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रबी की फसल के लिए सरकार का 'मास्टर प्लान', हर तीन गांव पर खुलेगा 1 खरीद केंद्र

कोरोना महामारी के बीच हरियाणा में किसानों को मजदूरों की पलायन की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, जिसके बाद सरकार ने कई व्यवस्थाएं की हैं. विस्तार से पढ़ें रिपोर्ट

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
गेंहू कटाई के लिए हरियाणा का 'मास्टर प्लान'
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Published : Apr 10, 2020, 4:12 PM IST

Updated : Apr 10, 2020, 5:04 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा गेंहू उत्पादन में यूपी और पंजाब के बाद तीसरे नंबर पर आता है. यहां करीब 25 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है. नई तकनीक और नए प्रयोगों के चलते कई बार ये छोटा सा प्रदेश रिकॉर्ड उत्पादन कर चुका है. कई बार ऐसा हुआ जब कुल गेहूं उत्पादन 130 लाख टन से ज्यादा हुआ. देश के केंद्रीय भंडार में हरियाणा करीब 15 फीसदी गेहूं देता है. हरियाणा के नाम ये रिकॉर्ड भी है कि यहां गेंहूं की पैदावार करीब 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. जबकि अन्य प्रदेशों में प्रति हेक्टेयर पैदावार कम है.

लेकिन कोरोना के कहर के बीच कटाई के मौसम में इस बार गेंहूं किसानोम की चिंता भी बढ़ती जा रही है. गेंहूं की फसल खेतों में खड़ी है. किसानों को पहले तो मजदूर नहीं मिल रहे हैं. ज्यादातर मशीनें जो अन्य प्रदेशों में फसले काटने के लिए गई हुई थीं, वो लॉक डाउन की वजह से वहीं फंस गईं, अगर किसी तरह किसान फसल काट भी ले तो उसका वो क्या करे क्योंकि मंडियां बंद हैं.

मजदूरों का पलायन बड़ी समस्या

किसानों को फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं, जिस वजह से किसान खासे परेशान हैं. क्योंकि पिछले सालों में लावणी(कटाई) के समय दूसरे राज्यों के लोग यहां मजदूरी करने आते थे. इस बार 24 मार्च के बाद लॉकडाउन से सारे लेबर अपने घर लौट गए.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
खुद ही अपने खेतों में कटाई करते किसान

करनाल के शेखपुरा सुहाना के किसान सुरेंद्र सांगवान का कहना है 'इस साल जो बारिश और ओले गिरे से उससे गेहूं की पैदावार वैसे ही कम हुई है. वहीं दूसरी ओर कोरोना का कहर भी उनकी फसलों पर टूट पड़ा है. अगर समय पर फसलों की कटाई नहीं हुई तो वो कर्जे में डूब जाएंगे. इसके अलावा खेत में लगाई गई हरी सब्जियां भी बर्बाद हो जाएंगी'

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
लेबर के बिना परेशान भिवानी के किसान

ग्रेजुएट युवा भी कर रहे हैं कटाई

किसान के परिवार में पढ़े लिखे युवाओं को भी खेतों में फसल कटाई का काम करना पड़ रहा है. गेहूं की कटाई कर रही पलवल जिले की नीतू ने बताया कि वो बीकॉम पास है और हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन का टेस्ट भी क्लियर कर चुकी है. लॉक डाउन होने की वजह से लेबर की कमी है, इसलिए वह अपने परिवार के साथ मिलकर खेत में गेहूं की कटाई कर रही हैं.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
लेबर ना होने के चलते ग्रेजुएट छात्र नीतू मजबूरी में काट रही है अपनी खेत की फसल

किसान सुभाष का कहना है कि लॉकडाउन के चलते फसल काटने के लिए तो मजदूर आ ही नहीं रहे. मजदूर नहीं मिलने से फसल की कटाई कैसे होगी इस बात की चिंता लगातार सता रही है. हालांकि इस दौरान लोकल मजदूरों की मदद से फिलहाल काम चलाया जा रहा है.

कृषि मशीनरी को लॉकडाउन से छूट मिलने से राहत

27 मार्च को गृह मंत्रालय की तरफ जारी निर्देश के अनुसार, सरकार ने कृषि श्रमिकों, उर्वरकों, कीटनाशकों और बीजों की विनिर्माण एवं पैकेजिंग करने वाली इकाइयों को भी लॉकडाउन से छूट दी है. इसमें कहा गया है कि कृषि यंत्रों और खेती के कामकाज वाली मशीनरी के कस्टम हायरिंग केंद्रों को भी लॉकडाउन अवधि के दौरान काम करने की अनुमति दी गई है. लेकिन दूसरे प्रदेशों से आ रही मशीनों को सीमा पर ही सैनिटाइज किया जा रहा है.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
हरियाणा में पंजाब में फंसें कृषि यंत्रों को हरियाणा में भेजने की अनुमति मिली

