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इस बार कितना अलग है हरियाणा का 'रण', हुड्डा रोक पाऐंगे 'चैंपियन' बीजेपी का विजय रथ?

भारत में क्रिकेट की भाषा बच्चे से लेकर बूढ़े तक समझते हैं, हरियाणा ही क्या देश की राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो इस समय कोई पार्टी चैम्पियन की तरह बैटिंग करते हुए मैच जीत रही है वो भारतीय जनता पार्टी, जिसको देखते हुए हरियाणा के 14वें विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़े स्कोर की प्लानिंग कर चुकी है, लेकिन लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों के साथ जीरो पर आउट होने वाली कांग्रेस ने एक बार फिर प्रदेश के सबसे कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा को गेंद थमाई है, हुड्डा चुनाव में विपक्षियों पार्टियों के साथ फील्डिंग सेट कर बीजेपी को कितने स्कोर पर रोक पाएंगे ये देखने वाली बात होगी.

डिजाइन फोटो.
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Published : Sep 15, 2019, 4:54 AM IST

Updated : Sep 15, 2019, 4:15 PM IST

चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव विजय पताका लहराने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है. हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक चुनावी विसात बिछ चुकी है और बीजेपी नेता एक बार फिर इन चुनावों को पूरी गंभीरता से ले रहे है, ऐसे में सवाल ये है कि क्या लोकसभा चुनाव और निगम चुनाव की तरह ही बीजेपी एक तरफा जीत हासिल करते हुए अब तक सबसे बड़ा बहुमत पाएगी, या फिर ऐन मौके पर कांग्रेस में किए बदलाव से बीजेपी का विजय रथ हरियाणा में रुक जाएगा.

manohar lal with hooda
सीएम के साथ एक्स सीएम हुड्डा (फाइल फोटो)

पांच पार्टी मैदान में
14वें विधानसभा के लिए चुनाव होना है और इस बार प्रदेश में पांच बड़ी पार्टी मैदान में है, (बीजेपी, कांग्रेस, इनेलो, जेजेपी, और आप), लेकिन इनमें से 4 पार्टियां वो हैं , जिनका प्रदर्शन पिछले चुनावों में बिल्कुल रंगहीन रहा है. बीजेपी के सामने ये कहीं नहीं टिक पाए हैं. फिर भी अगर कोई पार्टी इस समय प्रदेश बीजेपी को चुनौती दे सकती है तो वो है कांग्रेस. ऐन मौके पर प्रदेश नेतृत्व में कांग्रेस हाईकमान ने बदलाव किया है लेकिन फिर भी गुटबाजी की बात लगातार दिख ही रही है. लेकिन लोकसभा चुनाव रोहतक और सोनीपत गंवाने के बाद इस बार हुड्डा खुद को साबित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे.

design photo.
डिजाइन फोटो.

इनेलो की वापसी मुश्किल!
वहीं चौटाला परिवार में हुए राजनीतिक बिखराव के बाद जननायक जनता पार्टी और इनेलो भी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके कारण अतीत के चुनावों के बाद पहली बार इनेलो इतनी कमजोर दिख रही है. लोकसभा चुनाव में तो इनेलो की कई सीटों पर जमानत तक जब्त हो गई और अब तक चुनाव से ठीक पहले पार्टी वरिष्ठ नेता अशोक अरोड़ा ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया, जिसके बाद इनेलो इस समय वापसी करती नहीं दिख रही है.

dushyant choutala.
दुष्यंत चौटाला (फाइल फोटो)

लोग भूल गए 'सीएम आया..सीएम आया'!
जेजेपी की बात करें तो ये पार्टी राज्य में अपना अस्तित्व बनाने में लगी हुई है, दुष्यंत चौटाला जो सोच कर इनेलो से अलग हुए थे, उसका प्रभाव ज्यादा समय तक नहीं रहा, 2018 में अनुशासनहीनता के आरोपों में इनेलो से बाहर निकाले जाने के बाद दुष्यंत और दिग्विजय को लेकर लोगों में दिवानगी थी और 'सीएम आया ..सीएम आया' के नारे भी लगातार लग रहे थे, लेकिन समय और पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद ये उत्साह धीरे-धीरे ठंडा पड़ा गया.

