चंडीगढ़: हरियाणा द्वारा कृषि और बागवानी क्षेत्र में हासिल की गई उल्लेखनीय उपलब्धियों (Agriculture and Horticulture schemes in Haryana) को एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है. दोनों विभागों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड और फसल क्लस्टर विकास कार्यक्रम में अपनी-अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए 'स्कॉच गोल्ड अवार्ड' (Scotch Gold Award in Agriculture and Horticulture) मिला है. यह अवार्ड हरियाणा की ओर से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा एवं बागवानी विभाग के महानिदेशक अर्जुन सैनी ने नई दिल्ली में प्राप्त किया.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल के मार्गदर्शन में हरियाणा निरंतर कृषि और बागवानी क्षेत्र में नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है. प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों के लाभ और आय बढ़ाने की दिशा में प्रयास कर रही है. राष्ट्रीय पूल में खाद्यान्न का दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाले हरियाणा ने बागवानी और कृषि-व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं.
हरियाणा ने लगभग 400 बागवानी फसल समूहों की मैपिंग की है. वहीं 700 किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया है. उन्होंने बताया कि क्लस्टर में बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज को मजबूत करने के लिए राज्य ने एफपीओ के माध्यम से ऑन-फॉर्म इंटीग्रेटेड पैक-हाउस की स्थापना के लिए 510.35 करोड रुपये के परिव्यय के साथ एक महत्वाकांक्षी योजना - ‘फसल क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीसीडीपी) शुरू की है. प्रदेश में अब तक 33 एकीकृत पैक-हाउस स्थापित किए जा चुके हैं और 35 का कार्य प्रगति पर है. चालू वित्त वर्ष के अंत तक ऐसे कुल 100 एकीकृत पैक हाउस स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है.
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10 महीने की छोटी अवधि में 13 हजार 400 मीट्रिक टन बागवानी वस्तुओं के व्यापार का मूल्य 14 करोड़ रुपये से अधिक है, जो भविष्य में 200 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है. सीसीडीपी को उपज के एकत्रीकरण सहित कई मुद्दों को हल करने के लिए लॉन्च किया गया था. इसके अलावा, इसका उद्देश्य कीटनाशकों के अवशेषों, और कीटों, बीमारियों, एफ्लाटॉक्सिन और भारी धातुओं सहित सूक्ष्म जीवविज्ञानी संदूषण सहित स्वच्छता और फाइटोसैनेटिक उपायों को हल करना भी है.
हर खेत-स्वस्थ खेत अभियान: हरियाणा किसानों को बाजार और उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए राज्य में बागवानी आपूर्ति श्रृंखला का पूर्ण आधुनिकीकरण का लक्ष्य रखा गया है. 'हर खेत-स्वस्थ खेत अभियान' के तहत 3-4 वर्षों में लगभग 75 लाख मिट्टी के नमूने एकत्र कर उनका परीक्षण किया जाएगा. प्रत्येक एकड़ के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) किसानों को वितरित किए जाएंगे. मृदा परीक्षण के बारे में लोगों की भागीदारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए मिट्टी के नमूने एकत्र करने और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण का कार्य किसान सहायकों, (स्थानीय ग्रामीणों) और अर्न व्हाइल यू लर्न कार्यक्रम के तहत सरकारी कॉलेजों, सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के विज्ञान छात्रों के माध्यम से किया जा रहा है.
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हरियाणा में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं का नेटवर्क: हरियाणा राज्य में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं का एक विस्तृत नेटवर्क है, जहां किसान खेतों की मिट्टी का परीक्षण आसानी से करा सकते हैं. 20-25 किलोमीटर की परिधि में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाई गई हैं. 2020-21 से पहले विभाग की 35 स्थैतिक मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं थी, जो सालाना 7.4 लाख मिट्टी के नमूनों का परीक्षण कर सकती थीं. वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान विभाग ने 60 नए एसटीएल (13 स्थिर + 47 मिनी) बनाए, अब विभाग के पास कुल 95 (48 स्थिर + 47 मिनी) मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं, जो सालाना 30 लाख मिट्टी के नमूनों का परीक्षण कर सकती हैं. किसान सहायकों और विज्ञान के छात्रों को प्रति मिट्टी का नमूना के लिए 40 रुपये का प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाता है. मिट्टी के नमूने लेने के लिए उन्हें विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया गया था. इसी रणनीति से राज्य ने वर्ष 2022-23 में 30 लाख मिट्टी के नमूने एकत्र किए हैं, जो पिछले वर्षों (2015-2020) की तुलना में आठ गुना अधिक हैं.