दिल्ली/चंडीगढ़ः नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक हुई. हरियाणा में सरकार बनाने और कैबिनेट गठन के बाद बीजेपी की ये पहली बैठक थी. अनुमान लगाए जा रहा थे कि इस बैठक में हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिलने को लेकर चर्चा हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
बैठक में मौजूद बीजेपी नेता
बैठक की अध्यक्षता बीएल संतोष ने की. बैठक शुरू होते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल अभिनंदन किया गया. इस बैठक में बैठक में सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश प्रभारी अनिल जैन, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, कैबिनेट मंत्री अनिल विज, कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, राव इंद्रजीत सिंह , रतन लाल कटारिया, पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु , ओपी धनकड़, सांसद संजय भाटिया , पूर्व सांसद सुधा यादव भी मौजूद थे.
हरियाणा कैबिनेट की बैठक
दिल्ली में कोर कमेटी की बैठक के तुरंत बाद और मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सोमवार या मंगलवार को हरियाणा कैबिनेट की बैठक हो सकती है. सीएम ने कहा कि सोमवार या फिर मंगलवार को नई मंत्रियों वाली मंत्रिमंडल की पहली मीटिंग होगी. जब उनसे पूछा गया कि क्या 2 और मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा तो इस पर उन्होंने कहा कि थोड़ा और इंतजार करना चाहिए.
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कई बैठकों बाद मंत्रिमंडल का विस्तार
लंबे खींच-तान के बाद गुरुवार को मंत्रिमंडल विस्तार में 6 कैबिनेट मंत्रियों सहित चार राज्य मंत्री बनाए गए थे. राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने सभी विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई थी. इसके बाद शुक्रवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर ने खुद जाकर सभी मंत्रियों को कुर्सी पर बैठाया और उन्हें लड्डू खिलाकर पदभार सौंपा. इससे पहले सभी मंत्रियों को सीएम कार्यालय में बुलाया गया था. वहां से सीएम एक-एक मंत्री को लेकर उनके कार्यालय पहुंचे.
ओवर कॉन्फिडेंस से टूटा 75 पार का सपना!
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी पूरी तरह से आश्वस्त थी. अपनी जीत को लेकर बीजेपी ने एक एजंडा भी सेट कर रखा था. जिसका नारा था अबकी बार 75 पार, लेकिन इस बार हरियाणा की जनता का मूड ऐसा बदला की एक ही झटके में बीजेपी का सत्ता का ताज खतरे में आ गया. यानी हरियाणा की जनता ने किसी भी दल को पूर्ण बहूमत नहीं दी. हालांकि बीजेपी को 40 सीटें जरूर मिली लेकिन अभी भी बीजेपी को सरकार बनाने के लिए सहारे की जरुरत थी. जिसके चलते बीजेपी ने इनेलो से टूटी जननायक जनता पार्टी से गठबंधन कर लिया और एक बार फिर सत्ता में आ गई.