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विकास निधि के इंतजार में हरियाणा के विधायक, घोषणा के बाद भी नहीं मिला फंड - फंड के लिए तरसे विधायक हरियाणा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधायकों को 5 साल के लिए 5 करोड़ रुपये विधायक निधि कोष के तौर पर देने की घोषणा की थी, लेकिन ये घोषणा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. विपक्षी विधायक सरकार पर वादा पूरा नहीं करने के आरोप लगा रहे हैं.

haryana mla not getting constituency development fund
विकास निधि के इंतजार में हरियाणा के विधायक, घोषणा के बाद भी नहीं मिला फंड
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Published : Sep 30, 2020, 2:32 PM IST

चंडीगढ़: 'विधायक विकास निधि', वो सरकारी पैसा जिससे कोई विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास के काम करवा सकता है. ये पैसा आम तौर पर विधायकों को इसलिए दिया जाता है ताकि वो जरूरत पड़ने पर, बिना वक्त जाया किए अपने कोष से जनता की मदद कर सकें, लेकिन हैरानी की बात ये है कि अलग राज्य बनने के 54 साल बाद भी हरियाणा के विधायक लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड यानी एमएलए लैड के लिए तरस रहे हैं.

दूसरे राज्यों में दी जानी वाली 'विधायक विकास निधि'

दूसरे राज्य में विधायकों को दी जाने वाली विधायक निधि की बात करें तो सबसे ज्यादा फंड केरल राज्य के विधायकों को दिया जाता है. यहां हर विधायक को सालाना 5 करोड़ रुपये अपने क्षेत्र के विकास के लिए दिए जाते हैं. इसके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश और तेलंगाना राज्य का, जहां हर साल विधायकों को विधायक विकास निधि के तहत 3 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. इसके अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य अपने विधायकों को 2 करोड़ रुपये का फंड देता है.

विकास निधि के इंतजार में हरियाणा के विधायक, घोषणा के बाद भी नहीं मिला फंड

विकास निधि को तरसे विधायक !

ऐसा नहीं है कि हरियाणा के विधायकों ने विधायक निधि की कभी मांग नहीं की. समय-समय पर विधायक इस मुद्दे को विधानसभा में उठाते रहे हैं. पिछली हुड्डा सरकार के दौरान भी विधायकों की तरफ से विधायक निधि कोष जारी करने की मांग उठाई गई थी, लेकिन विधायकों की इन मांग को नहीं माना गया. इसी तरह बीजेपी सरकार के दौरान भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधायको को 5 साल के लिए 5 करोड़ रुपये विधायक निधि कोष के तौर पर देने की घोषणा की थी, लेकिन ये घोषणा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. विपक्षी विधायक सरकार पर वादा पूरा नहीं करने के आरोप लगा रहे हैं.

'विधायक निधि की जरूरत नहीं'

हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि सरकार सभी हलकों में विकास कार्य समान रूप से करवा रही है, जिसके चलते कोष की आवश्यकता नही है. भले ही विधायकों को फंड देना हरियाणा सरकार को जरूरी ना लगता है, लेकिन गांवों का विकास करने के लिए मनोहर सरकार की ओर से आदर्श ग्राम योजना शुरू की गई है. जिसके तहत गोद लिए गांवों का विकास करने के लिए विधायकों को 1-1 करोड़ रुपये दिए जाते हैं, लेकिन कोरोना काल में ये निधि भी विधायकों को नहीं मिली है.

सरकार पर विपक्ष का आरोप

किरण चौधरी ने बताया कि इस बार सरकार को पत्र लिखे गए हैं कि विधायक गांव गोद ले रहे हैं, लेकिन अबतक कोई पैसा नहीं आया है. किरण चौधरी ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी, लेकिन सभी चीजें सिर्फ घोषणाएं बनकर ही रह जाती हैं. हम जनता के नुमाइंदे हैं और जनता के नुमाइंदे होने के नाते हलके में विकास के कार्य पूरी तरह ठप पड़े हैं.

ये भी पढ़िए: हरियाणा का ऐसा गांव जहां हजारों की आबादी, सैकड़ों पढ़े लिखे लेकिन एक भी सरकारी नौकरी नहीं

सरकार की माने तो सीएम जरूरत के हिसाब से खुद हलके के लिए घोषणाओं का ऐलान कर देते हैं. ऐसे में विधायक निधि की जरूरत नहीं पड़ती है. हालांकि विधायक चाहते हैं कि विधायक निधि कोष दिया जाए ताकि वो अपने हलके में होने वाले छोटे-मोटे विकास कार्यो पर खुद खर्च कर सकें. कई राज्यों में विधायकों को 5 करोड़ तक फंड दिया जाता है. हरियाणा में अगर सरकार की तरफ से कोष जारी किया जाता है तो इसपर 5 साल में कुल 450 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. हालांकि सरकार इसे जारी करेगी या नहीं ये अभी कहा नहीं जा सकता है.

