चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और जेजेपी सरकार आए दिन एक से बढ़कर एक फैसले ले रही है. वहीं, अमृत जल क्रांति के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय जल-संगोष्ठी के दूसरे दिन हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आना वाले समय में प्रदेश में जितने भी नए उद्योग स्थापित किए जाएंगे उनमें नई एवं आधुनिक तकनीक से युक्त वाटर-ट्रीटमेंट प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि, हमारा प्रयास रहेगा कि आईएमटी खरखौदा, आईएमटी सोहना और ड्रीम-प्रोजेक्ट ग्लोबल सिटी को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की ओर लेकर जाएं और वहां के पानी को फिर से उपयोग करने के लायक बनाए जाए. डिप्टी सीएम ने कहा कि, औद्योगिक क्षेत्र से सीवरेज और बरसाती पानी की निकासी के लिए बनाए गए पुराने बुनियादी ढांचे को भी अपडेट करने की जरूरत है. डिप्टी सीएम ने विभागीय अधिकारियों को पुराने रोहतक शहर के औद्योगिक क्षेत्र की सीवरेज व्यवस्था को नई तकनीक के माध्यम से दुरुस्त करने के निर्देश दिए ताकि पानी का फिर से उपयोग किया जा सके.
उन्होंने महाराष्ट्र के लातूर जिले में प्रयोग की जा रही उस तकनीक का भी जिक्र किया जिससे डेड हो चुके बोरवेल का फिर से जीवित किया जा सकता है. उन्होंने प्रदेश के विशेषज्ञों से फरीदाबाद में डेड-बोरवेल को ठीक किए जा रहे प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में लागू करने का सुझाव दिया. इस दौरान उन्होंने प्रदेश में प्राकृतिक झीलों के निर्माण पर चर्चा की. इसके अलावा दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सभी जिलों में जल-संरक्षण के क्षेत्र में कम से कम एक पायलट प्रोजेक्ट बनाया जाए ताकि उनके परिणामों के आधार पर लोगों को प्रेरित किया जा सके.
प्रदेश में पहली बार आयोजित की जा रही इस प्रकार की संगोष्ठी के लिए दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए बिजली और सड़क से भी अधिक भविष्य के लिए जल-संरक्षण की जरूरत है. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश सरकार जल-संरक्षण और वाटर-ट्रीटमेंट के क्षेत्र में लगातार काम कर रही है.
कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ने 'जल ही जीवन है' के स्लोगन का उदाहरण देते हुए कहा कि पानी के समुचित प्रबंधन के अभाव के चलते वाटर-क्राइसिस की स्थिति पैदा होने लगी है. यही वजह है कि शहरों में टैंकर से पानी की सप्लाई करनी पड़ती है. इसके अलावा उन्होंने, सिंगापुर, यूएई और कोरिया जैसे देशों के बेहतरीन वाटर-मैनेजमेंट का उदाहरण देते हुए प्रदेश के अधिकारियों से एक विजन तैयार करने को कहा.
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