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हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में आएगी कमी, पराली को आय के स्रोत में बदलने पर महत्वपूर्ण बैठक

हरियाणा में पराली जलाने की घटना में लगातार कमी आ सके इसके लिए अधिकारी लगातर बैठकें कर रहे हैं. वहीं, हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि पराली को आय के स्रोत में बदलने के लिए ठोस कदम उठाया जा रहा है.(Sanjeev Kaushal meeting on Stubble Management)

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Published : Jun 23, 2023, 6:49 AM IST

Sanjeev Kaushal meeting on Stubble Management
पराली को आय के स्रोत में बदलने पर हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने की बैठक.

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने यह बात धान की पराली जलाने की घटनाओं से निपटने संबंधी एक बैठक में कहा कि हरियाणा ने पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं को लगभग 40 फीसदी तक कम करने में सफलता हासिल की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक समय था जब हरियाणा में धान की पराली को पर्यावरणीय खतरे के रूप में देखा जाता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे किसानों की आय बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में बदलने का काम किया है. सरकार ने पराली के सदुपयोग व सही प्रबंधन के लिए सामान्य निर्धारित दर (कॉमन डिटरमाइंड रेट) की घोषणा की है. इसके अंतर्गत धान की खेती में इन-सीटू और एक्स-सीटू तकनीक और डायरेक्ट सीडेड राइस तकनीक के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ धान की पराली के लिए 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के कॉमन डिटरमाइंड रेट की घोषणा जैसे उपाय शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: Sunflower Purchase in Haryana: हरियाणा में अब तक 21 हजार 52 मीट्रिक टन सूरजमुखी की खरीद, जानिए कितना है नया दाम

'किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी सरकार का लक्ष्य': मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में शून्य कृषि अग्नि परिस्थिति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन एवं 20 फीसदी से कम नमी पर अतिरिक्त 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन रुपये की सीडीआर अधिसूचित की है. इसके अलावा, हरियाणा के किसानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान किया जा रहा है. इन-सीटू/एक्स-सीटू तकनीक के लिए प्रति एकड़ 1000 रुपये है. मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत 7000 प्रति एकड़ और धान की खेती में डीएसआर तकनीक के लिए प्रति एकड़ 4000 रुपये निर्धारित है. इसका उद्देश्य राज्य में टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देते हुए किसानों को उनकी आय अधिकतम करने में सहायता करना है.

धान की पराली को जैव ईंधन में बदलने पर जोर: संजीव कौशल ने धान की पराली को जैव ईंधन में बदलने के लिए उठाए गए कदमों पर जोर दिया. बैठक में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे हरियाणा में औद्योगिक इकाइयों में 13,54,850 मीट्रिक टन धान की पराली का उपयोग करने का लक्ष्य रखा है. ये पहल टिकाऊ कृषि पद्धतियों और कृषि अपशिष्ट के प्रभावी और उपयुक्त उपयोग के प्रति हरियाणा प्रदेश के सकारात्मक रुख को व्यक्त करती है. भारत सरकार द्वारा हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश और एनसीटी दिल्ली में फसल अवशेषों के यथास्थान प्रबंधन के लिए और कृषि तंत्र को बढ़ावा देने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत तीन सौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में रद्द होगा टोपीदार बंदूकों का लाइसेंस, सरकार ने जारी किए बंदूकों को जब्त करने के आदेश

पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों से किसानों को किया गया जागरूक: संजीव कौशल ने सभी जिलों में सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने उपायुक्तों से किसान संघों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का आग्रह किया. उन्होंने संबंधित समूहों को तत्काल सक्रिय करने के निर्देश भी दिए. इसके अलावा मुख्य सचिव ने कहा कि उपायुक्त हर 15 दिन पर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करने के लिए कहा.