चंडीगढ़: 'विधायक विकास निधि', वो सरकारी पैसा जिससे कोई विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास के काम करवा सकता है. ये पैसा आम तौर पर विधायकों को इसलिए दिया जाता है ताकि वो जरूरत पड़ने पर, बिना वक्त जाया किए अपने कोष से जनता की मदद कर सकें, लेकिन हैरानी की बात ये है कि अलग राज्य बनने के 54 साल बाद भी हरियाणा के विधायक लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड यानी एमएलए लैड के लिए तरस रहे हैं.

दूसरे राज्यों में दी जानी वाली 'विधायक विकास निधि'

दूसरे राज्य में विधायकों को दी जाने वाली विधायक निधि की बात करें तो सबसे ज्यादा फंड केरल राज्य के विधायकों को दिया जाता है. यहां हर विधायक को सालाना 5 करोड़ रुपये अपने क्षेत्र के विकास के लिए दिए जाते हैं. इसके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश और तेलंगाना राज्य का, जहां हर साल विधायकों को विधायक विकास निधि के तहत 3 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. इसके अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य अपने विधायकों को 2 करोड़ रुपये का फंड देता है.

विकास निधि के इंतजार में हरियाणा के विधायक, घोषणा के बाद भी नहीं मिला फंड

विकास निधि को तरसे विधायक !

ऐसा नहीं है कि हरियाणा के विधायकों ने विधायक निधि की कभी मांग नहीं की. समय-समय पर विधायक इस मुद्दे को विधानसभा में उठाते रहे हैं. पिछली हुड्डा सरकार के दौरान भी विधायकों की तरफ से विधायक निधि कोष जारी करने की मांग उठाई गई थी, लेकिन विधायकों की इन मांग को नहीं माना गया. इसी तरह बीजेपी सरकार के दौरान भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधायको को 5 साल के लिए 5 करोड़ रुपये विधायक निधि कोष के तौर पर देने की घोषणा की थी, लेकिन ये घोषणा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. विपक्षी विधायक सरकार पर वादा पूरा नहीं करने के आरोप लगा रहे हैं.

'विधायक निधि की जरूरत नहीं'

हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि सरकार सभी हलकों में विकास कार्य समान रूप से करवा रही है, जिसके चलते कोष की आवश्यकता नही है. भले ही विधायकों को फंड देना हरियाणा सरकार को जरूरी ना लगता है, लेकिन गांवों का विकास करने के लिए मनोहर सरकार की ओर से आदर्श ग्राम योजना शुरू की गई है. जिसके तहत गोद लिए गांवों का विकास करने के लिए विधायकों को 1-1 करोड़ रुपये दिए जाते हैं, लेकिन कोरोना काल में ये निधि भी विधायकों को नहीं मिली है.

सरकार पर विपक्ष का आरोप

किरण चौधरी ने बताया कि इस बार सरकार को पत्र लिखे गए हैं कि विधायक गांव गोद ले रहे हैं, लेकिन अबतक कोई पैसा नहीं आया है. किरण चौधरी ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी, लेकिन सभी चीजें सिर्फ घोषणाएं बनकर ही रह जाती हैं. हम जनता के नुमाइंदे हैं और जनता के नुमाइंदे होने के नाते हलके में विकास के कार्य पूरी तरह ठप पड़े हैं.

ये भी पढ़िए: हरियाणा का ऐसा गांव जहां हजारों की आबादी, सैकड़ों पढ़े लिखे लेकिन एक भी सरकारी नौकरी नहीं

सरकार की माने तो सीएम जरूरत के हिसाब से खुद हलके के लिए घोषणाओं का ऐलान कर देते हैं. ऐसे में विधायक निधि की जरूरत नहीं पड़ती है. हालांकि विधायक चाहते हैं कि विधायक निधि कोष दिया जाए ताकि वो अपने हलके में होने वाले छोटे-मोटे विकास कार्यो पर खुद खर्च कर सकें. कई राज्यों में विधायकों को 5 करोड़ तक फंड दिया जाता है. हरियाणा में अगर सरकार की तरफ से कोष जारी किया जाता है तो इसपर 5 साल में कुल 450 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. हालांकि सरकार इसे जारी करेगी या नहीं ये अभी कहा नहीं जा सकता है.

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