चंडीगढ़: कांग्रेस में G-23 गुट के नेताओं की बैठकें लगातार जारी है, जिनमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बदलाव को लेकर चर्चाएं तेज है. ऐसे में हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष की चर्चाएं भी सामने आ रही हैं. जिनके अनुसार बताया जा रहा है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं और और आलाकमान पर इसके लिए दबाव भी बना रहे हैं. भूपेंद्र हुड्डा और राहुल गांधी की मुलाकात (Bhupinder Hooda meet Rahul Gandhi) के बाद यह अटकलें और तेज हो गई.
इसको लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता केवल ढींगरा से बात (Haryana Congress statement on Deepender Hooda) की. केवल ढींगरा ने बताया कि हरियाणा ही नहीं बल्कि कांग्रेस सभी राज्यों में विभिन्न पदों के लिए चुनाव करवा रही है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसके तहत चुनाव करवाकर अध्यक्ष समेत सभी पदों पर नियुक्तियां की जाती है. केवल ढींगरा ने कहा कि जहां तक दीपेंद्र हुड्डा की बात है, तो इसमें कुछ सच्चाई नजर नहीं आती कि भूपेंद्र हुड्डा उन्हें अध्यक्ष बनवाने के लिए जानबूझकर कांग्रेस में अपने कद का इस्तेमाल करेंगे.
गौरतलब है कि इसमें कोई शक नहीं है कि भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं. दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अध्यक्ष पद का फैसला पार्टी चुनाव द्वारा ही होता है. यह पदाधिकारियों को चुनने की पार्टी की एक प्रक्रिया है. जो कि चुनाव के माध्यम से तय होता है. जिसके बाद ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चयन होगा. वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच चल रही अनबन को भी केवल ढींगरा ने सिरे से नकार दिया और कहा कि कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी है और हर किसी को अपनी बात कहने का हक है.
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G-23 में कोई नेता नहीं- राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में बात करते हुए केवल ढींगरा ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है, सारी पार्टी एकजुट है. केव ढींगरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी दूसरी पार्टियों की तरह तानाशाही पार्टी नहीं, बल्कि एक लोकतांत्रिक पार्टी है और इस पार्टी में सभी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है. पार्टी हाईकमान सभी की बातों पर गंभीरता से ध्यान देती है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस में कोई G-23 नहीं है, ना जाने किसने ये नाम दिया है. ये सब कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी है, जो हाइकमान तक अपनी बात पहुंचा रहे है.
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