चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा में 6 नए उपमंडल को मंजूरी मिल गई है. इनमें मानेसर (गुरुग्राम), नीलोखेड़ी (करनाल), इसराना (पानीपत), छछरौली (यमुनानगर), नांगल चौधरी (महेंद्रगढ़), और जुलाना (जींद) को उपमंडल बनाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगा दी गई. काफी समय से इन्हें उपमंडल बनाने की मांग की जा रही थी.
राज्य सरकार ने राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में उप-तहसीलों, तहसीलों, उप-मंडलों और जिलों के पुनर्गठन के लिए एक समिति का गठन किया है. जिसका उद्देश्य जनता तक बेहतर सेवाएं पहुंचाना और विभिन्न क्षेत्रों में प्रशासनिक दक्षता, प्रशासनिक स्तर पर तालमेल लाना और सेवाओं का बेहतर वितरण करना है. मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व में तय की गई प्रशासनिक इकाइयों के निर्माण के मापदंड के आधार, साथ ही यातायात, परिवहन, सामाजिक समरूपता, बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और भविष्य के विस्तार की संभावना को ध्यान में रखते हुए समिति ने 6 सब-डिवीजन बनाने की सिफारिश की थी.
इसके साथ ही मंत्रिमंडल की बैठक में कृषि-व्यवसाय एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति-2018 में संशोधन तथा इसके अंतर्गत प्रोत्साहन योजनाओं के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गई. संशोधित प्रस्ताव के अनुसार 'बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज स्कीम' के अंतर्गत 25 परियोजनाएं और 'इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन एंड वैल्यू एडिशन स्कीम' के तहत 15 अतिरिक्त परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी.
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नीतिगत बजट 433 करोड़ रुपये का अपरिवर्तित बजट रहेगा. व्यक्तिगत कृषि और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के निर्माण, विस्तार और विविधीकरण की योजना से 31 मार्च, 2024 तक या नई कृषि-व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण नीति की अधिसूचना तक, जो भी पहले हो, 160 करोड़ रुपये का बजट उपरोक्त योजनाओं में परिवर्तित किया जाएगा. यह संशोधन वांछित नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त करने में मददगार होगा और एक वृहद खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के साथ-साथ राज्य में किसानों की आय बढ़ाने के लिए भी उपयोगी होगा.
हरियाणा कृषि-व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण नीति को कृषि क्षेत्र में त्वरित विकास प्राप्त करके एक समृद्ध ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनाने, मजबूत मूल्य श्रृंखला लिंकेज बनाने, अनुसंधान पर जोर देने और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना के दृष्टिकोण के साथ अधिसूचित किया गया था. नीति का उद्देश्य हरियाणा को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेशकों के लिए एक स्पष्ट गंतव्य बनाना, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों जैसे डेयरी, बागवानी, पशुधन, मत्स्य और पोल्ट्री आदि में मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना और निवेश करके बुनियादी ढांचे को मजबूत करना था.
इस नीति को अधिसूचित करने का उद्देश्य वर्ष 2023 तक 3500 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करना, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में 20 हजार लोगों के लिए रोजगार सृजन करना और जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं (फल, सब्जियां), डेयरी, मत्स्य पालन आदि में प्रसंस्करण के स्तर को 10 प्रतिशत तक बढ़ाना था.
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