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लॉकडाउन: हरियाणा में बर्बादी के कगार पर 15 हजार करोड़ का पोल्ट्री व्यवसाय

लॉकडाउन की वजह से गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह बंद है. ऐसे में पोल्ट्री फार्म तक मुर्गों की फीड नहीं पहुंच पा रही है. हालत ये हो चुकी है कि भूखे मुर्गे एक दूसरे को चोंच मारकर घायल कर रहे हैं.

poultry farming lockdown haryana
लॉकडाउन: हरियाणा में 15 हजार करोड़ का पोल्ट्री व्यवसाय बर्बाद
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Published : Apr 10, 2020, 1:56 PM IST

Updated : Apr 10, 2020, 6:09 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के 65 प्रतिशत लोग खेती से जुड़े हैं. देश के 60 प्रतिशत से ज्यादा बासमती चावल का निर्यात अकेले हरियाणा से किया जाता है. इसके अलावा हरियाणा की एक और खासियत है. यहां अंडे का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है. तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल के बाद हरियाणा अंडा उत्पादन में अग्रणी राज्यों में आता है. 2018-19 में हरियाणा में 55 हजार 855 लाख अंडों का उत्पादन किया गया था. इसके अलावा हरियाणा में करीब 4 करोड़ 28 लाख 21 हजार मुर्गे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से हरियाणा में पोल्ट्री फार्मिंग का कारोबार पूरी तरह से तबाह हो चुका है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

हरियाणा में 15 हजार करोड़ा का है पोल्ट्री व्यवसाय

अगर बात हरियाणा की करें तो यहां 15 हजार करोड़ का पोल्ट्री बिजनेस होता है. अकेले जींद जिले में 5 हजार करोड़ की पोल्ट्री इंडस्ट्री है. जींद जिला उत्तर भारत का सबसे ज्यादा अंडा उत्पादन केन्द्र है. इस करोबार से करीब 2 लाख किसान और मजदूर जुड़े हुए हैं. जींद जिला उत्तर भारत में हैचरी व्यवसाय का सबसे बड़ा केंद्र है. जींद के अलावा पोल्ट्री व्यवसाय पानीपत, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र , गुरुग्राम जिलों में भी बड़ी मात्रा में होता है. लेकिन लॉकडाउन से 15 हजार करोड़ की पोल्ट्री इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है, जबकि इससे जुड़े व्यवसायियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा रहा है.

क्या है पोल्ट्री फार्मिंग ठप होने का कारण?

दरअसल, लॉकडाउन की वजह से गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है. ऐसे में पोल्ट्री फार्म तक मुर्गों की फीड नहीं पहुंच पा रही है. अगर किसी तरह से फीड फार्म तक पहुंच भी रही है तो मुर्गें फार्म से बाहर नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में पोल्ट्री फार्म मालिक हजारों-लाखों के मुर्गे या तो जिंदा जमीन में दबाने को मजबूर हो रहे हैं. या फिर मुर्गों को मुफ्त में बांटा जा रहा है.

क्या कहना है पोल्ट्री फार्मर्स का ?

चंडीगढ़ के पोल्ट्री फार्मर बलवंत सिंह ने बताया कि करीब 3 से 4 लाख का नुकसान हुआ है. उनके पास 5 हजार बॉयलर थे. पिछले कुछ दिनों से काम में मंदी आई और फिर लॉकडाउन के दौरान काम पूरी तरह से ठप हो गया. लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में उन्होंने रोजाना 15 से 20000 रुपये की फीड मुर्गों को खिलाई, लेकिन बाद में कंपनियों ने फीड देने से मना कर दिया. ऐसे में उन्हें मजबूर होकर अपने मुर्गें मुफ्त में लोगों को देने पड़े.

एक और पोल्ट्री फार्म मालिक तलजिंदर सिंह ने बताया, 'उन्हें रोजाना 8 से 10 लाख का नुकसान हो रहा है. मुर्गे फीड नहीं मिलने की वजह से एक दूसरे पर ही हमला कर रहे थे. ऐसे में उन्हें मुर्गों को फ्री में लोगों को देना पड़ा'.

सरकार ने दी पोल्ट्री प्रोडक्ट बेचने की अनुमति

हरियाणा सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित किया था. जिसके बाद प्रदेश में मीट और अंडों की सप्लाई पर पूरी तरह से रोक दी गई थी. जिसके चलते पोल्ट्री व्यवसाय ठप पड़ गया. बाद में अप्रैल सरकार ने ये रोक हटा ली. और दोबारा मीट और अंडों की बिक्री को अनुमति दे दी.

पोल्ट्री फार्म मालिकों की सरकार से अपील है कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान फीड और मुर्गों को आने-जाने की छूट दी जाए. साथ ही उनके नुकसान की भी भरपाई की जाए. अगर हरियाणा सरकार पोल्ट्री फार्म पर जल्द ध्यान नहीं देती है तो 15 हजार करोड़ का ये नुकसान और ज्यादा भी बढ़ सकता है.

हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि लॉकडाउन के चलते पोल्ट्री फार्मर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. जो फीड लॉकडाउन के कारण रुक गई थी उसको शुरू करवाया गया है. ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सप्लाई ना रुके.