उपचुनाव का जोश लोकसभा चुनाव में ठंडा!
जींद उपचुनाव के दौरान बतौर निर्दलीय प्रत्याशी दिग्विजय के प्रदर्शन से दुष्यंत गुट में जान लगातार बनी रही, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणामों के साथ ही लोगों का आकर्षण कम होता दिखा. इसमें सबसे बड़ी वजह रही दुष्यंत चौटाला की हार.

दिल्ली वाले मॉडल से लुभाएंगे!
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी तथा उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार के चुनाव में भले ही छोटे प्लेयर्स की भूमिका में हों, लेकिन कमतर बिल्कुल भी नहीं हैं, क्योंकि जिस तरह से ये पार्टी लोकसभा चुनाव में जूझती नजर आई वो काबिलोतारीफ थी, और एक बार फिर इस चुनाव दिल्ली वाले स्कूल मॉडल और अस्पतालों के विकास मॉडल के साथ 'आप' हरियाणा की जनता को रिझाने की कोशिश कर सकती है.

arvind kejriwal.
सीएम केजरीवाल नवीन जयहिंद के साथ (फाइल फोटो).

पहली बार में ही 'मनोहर' शुरुआत..

manohar lal
मनोहर लाल (फाइल फोटो)

प्रदेश के राजनीतिक बिसात को समझने के लिए राजनीतिक दलों की इतिहास में झांकना अहम हो जाता है. सबसे पहले चुनावी महासमर की सबसे बड़ी प्लेयर पार्टी भाजपा की बात करते हैं. हरियाणा के इतिहास में 2014 के चुनाव में पहला मौका था, जब भाजपा ने 47 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत वाली अपनी खुद की सरकार बनाई और दूसरे दलों की बैसाखियों को हमेशा के लिए छोड़ दिया. करनाल से पहली बार विधायक बने मनोहर लाल पहली बार में ही सूबे के मुख्यमंत्री बन गए.

manohar lal.
मनोहर लाल (फाइल फोटो).

कैसा होगा लोगों का माइंडसेट?
पंजाब से अलग होने के बाद 2014 में 13वें विधानसभा में पहला मौका था जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और अब 14वें विधानसभा में बीजेपी ने 75 पार का नारा देते हुए बड़ा लक्ष्य बनाया है और ये लोकसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए मुमकिन भी लग रहा है, क्योंकि में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 सीटें जीतने के साथ ही 79 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की है, लेकिन उस समय बीजेपी को राष्ट्र भक्ति और पीएम के चहरे पर वोट मिला था लेकिन इस समय मतदाता उससे अलग मानसिकता के साथ भी जा सकते हैं, जैसा कि हम मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में देख चुके हैं, जहां कांग्रेस की सरकार बनने के बावजूद लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बाजी मार ली.

concept image.
कॉन्सेप्ट इमेज.

पीएम की ओपनिंग, 'फिनिशर' कौन?
अब आने वाले दिनों कभी भी प्रदेश में आचार संहिता लागू हो सकती है और चुनावो का एलान भी हो सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोहतक से बीजेपी के लिए प्रचार की शानदार ओपनिंग कर दी है. नड्डा के साथ ही अमित शाह के दौरे भी जल्द ही होने वाले हैं. पीएम ने जिस तरीके से artilce 370 और जम्मू कश्मीर की बात की है, उससे ये लग रहा है कि बीजेपी के बाकि नेता भी विकास की बातों के साथ राष्ट्र भक्ति का मुद्दा एक बार फिर भुनाएंगे.

pm with cm manohar lal.
पीएम के सीएम मनोहर लाल( फाइल फोटो).

दिवाली से पहले की 'आतिशबाजी'
जहां तक बात चुनाव की है तो वो अक्टूबर महीने के मध्य में होने की उम्मीद है और उसी के 4-5 दिनों के भीतर परिणाम भी सामने आने की उम्मीद है, जिस में सब क्लियर हो जाएगा कि क्या इस मौजूदा समय में पीएम मोदी और अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी ही सबसे बड़ी प्लेयर है या फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा जो कि लोकसभा चुनाव में अपना सब कुछ गवां चुके हैं, वो चैंपियन बीजेपी को बाउंसर लगाते अपने कद के साथ न्याय कर दिल्ली में खुद को साबित कर पाएंगे या नहीं.

diwali
कॉन्सेप्ट इमेज.

चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव विजय पताका लहराने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है. हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक चुनावी विसात बिछ चुकी है और बीजेपी नेता एक बार फिर इन चुनावों को पूरी गंभीरता से ले रहे है, ऐसे में सवाल ये है कि क्या लोकसभा चुनाव और निगम चुनाव की तरह ही बीजेपी एक तरफा जीत हासिल करते हुए अब तक सबसे बड़ा बहुमत पाएगी, या फिर ऐन मौके पर कांग्रेस में किए बदलाव से बीजेपी का विजय रथ हरियाणा में रुक जाएगा.

manohar lal with hooda
सीएम के साथ एक्स सीएम हुड्डा (फाइल फोटो)

पांच पार्टी मैदान में
14वें विधानसभा के लिए चुनाव होना है और इस बार प्रदेश में पांच बड़ी पार्टी मैदान में है, (बीजेपी, कांग्रेस, इनेलो, जेजेपी, और आप), लेकिन इनमें से 4 पार्टियां वो हैं , जिनका प्रदर्शन पिछले चुनावों में बिल्कुल रंगहीन रहा है. बीजेपी के सामने ये कहीं नहीं टिक पाए हैं. फिर भी अगर कोई पार्टी इस समय प्रदेश बीजेपी को चुनौती दे सकती है तो वो है कांग्रेस. ऐन मौके पर प्रदेश नेतृत्व में कांग्रेस हाईकमान ने बदलाव किया है लेकिन फिर भी गुटबाजी की बात लगातार दिख ही रही है. लेकिन लोकसभा चुनाव रोहतक और सोनीपत गंवाने के बाद इस बार हुड्डा खुद को साबित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे.

design photo.
डिजाइन फोटो.

इनेलो की वापसी मुश्किल!
वहीं चौटाला परिवार में हुए राजनीतिक बिखराव के बाद जननायक जनता पार्टी और इनेलो भी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके कारण अतीत के चुनावों के बाद पहली बार इनेलो इतनी कमजोर दिख रही है. लोकसभा चुनाव में तो इनेलो की कई सीटों पर जमानत तक जब्त हो गई और अब तक चुनाव से ठीक पहले पार्टी वरिष्ठ नेता अशोक अरोड़ा ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया, जिसके बाद इनेलो इस समय वापसी करती नहीं दिख रही है.

dushyant choutala.
दुष्यंत चौटाला (फाइल फोटो)

लोग भूल गए 'सीएम आया..सीएम आया'!
जेजेपी की बात करें तो ये पार्टी राज्य में अपना अस्तित्व बनाने में लगी हुई है, दुष्यंत चौटाला जो सोच कर इनेलो से अलग हुए थे, उसका प्रभाव ज्यादा समय तक नहीं रहा, 2018 में अनुशासनहीनता के आरोपों में इनेलो से बाहर निकाले जाने के बाद दुष्यंत और दिग्विजय को लेकर लोगों में दिवानगी थी और 'सीएम आया ..सीएम आया' के नारे भी लगातार लग रहे थे, लेकिन समय और पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद ये उत्साह धीरे-धीरे ठंडा पड़ा गया.

उपचुनाव का जोश लोकसभा चुनाव में ठंडा!
जींद उपचुनाव के दौरान बतौर निर्दलीय प्रत्याशी दिग्विजय के प्रदर्शन से दुष्यंत गुट में जान लगातार बनी रही, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणामों के साथ ही लोगों का आकर्षण कम होता दिखा. इसमें सबसे बड़ी वजह रही दुष्यंत चौटाला की हार.

दिल्ली वाले मॉडल से लुभाएंगे!
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी तथा उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार के चुनाव में भले ही छोटे प्लेयर्स की भूमिका में हों, लेकिन कमतर बिल्कुल भी नहीं हैं, क्योंकि जिस तरह से ये पार्टी लोकसभा चुनाव में जूझती नजर आई वो काबिलोतारीफ थी, और एक बार फिर इस चुनाव दिल्ली वाले स्कूल मॉडल और अस्पतालों के विकास मॉडल के साथ 'आप' हरियाणा की जनता को रिझाने की कोशिश कर सकती है.

arvind kejriwal.
सीएम केजरीवाल नवीन जयहिंद के साथ (फाइल फोटो).

