चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभी भले ही वक्त है लेकिन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस समेत तमाम पार्टियों ने प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं. चुनाव को लेकर आगामी रणनीति तैयार करने के लिए कांग्रेस की प्रदेश इकाई आए दिन बैठकें कर रहे हैं. वहीं, चुनाव से पहले सूबे में कांग्रेस का कुनबा भी लगातार बढ़ता जा रहा है. रविवार को बीजेपी और जेजेपी के अलावा कई नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया.
हरियाणा का पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान और दीपेंद्र हुड्डा की मौजूदगी में 3 पूर्व विधायकों समेत बीजेपी, जेजेपी, इनेलो और आम आदमी पार्टी को छोड़कर करीब 56 नेता कांग्रेस में शामिल हुए. इन नेताओं ने कांग्रेस की नीतियों और भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में आस्था जताते हुए कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की.
बता दें कि, आज पूर्व विधायक पदम सिंह दहिया, मूला राम और बिजेंद्र कादियान कांग्रेस में शामिल हुए. इसके अलावा ललित बंसल (प्रदेश उपाध्यक्ष, जेजेपी), राकेश यादव (रि. सेशन जज), डॉ. कपूर सिंह (पूर्व मेंबर HPCC), अरविंद शर्मा (प्रदेश अध्यक्ष, समाज कल्याण भाजपा) ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. कांग्रेस में शामिल होने के बाद इन नेताओं प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी और जेजेपी में भगदड़ मच चुकी है. चुनाव तक कोई टिकट लेने वाला भी नहीं बचेगा.
पार्टी में शामिल हुए नेताओं का कहना है कि प्रदेश की जनता बीजेपी-जेजेपी की कुनीतियों से त्रस्त हो चुकी है. इसलिए सत्ताधारी गठबंधन में अभी से भगदड़ मच चुकी है. हालात यह है कि चुनाव आने तक बीजेपी-जेजेपी व अन्य दलों में कोई टिकट लेने वाला भी नहीं बचेगा. क्योंकि प्रदेश की जनता अभी से कांग्रेस को वोट देने का मन बना चुकी है.
इस मौके पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा, चौधरी उदयभान और सांसद दीपेंद्र ने सभी नेताओं का पार्टी में स्वागत किया. चौधरी उदयभान ने कहा कि प्रदेश का सियासी मौसम बदल चुका है. कांग्रेस के पक्ष में चल रही हवा अब आंधी का रूप ले चुकी है और चुनाव आने तक यह तूफान में तब्दील हो जाएगी.
इससे पहले राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने के खिलाफ हरियाणा कांग्रेस की तरफ से सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक सत्याग्रह किया गया. इस मौके पर पार्टी के तमाम विधायक, पूर्व विधायक एवं पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे और सभी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. यहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रजातंत्र में प्रतिशोध की कोई जगह नहीं होती. बीजेपी राहुल गांधी के खिलाफ प्रतिशोध की राजनीति कर रही है, लेकिन कांग्रेस इसके खिलाफ सत्याग्रह के रास्ते पर संघर्ष करने के लिए तैयार है.
वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि, बीजेपी-जेजेपी जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने में लगी है, जबकि उसे आज प्रदेश के हालात पर ध्यान देते हुए जनता की समस्याओं का समाधान करना चाहिए. आज किसान मंडियों में पोर्टल नहीं चलने और सरसों की खरीद नहीं होने के चलते परेशान हैं. किसान लगातार मौसम की मार झेल रहे हैं, लेकिन अब तक ना उन्हें मुआवजा मिला और ना ही खराबे की गिरदावरी हुई. इतना ही नहीं पोर्टल नहीं चलने की वजह से किसान मुआवजे की अपील तक नहीं कर पा रहे हैं. सरकार तुरंत गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा दे.
इसके अलावा इस दौरान चौधरी उदयभान ने कहा कि बीजेपी कितना भी जोर लगा ले, लेकिन वो कांग्रेस और राहुल गांधी की आवाज को दबा नहीं सकती. कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता बीजेपी के अलोकतांत्रिक रवैये के खिलाफ आवाज बुलंद करेगा. देश के संविधान व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है.
वहीं, दीपेंद्र हुड्डा ने आरोप लगाया कि संस्थाओं का दुरुपयोग करके सरकार विपक्ष की आवाज को दबा रही है. उन्होंने अपने पूरे सांसद कार्यकाल में कभी नहीं देखा कि खुद सरकार संसद की कार्यवाही को बाधित कर रही हो. ऐसा पहली बार हो रहा है क्योंकि सरकार राहुल गांधी द्वारा उठाई जा रही हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर जेपीसी की मांग को दबाना चाहती है. सरकार इस कदर विपक्ष को खारिज करना चाहती है कि राहुल गांधी की सदस्यता निरस्त होने के बाद जब सभी विपक्षी सांसद राष्ट्रपति से मिलकर ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया गया.
संसद में उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पूछे गए सवाल के जवाब में सांसद दीपेंद्र ने कहा कि हरियाणा की कमजोर बीजेपी-जेजेपी सरकार के चलते केंद्र की कई परियोजनाएं सिरे नहीं चढ़ पा रही हैं. गठबंधन सरकार मेट्रो विस्तार के लिये केंद्र द्वारा आवंटित 13141.75 करोड़ रुपये में से एक भी रुपया नहीं ले पायी. इतना ही नहीं संसद से मिले जवाब से पता चला कि हरियाणा के शहरों को रैपिड रेल से जोड़ने का काम भी खटाई में पड़ गया है. संसद में पुरानी पेंशन स्कीम बहाली पर पूछे सवाल का केंद्र सरकार ने गोलमोल जवाब दिया, जिससे स्पष्ट है कि उसकी नीयत पुरानी पेंशन योजना लागू करने की नहीं है.
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