चंडीगढ़: पहले पंजाब के नेताओं की आपसी खींचतान और अब हरियाणा के नेताओं की आपसी रार कांग्रेस आलाकमान के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है. पंजाब में तो कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी मौल लेते हुए नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब की कमान सौंप दी है, लेकिन हरियाणा के पत्ते अभी पूरी तरह से नहीं खोले हैं.
हालांकि हरियाणा में भी कांग्रेस आलाकमान ने शायद बड़े संकेत दे दिए हैं कि जिस तरह पंजाब में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की दबाव की राजनीति नहीं चली, कुछ ऐसा ही हरियाणा में भी होने वाला है. हरियाणा में कांग्रेस 7 साल बाद कार्यकारिणी का गठन करने जा रही है. सूत्रों से पता चला है कि अगले 15 दिन के अंदर नेताओं के नाम घोषित भी कर दिए जाएंगे.
गौरतलब है कि पिछले 7 सालों से हरियाणा कांग्रेस प्रदेश में अपनी कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाई है. जिसकी वजह से पार्टी चाहे जिला स्तर पर हो या ब्लॉक स्तर पर, हर जगह हाशिए पर दिखाई देती है. पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच की खींचतान की वजह से इसका गठन नहीं हो पाया था.
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वहीं वर्तमान हालात में कुमारी सैलजा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी कार्यकारिणी का गठन काफी चुनौतीपूर्ण रहा. माना जा रहा है कि अब इस मसले का हल हो चुका है और जल्द ही प्रदेश कांग्रेस के जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों के नामों की घोषणा हो जाएगी.
बता दें कि, पिछले कई दिनों से हरियाणा कांग्रेस के बड़े नेताओं और विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाल रखा था. हर रोज हरियाणा के नेता पार्टी से शीर्ष नेताओं से दिल्ली में मुलाकात कर अपनी लॉबी बनाने में जुटे हुए थे. कुछ ऐसा ही पंजाब के नेताओं का भी हाल रहा था, लेकिन पंजाब में जो कांग्रेस ने किया उससे साफ जाहिर है कि शायद अब कांग्रेस में दबाव की राजनीति नहीं चल पा रही है.
प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भी बात करते हुए यही दावा किया. हरियाणा कांग्रेस में चल रही खींचतान को लेकर उन्होंने कहा कि इस स्थिति को किसी दूसरे राज्य की स्थिति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि हर राज्य की स्थिति अलग होती है और मौजूद परिस्थितियों को देखकर आलाकमान फैसले करती है जो सभी को मान्य होते हैं. इसमें दबाव की कोई राजनीति नहीं होती.
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उन्होंने आगे कहा कि एक संगठन से जुड़े सभी लोगों को पार्टी आलाकमान के फैसलों को मानना होता है. ये फैसले सभी कार्यकर्ता मानते भी हैं. जहां तक बात हरियाणा कांग्रेस की है तो प्रदेश कांग्रेस को लेकर पार्टी आलाकमान भविष्य में जो भी फैसला करेगी वह सबको मान्य होंगे. प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी का विस्तार जल्द किया जाएगा.
बहरहाल जिस तरह से जल्द ही हरियाणा में कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी का गठन होने वाला है उसके बाद राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा तेज हो गई है कि विधानसभा चुनाव की तरह इस बार दिल्ली में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की शायद नहीं चली है, और बाजी जीतते हुए अगले 15 दिन के अंदर सैलजा कार्यकारिणी का एलान करने जा रही हैं.
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