोवा नेशनल गेम्स में जीता था कांस्य पदक: पारुल ने बताया कि हरियाणा में वेलोड्रोम नहीं होने की वजह से उसने पंजाब में जा कर तीन महीने ट्रेनिंग की. वेलोड्रोम साइकिलिंग प्रतियोगिता शुरू होने से एक सप्ताह पहले वो रुद्रपुर पहुंच चुकी थे. इस दौरान उनकी टीम ने रुद्रपुर वेलोड्रोम में काफी पसीना बहाया और उनकी मेहनत रंग लाई. इससे पहले गोवा में आयोजित नेशनल गेम्स में उनकी टीम ने कांस्य पदक जीता था.
हरियाणा में वेलोड्रोम ना होने के बाद भी जीता गोल्ड: हरियाणा महिला टीम के कोच ओंकार सिंह ने बताया कि पहली बार हरियाणा की महिला राइडर्स ने टीम परस्यूट 4000 मीटर में गोल्ड झटका है. उन्होंने उत्तराखंड सरकार को बधाई देते हुए कहा कि छोटा प्रदेश होने के बाद भी उन्होंने ट्रैक साइकिलिंग के लिए वेलोड्रोम का निर्माण कराया है, लेकिन हरियाणा में राइडरों के लिए वेलोड्रोम नहीं है.
रंग लाई खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत: कोच ओंकार ने कहा कि राइडर या तो सड़कों पर प्रैक्टिस करते है या फिर अन्य राज्यों की ओर रुख करते हैं. इसके बावजूद हरियाणा की टीम ने महज तीन महीने की प्रैक्टिस से गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने बताया कि टीम परस्यूट राइडरों की राइडिंग महज तीन से चार साल की है. कम अनुभव के बाद भी टीम ने बेहतर तालमेल का परिचय देते हुए गोल्ड हासिल किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे भी महिला राइडर्स का ऐसा शानदार प्रदर्शन जारी रहेगा.