पराली जलाने की घटनाओं को शून्य पर लाने की कोशिश: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष एम. एम. कुट्टी ने कहा कि हरियाणा ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पराली प्रबंधन की दिशा में बेहतर काम की प्रशंसा है, लेकिन पराली जलाने की घटनाओं को शून्य पर लाना होगा. इसके लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस दिशा में और अधिक मेहनत करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएं ताकि पराली का उचित प्रबंधन हो सके. बैठक में राज्य की कार्य योजना और तैयारियों की समीक्षा की गई. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष एम.एम. कुट्टी, पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत गर्ग, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पी. राघवेंद्र राव और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक नरहरि बांगर उपस्थित थे.

(प्रेस नोट)

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने यह बात धान की पराली जलाने की घटनाओं से निपटने संबंधी एक बैठक में कहा कि हरियाणा ने पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं को लगभग 40 फीसदी तक कम करने में सफलता हासिल की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक समय था जब हरियाणा में धान की पराली को पर्यावरणीय खतरे के रूप में देखा जाता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे किसानों की आय बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में बदलने का काम किया है. सरकार ने पराली के सदुपयोग व सही प्रबंधन के लिए सामान्य निर्धारित दर (कॉमन डिटरमाइंड रेट) की घोषणा की है. इसके अंतर्गत धान की खेती में इन-सीटू और एक्स-सीटू तकनीक और डायरेक्ट सीडेड राइस तकनीक के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ धान की पराली के लिए 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के कॉमन डिटरमाइंड रेट की घोषणा जैसे उपाय शामिल हैं.

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'किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी सरकार का लक्ष्य': मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में शून्य कृषि अग्नि परिस्थिति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन एवं 20 फीसदी से कम नमी पर अतिरिक्त 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन रुपये की सीडीआर अधिसूचित की है. इसके अलावा, हरियाणा के किसानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान किया जा रहा है. इन-सीटू/एक्स-सीटू तकनीक के लिए प्रति एकड़ 1000 रुपये है. मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत 7000 प्रति एकड़ और धान की खेती में डीएसआर तकनीक के लिए प्रति एकड़ 4000 रुपये निर्धारित है. इसका उद्देश्य राज्य में टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देते हुए किसानों को उनकी आय अधिकतम करने में सहायता करना है.

धान की पराली को जैव ईंधन में बदलने पर जोर: संजीव कौशल ने धान की पराली को जैव ईंधन में बदलने के लिए उठाए गए कदमों पर जोर दिया. बैठक में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे हरियाणा में औद्योगिक इकाइयों में 13,54,850 मीट्रिक टन धान की पराली का उपयोग करने का लक्ष्य रखा है. ये पहल टिकाऊ कृषि पद्धतियों और कृषि अपशिष्ट के प्रभावी और उपयुक्त उपयोग के प्रति हरियाणा प्रदेश के सकारात्मक रुख को व्यक्त करती है. भारत सरकार द्वारा हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश और एनसीटी दिल्ली में फसल अवशेषों के यथास्थान प्रबंधन के लिए और कृषि तंत्र को बढ़ावा देने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत तीन सौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

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पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों से किसानों को किया गया जागरूक: संजीव कौशल ने सभी जिलों में सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने उपायुक्तों से किसान संघों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का आग्रह किया. उन्होंने संबंधित समूहों को तत्काल सक्रिय करने के निर्देश भी दिए. इसके अलावा मुख्य सचिव ने कहा कि उपायुक्त हर 15 दिन पर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करने के लिए कहा.

पराली जलाने की घटनाओं को शून्य पर लाने की कोशिश: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष एम. एम. कुट्टी ने कहा कि हरियाणा ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पराली प्रबंधन की दिशा में बेहतर काम की प्रशंसा है, लेकिन पराली जलाने की घटनाओं को शून्य पर लाना होगा. इसके लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस दिशा में और अधिक मेहनत करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएं ताकि पराली का उचित प्रबंधन हो सके. बैठक में राज्य की कार्य योजना और तैयारियों की समीक्षा की गई. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष एम.एम. कुट्टी, पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत गर्ग, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पी. राघवेंद्र राव और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक नरहरि बांगर उपस्थित थे.

(प्रेस नोट)

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