चंडीगढ़: देशभर के कई राज्यों में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए सरकारों की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में अगर हरियाणा की बात की जाए तो राज्य सरकार भी सोलर ऊर्जा की तरफ आगे बढ़ते हुए कई बड़े प्रयास कर रही है. हरियाणा में फिलहाल 681 मेगावाट सोलर ऊर्जा का कुल उत्पादन होता है. इसमें से करीब 88 मेगावाट बिजली सोलर ऊर्जा विभाग की तरफ से बिजली विभाग को भी दी जाती है.
हरियाणा सरकार जल्द ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप सोलर प्लांट की शुरुआत करने जा रही है. जिसके तहत करीब 3.75 मेगावाट का उत्पादन हो सकेगा. विभाग के अनुसार साल की बड़ी उपलब्धि अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी मार्ग के माध्यम से सरकारी भवनों पर ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप सोलर प्लांट को एक पसंदीदा विकल्प के रूप में लागू किया जाना है. इसके लिए सरकार को किसी भी पूंजी निवेश की आवश्यकता नहीं रहती.
हरियाणा में ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप सोलर प्लांट की प्रदेश के कई बड़े संस्थानों से शुरुवात होगी. इस्का खर्च कंपनी उठाएगी. मगर फायदा तमाम सरकारी विभागों को भी मिलेगा. इसके तहत कंपनी 25 साल के लिए ग्राहक को सोलर पावर प्लांट के माध्यम से देगी. जिसके तहत 7 से 8 साल में इसकी कॉस्ट पूरी होगी और उसके बाद आम बिजली से काफी कम दाम में सौर ऊर्जा से बिजली प्राप्त होगी. हालांकि इसका टैरिफ क्या रहेगा ये अभी सरकार तय करेगी, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि 3.33 पैसे का टैरिफ रह सकता है.
कहां लगेगा प्लांट और कितनी ऊर्जा का होगा उत्पादन?
- सीसीएस हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार में 1000 kw
- दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी सोनीपत में 1000 kw
- भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय सोनीपत में 1000 kw
- जेसी बोस यूनिवर्सिटी फरीदाबाद में 266 kw
- पीजीआई रोहतक में 488 kw
हरियाणा सरकार की तरफ से प्रदेश में सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं. इस क्षेत्र में जो परफॉर्मेंस होनी चाहिए थी उसे अच्छी कर उससे आगे बढ़ने की तरफ अग्रसर है. विभाग की तरफ से 15,000 ऑफ ग्रिड सोलर पंप अंडर कॉम्पोनेन्ट-बी जो कि पीएम कुसुम स्कीम के तहत दिसंबर महीने के पहले हफ्ते से शुरू हुए थे.
इसके तहत 14,724 पंप के कार्य आदेश को रखा गया था, जो 75 प्रतिशत सब्सिडी के साथ लगभग 513 करोड़ की लागत के साथ लक्ष्य का 98.1 प्रतिशत है. वहीं इसके तहत 18 हजार से अधिक किसानों का लाभकारी हिस्सा वितरित किया गया है और हरियाणा सरकार की तरफ से नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय को राज्य में अतिरिक्त 3 हजार पंप आमंत्रित करने का अनुरोध किया गया है. इसके अलावा लगभग 18 मेगावाट क्षमता वाले 3200 से अधिक पंप स्थापित किए गए हैं.
बायोगैस प्रोजेक्ट
हरियाणा में बायोगैस प्रोजेक्ट के उत्पादन की बड़ी संभावना है. जिसमें बायोगैस से प्रतिवर्ष लगभग 96 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. मार्च में लगभग 13 पॉइंट 88 करोड़ की लागत से 1 पॉइंट 2 मेगावाट क्षमता का बायोगैस आधारित बिजली संयंत्र चालू किया गया था. इस परियोजना से सालाना लगभग 85 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी.
गौशालाओं में लगाए गए ऊर्जा संयंत्र
हरियाणा सरकार की तरफ से गौशालाओं को बिजली में सब्सिडी दी जाती है. वहीं अब विभाग की तरफ से योजना बनाई जा रही है जिसके तहत खुद गौशाला ही अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा कर पाएंगे. गौशालाओं में सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना है. इसके तहत गौशालाओं में 15 प्रतिशत और 20 प्रतिशत गौ सेवा आयोग की तरफ से दिया जाएगा. इस साल के दौरान 77 गौशाला में 420 kw कैपेसिटी के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं ओर 250 kw के संयंत्र 70 गौशालाओं में गौ सेवा आयोग से सूची प्राप्त होने के बाद नई गौशालाओं में स्थापित किए जाएंगे.
धान की फसल के बाद होने वाली पराली की समस्या से निपटने के लिए विभाग की तरफ से फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल और जींद में 49.8 मेगावाट कैपेसिटी के पराली आधारित बायोमास बिजली परियोजना पर काम चल रहा है. वहीं पंचकूला को ग्रीन सिटी के रूप में विकास के लिए चुना गया. जिसका उद्देश्य शोर स्वच्छ ऊर्जा स्रोत से अपनी 20 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है. इसके लिए 65 मेगा वाट सौर ऊर्जा की आवश्यकता होगी.
ई-चार्जिंग स्टेशन
हरियाणा में इलेक्ट्रिकल वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पहला ई-चार्जिंग स्टेशन शुरू किया गया है. पंचकूला के अक्षय ऊर्जा भवन में इसकी शुरुआत की जा चुकी है. इसी चार्जिंग सेशन में सभी प्रकार के इलेक्ट्रिकल वाहनों को फ्री चार्जिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी. विभाग की तरफ से प्रदेश में 500 स्थानों पर ई-चार्जिंग स्टेशन लगाने का निर्णय लिया गया है. हर 3 किलोमीटर के क्षेत्र में एक ही चार्जिंग स्टेशन स्थापित हो सके ये लक्ष्य है.
क्या हैं फायदे?
इंटर सोलर के डायरेक्टर भूपेंद्र मारवाह ने बताया कि सरकार तमाम तरह की सब्सिडी किसानों समेत कई वर्गों को दे रही है. वहीं दूसरी तरफ सोलर पावर का इस्तेमाल बढ़ेगा तो टेक्स का बोझ जनता से कम होगा. उन्होंने कहा कि वातावरण के लिए फायदेमंद रहता है, क्योंकि 1 किलो वाट का पावर पैनल करीब डेढ़ टन कार्बन डाइऑक्साइड को रोकता है और उसे खत्म करता है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से पौधारोपण कर पर्यावरण को बचाया जाता है उसी तरह से सोलर पैनल का इस्तेमाल हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत जरूरी है. एक तरफ वातावरण बचाया जा सकता है. वहीं भारी भरकम बिजली के बिलों से भी काफी हद तक छूट मिलती है.
सरकार को राहत
उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से कई तरह की सब्सिडी दी जाती है. अगर सरकार सॉफ्ट लोन के माध्यम से इसको इसका अधिक प्रचार करे तो काफी फायदेमंद होगा. नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से बिजली की बचत तो होगी साथ ही जो सब्सिडी सरकार को देनी होती है उसमें फायदा रहेगा.
भूपेंद्र ने कहा कि एक 1 मीटर पर पैनल लगाकर 5 से 6 किलोवॉट सोलर पावर बनती है. 100 गज के एक घर पर 500 किलोवाट सौर एनर्जी गिरती है. जिसका 18 प्रतिशत भी अगर बिजली में बदले तो 90 प्रतिशत उत्पादन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसमें जागरुकता लाकर ही इसको आगे बढ़ाया जा सकता है.