चंडीगढ़: भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चडूनी ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने की हरियाणा बीजेपी की पहल को सिरे से नकार दिया है. उनका कहना है कि जब तक तीनों कृषि विधेयक वापस नहीं लिए जाते तब तक वो कृषि मंत्री से नहीं मिलेंगे. बता दें कि, आज हरियाणा का किसान प्रतिनिधिमंडल और बीजेपी के सांसद कृषि अध्यादेशों को लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात करने वाले थे.
केंद्रीय मंत्री से होने वाली मुलाकात से पहले हरियाणा भवन में किसानों और बीजेपी सांसदों की बैठक हुई थी. जिसमें चढूनी ने नरेंद्र तोमर से मिलने से इंकार कर दिया. इस बैठक के बाद 20 सदस्य प्रतिनिधिमंडल केंदीय कृषि मंत्री से मिलने के लिए रवाना हो गया है.
बता दें कि, भारी विरोध के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयक पेश कर दिए हैं. कृषि अध्यादेशों पर जारी बवाल के बीच आज हरियाणा के किसानों का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने वाला था.
आज से पूरे हरियाणा में होंगे धरने
गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन 15 सितंबर यानी की आज से सभी जिला मुख्यालयों पर धरने शुरू करने जा रही है. ये धरने 19 तारीख तक चलेंगे. 20 सितंबर को पूरे प्रदेश में 3 घंटे के लिए सड़क जाम होगा. भाकियू की माने अगर फिर भी सरकार नहीं मानी तो 27 सितंबर से पूरे हरियाणा में किसान यात्रा निकाली जाएगी. यात्रा के समापन पर पूरे हरियाणा के किसानों का बड़ा सम्मेलन होगा. सम्मेलन की तारीख और जगह 27 से पहले तय की जाएगी.
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व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:
इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.
इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?
उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.
मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:
इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.
इस अध्यादेश से क्यों नाखुश है किसान?
इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश:
देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.
इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?
किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.