स्पेयर पार्ट्स की दुकानों को भी खोलने की छूट

वहीं सरकार की तरफ से कृषि संबंधित मशीनरी रिपेयर और स्पेयर पार्ट्स की दुकानें भी खोलने की छूट दी गई है. सिरसा में स्पेयर पार्ट्स दुकानदार राजकुमार ने कहा कि दुकान खुलने का समय प्रशासन की ओर से सुबह 10 बजे से 2 बजे तक रखा गया है. दुकान पर आने वाले लोगों को दूर-दूर बैठाया जा रहा है. सभी नियमों की पालना की जा रही है.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
हरियाणा में एंट्री से पहले कृषि यंत्रों को सैनिटाइज करवाते अधिकारी

20 हजार परचेज सेंटर पर होगी गेंहूं की खरीद

सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अब हरियाणा में फसल की खरीद अनाज मंडियों में नहीं की जाएगी. सरकार की ओर से फसल खरीद के लिए परचेज सेंटर बनाए जाएंगे. जहां किसान आकर अपनी फसल बेचेंगे. गेहूं की खरीद के लिए 20 हजार परचेज सेंटर और सरसों की खरीद के लिए 140 सेंटर बनाए जाएंगे. गेंहूं खरीद के लिए हर तीन गांव पर एक सेंटर खोला जायेगा.

सीएम मनोहर लाल ने बताया कि 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' में जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. वो 19 अप्रैल तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. इसके बाद सरकार 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू कर देगी. सीएम ने साफ किया कि पहले उन किसानों को मौका दिया जाएगा, जिन्होंने 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पर रजिस्ट्रेशन कराया है. इन किसानों के बाद ही दूसरे किसानों को मौका दिया जाएगा.

फसल खरीद में हुई देरी तो मिलेगा इंसेंटिव- सीएम

सीएम मनोहर लाल ने बताया कि कि जिन किसानों की फसल देरी से खरीदी जाएगी, उसके लिए भी सरकार की ओर से इंसेंटिव देने पर विचार किया जा रहा है. सीएम ने बताया कि इंसेंटिव के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है. मंजूर होने के बाद किसानों को होल्डिंग इंसेंटिव देना शुरू कर दिया जाएगा.

'खरीफ की बिजाई का सीजन, ना खाद है ना बीज'

मौजूदा हालात में कोई भी गांव से शहर जाने को तैयार नहीं है. सिरसा के खेतों में काम कर रहे किसानों का कहना है कि हम किसी तरह इस फसल को स्टोर भी कर लें लेकिन खरीफ की बिजाई के लिए उनके पास ना तो बीज है और ना ही खाद. साथ ही किसानों के पास उतने पैसे भी नहीं हैं जो कहीं से खाद और बीज खरीद सकें. इसलिए किसानों ने सरकार से मांग की है कि वो जल्द से जल्द उनकी फसल खरीदे जिससे कि वो खरीफ की फसल को बोने की तैयारी कर पाएं.

चंडीगढ़: हरियाणा गेंहू उत्पादन में यूपी और पंजाब के बाद तीसरे नंबर पर आता है. यहां करीब 25 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है. नई तकनीक और नए प्रयोगों के चलते कई बार ये छोटा सा प्रदेश रिकॉर्ड उत्पादन कर चुका है. कई बार ऐसा हुआ जब कुल गेहूं उत्पादन 130 लाख टन से ज्यादा हुआ. देश के केंद्रीय भंडार में हरियाणा करीब 15 फीसदी गेहूं देता है. हरियाणा के नाम ये रिकॉर्ड भी है कि यहां गेंहूं की पैदावार करीब 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. जबकि अन्य प्रदेशों में प्रति हेक्टेयर पैदावार कम है.

लेकिन कोरोना के कहर के बीच कटाई के मौसम में इस बार गेंहूं किसानोम की चिंता भी बढ़ती जा रही है. गेंहूं की फसल खेतों में खड़ी है. किसानों को पहले तो मजदूर नहीं मिल रहे हैं. ज्यादातर मशीनें जो अन्य प्रदेशों में फसले काटने के लिए गई हुई थीं, वो लॉक डाउन की वजह से वहीं फंस गईं, अगर किसी तरह किसान फसल काट भी ले तो उसका वो क्या करे क्योंकि मंडियां बंद हैं.

मजदूरों का पलायन बड़ी समस्या

किसानों को फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं, जिस वजह से किसान खासे परेशान हैं. क्योंकि पिछले सालों में लावणी(कटाई) के समय दूसरे राज्यों के लोग यहां मजदूरी करने आते थे. इस बार 24 मार्च के बाद लॉकडाउन से सारे लेबर अपने घर लौट गए.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
खुद ही अपने खेतों में कटाई करते किसान

करनाल के शेखपुरा सुहाना के किसान सुरेंद्र सांगवान का कहना है 'इस साल जो बारिश और ओले गिरे से उससे गेहूं की पैदावार वैसे ही कम हुई है. वहीं दूसरी ओर कोरोना का कहर भी उनकी फसलों पर टूट पड़ा है. अगर समय पर फसलों की कटाई नहीं हुई तो वो कर्जे में डूब जाएंगे. इसके अलावा खेत में लगाई गई हरी सब्जियां भी बर्बाद हो जाएंगी'