ये भी पढ़ें: गेंहू कटाई के लिए हरियाणा का 'मास्टर प्लान', मंडी बंद हर तीन गांव पर खुलेगा 1 खरीद केंद्र

चंडीगढ़: हरियाणा के 65 प्रतिशत लोग खेती से जुड़े हैं. देश के 60 प्रतिशत से ज्यादा बासमती चावल का निर्यात अकेले हरियाणा से किया जाता है. इसके अलावा हरियाणा की एक और खासियत है. यहां अंडे का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है. तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल के बाद हरियाणा अंडा उत्पादन में अग्रणी राज्यों में आता है. 2018-19 में हरियाणा में 55 हजार 855 लाख अंडों का उत्पादन किया गया था. इसके अलावा हरियाणा में करीब 4 करोड़ 28 लाख 21 हजार मुर्गे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से हरियाणा में पोल्ट्री फार्मिंग का कारोबार पूरी तरह से तबाह हो चुका है.

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हरियाणा में 15 हजार करोड़ा का है पोल्ट्री व्यवसाय

अगर बात हरियाणा की करें तो यहां 15 हजार करोड़ का पोल्ट्री बिजनेस होता है. अकेले जींद जिले में 5 हजार करोड़ की पोल्ट्री इंडस्ट्री है. जींद जिला उत्तर भारत का सबसे ज्यादा अंडा उत्पादन केन्द्र है. इस करोबार से करीब 2 लाख किसान और मजदूर जुड़े हुए हैं. जींद जिला उत्तर भारत में हैचरी व्यवसाय का सबसे बड़ा केंद्र है. जींद के अलावा पोल्ट्री व्यवसाय पानीपत, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र , गुरुग्राम जिलों में भी बड़ी मात्रा में होता है. लेकिन लॉकडाउन से 15 हजार करोड़ की पोल्ट्री इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है, जबकि इससे जुड़े व्यवसायियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा रहा है.

क्या है पोल्ट्री फार्मिंग ठप होने का कारण?

दरअसल, लॉकडाउन की वजह से गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है. ऐसे में पोल्ट्री फार्म तक मुर्गों की फीड नहीं पहुंच पा रही है. अगर किसी तरह से फीड फार्म तक पहुंच भी रही है तो मुर्गें फार्म से बाहर नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में पोल्ट्री फार्म मालिक हजारों-लाखों के मुर्गे या तो जिंदा जमीन में दबाने को मजबूर हो रहे हैं. या फिर मुर्गों को मुफ्त में बांटा जा रहा है.

क्या कहना है पोल्ट्री फार्मर्स का ?

चंडीगढ़ के पोल्ट्री फार्मर बलवंत सिंह ने बताया कि करीब 3 से 4 लाख का नुकसान हुआ है. उनके पास 5 हजार बॉयलर थे. पिछले कुछ दिनों से काम में मंदी आई और फिर लॉकडाउन के दौरान काम पूरी तरह से ठप हो गया. लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में उन्होंने रोजाना 15 से 20000 रुपये की फीड मुर्गों को खिलाई, लेकिन बाद में कंपनियों ने फीड देने से मना कर दिया. ऐसे में उन्हें मजबूर होकर अपने मुर्गें मुफ्त में लोगों को देने पड़े.

एक और पोल्ट्री फार्म मालिक तलजिंदर सिंह ने बताया, 'उन्हें रोजाना 8 से 10 लाख का नुकसान हो रहा है. मुर्गे फीड नहीं मिलने की वजह से एक दूसरे पर ही हमला कर रहे थे. ऐसे में उन्हें मुर्गों को फ्री में लोगों को देना पड़ा'.

सरकार ने दी पोल्ट्री प्रोडक्ट बेचने की अनुमति

हरियाणा सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित किया था. जिसके बाद प्रदेश में मीट और अंडों की सप्लाई पर पूरी तरह से रोक दी गई थी. जिसके चलते पोल्ट्री व्यवसाय ठप पड़ गया. बाद में अप्रैल सरकार ने ये रोक हटा ली. और दोबारा मीट और अंडों की बिक्री को अनुमति दे दी.

पोल्ट्री फार्म मालिकों की सरकार से अपील है कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान फीड और मुर्गों को आने-जाने की छूट दी जाए. साथ ही उनके नुकसान की भी भरपाई की जाए. अगर हरियाणा सरकार पोल्ट्री फार्म पर जल्द ध्यान नहीं देती है तो 15 हजार करोड़ का ये नुकसान और ज्यादा भी बढ़ सकता है.

हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि लॉकडाउन के चलते पोल्ट्री फार्मर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. जो फीड लॉकडाउन के कारण रुक गई थी उसको शुरू करवाया गया है. ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सप्लाई ना रुके.

ये भी पढ़ें: गेंहू कटाई के लिए हरियाणा का 'मास्टर प्लान', मंडी बंद हर तीन गांव पर खुलेगा 1 खरीद केंद्र

Last Updated : Apr 10, 2020, 6:09 PM IST
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