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
लेबर के बिना परेशान भिवानी के किसान

ग्रेजुएट युवा भी कर रहे हैं कटाई

किसान के परिवार में पढ़े लिखे युवाओं को भी खेतों में फसल कटाई का काम करना पड़ रहा है. गेहूं की कटाई कर रही पलवल जिले की नीतू ने बताया कि वो बीकॉम पास है और हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन का टेस्ट भी क्लियर कर चुकी है. लॉक डाउन होने की वजह से लेबर की कमी है, इसलिए वह अपने परिवार के साथ मिलकर खेत में गेहूं की कटाई कर रही हैं.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
लेबर ना होने के चलते ग्रेजुएट छात्र नीतू मजबूरी में काट रही है अपनी खेत की फसल

किसान सुभाष का कहना है कि लॉकडाउन के चलते फसल काटने के लिए तो मजदूर आ ही नहीं रहे. मजदूर नहीं मिलने से फसल की कटाई कैसे होगी इस बात की चिंता लगातार सता रही है. हालांकि इस दौरान लोकल मजदूरों की मदद से फिलहाल काम चलाया जा रहा है.

कृषि मशीनरी को लॉकडाउन से छूट मिलने से राहत

27 मार्च को गृह मंत्रालय की तरफ जारी निर्देश के अनुसार, सरकार ने कृषि श्रमिकों, उर्वरकों, कीटनाशकों और बीजों की विनिर्माण एवं पैकेजिंग करने वाली इकाइयों को भी लॉकडाउन से छूट दी है. इसमें कहा गया है कि कृषि यंत्रों और खेती के कामकाज वाली मशीनरी के कस्टम हायरिंग केंद्रों को भी लॉकडाउन अवधि के दौरान काम करने की अनुमति दी गई है. लेकिन दूसरे प्रदेशों से आ रही मशीनों को सीमा पर ही सैनिटाइज किया जा रहा है.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
हरियाणा में पंजाब में फंसें कृषि यंत्रों को हरियाणा में भेजने की अनुमति मिली

स्पेयर पार्ट्स की दुकानों को भी खोलने की छूट

वहीं सरकार की तरफ से कृषि संबंधित मशीनरी रिपेयर और स्पेयर पार्ट्स की दुकानें भी खोलने की छूट दी गई है. सिरसा में स्पेयर पार्ट्स दुकानदार राजकुमार ने कहा कि दुकान खुलने का समय प्रशासन की ओर से सुबह 10 बजे से 2 बजे तक रखा गया है. दुकान पर आने वाले लोगों को दूर-दूर बैठाया जा रहा है. सभी नियमों की पालना की जा रही है.

haryana government purchase center arrangement in wheat harvesting crises
हरियाणा में एंट्री से पहले कृषि यंत्रों को सैनिटाइज करवाते अधिकारी

20 हजार परचेज सेंटर पर होगी गेंहूं की खरीद

सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अब हरियाणा में फसल की खरीद अनाज मंडियों में नहीं की जाएगी. सरकार की ओर से फसल खरीद के लिए परचेज सेंटर बनाए जाएंगे. जहां किसान आकर अपनी फसल बेचेंगे. गेहूं की खरीद के लिए 20 हजार परचेज सेंटर और सरसों की खरीद के लिए 140 सेंटर बनाए जाएंगे. गेंहूं खरीद के लिए हर तीन गांव पर एक सेंटर खोला जायेगा.

सीएम मनोहर लाल ने बताया कि 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' में जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. वो 19 अप्रैल तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. इसके बाद सरकार 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू कर देगी. सीएम ने साफ किया कि पहले उन किसानों को मौका दिया जाएगा, जिन्होंने 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पर रजिस्ट्रेशन कराया है. इन किसानों के बाद ही दूसरे किसानों को मौका दिया जाएगा.

फसल खरीद में हुई देरी तो मिलेगा इंसेंटिव- सीएम

सीएम मनोहर लाल ने बताया कि कि जिन किसानों की फसल देरी से खरीदी जाएगी, उसके लिए भी सरकार की ओर से इंसेंटिव देने पर विचार किया जा रहा है. सीएम ने बताया कि इंसेंटिव के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है. मंजूर होने के बाद किसानों को होल्डिंग इंसेंटिव देना शुरू कर दिया जाएगा.

'खरीफ की बिजाई का सीजन, ना खाद है ना बीज'

मौजूदा हालात में कोई भी गांव से शहर जाने को तैयार नहीं है. सिरसा के खेतों में काम कर रहे किसानों का कहना है कि हम किसी तरह इस फसल को स्टोर भी कर लें लेकिन खरीफ की बिजाई के लिए उनके पास ना तो बीज है और ना ही खाद. साथ ही किसानों के पास उतने पैसे भी नहीं हैं जो कहीं से खाद और बीज खरीद सकें. इसलिए किसानों ने सरकार से मांग की है कि वो जल्द से जल्द उनकी फसल खरीदे जिससे कि वो खरीफ की फसल को बोने की तैयारी कर पाएं.

Last Updated : Apr 10, 2020, 5:04 PM IST
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