पहली बार में ही 'मनोहर' शुरुआत..

manohar lal
मनोहर लाल (फाइल फोटो)

प्रदेश के राजनीतिक बिसात को समझने के लिए राजनीतिक दलों की इतिहास में झांकना अहम हो जाता है. सबसे पहले चुनावी महासमर की सबसे बड़ी प्लेयर पार्टी भाजपा की बात करते हैं. हरियाणा के इतिहास में 2014 के चुनाव में पहला मौका था, जब भाजपा ने 47 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत वाली अपनी खुद की सरकार बनाई और दूसरे दलों की बैसाखियों को हमेशा के लिए छोड़ दिया. करनाल से पहली बार विधायक बने मनोहर लाल पहली बार में ही सूबे के मुख्यमंत्री बन गए.

manohar lal.
मनोहर लाल (फाइल फोटो).

कैसा होगा लोगों का माइंडसेट?
पंजाब से अलग होने के बाद 2014 में 13वें विधानसभा में पहला मौका था जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और अब 14वें विधानसभा में बीजेपी ने 75 पार का नारा देते हुए बड़ा लक्ष्य बनाया है और ये लोकसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए मुमकिन भी लग रहा है, क्योंकि में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 सीटें जीतने के साथ ही 79 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की है, लेकिन उस समय बीजेपी को राष्ट्र भक्ति और पीएम के चहरे पर वोट मिला था लेकिन इस समय मतदाता उससे अलग मानसिकता के साथ भी जा सकते हैं, जैसा कि हम मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में देख चुके हैं, जहां कांग्रेस की सरकार बनने के बावजूद लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बाजी मार ली.

concept image.
कॉन्सेप्ट इमेज.

पीएम की ओपनिंग, 'फिनिशर' कौन?
अब आने वाले दिनों कभी भी प्रदेश में आचार संहिता लागू हो सकती है और चुनावो का एलान भी हो सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोहतक से बीजेपी के लिए प्रचार की शानदार ओपनिंग कर दी है. नड्डा के साथ ही अमित शाह के दौरे भी जल्द ही होने वाले हैं. पीएम ने जिस तरीके से artilce 370 और जम्मू कश्मीर की बात की है, उससे ये लग रहा है कि बीजेपी के बाकि नेता भी विकास की बातों के साथ राष्ट्र भक्ति का मुद्दा एक बार फिर भुनाएंगे.

pm with cm manohar lal.
पीएम के सीएम मनोहर लाल( फाइल फोटो).

दिवाली से पहले की 'आतिशबाजी'
जहां तक बात चुनाव की है तो वो अक्टूबर महीने के मध्य में होने की उम्मीद है और उसी के 4-5 दिनों के भीतर परिणाम भी सामने आने की उम्मीद है, जिस में सब क्लियर हो जाएगा कि क्या इस मौजूदा समय में पीएम मोदी और अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी ही सबसे बड़ी प्लेयर है या फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा जो कि लोकसभा चुनाव में अपना सब कुछ गवां चुके हैं, वो चैंपियन बीजेपी को बाउंसर लगाते अपने कद के साथ न्याय कर दिल्ली में खुद को साबित कर पाएंगे या नहीं.

diwali
कॉन्सेप्ट इमेज.
Intro:एंकर- कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने सेक्टर 7 में किया कई विकास कार्यों का शिलान्यास। प्रदेश में चुनावों की आहट शुरू होते ही जगह-जगह विधायकों, मंत्रियों द्वारा ताबड़तोड़ शिलान्यास का सिलसिला लगातार जारी है। प्रदेश में चुनावों को लेकर कभी भी आचार संहिता लग सकती है। इसी के चलते हर कोई कैबिनेट मंत्री हो या विधायक हो अपने अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों के शिलान्यास में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।

Body:इसी कड़ी में कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने फरीदाबाद विधानसभा में आने वाले सेक्टर 7 में सामुदायिक भवन के निर्माण, सड़कों का निर्माण और पार्कों में पत्थर लगाने का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि सामुदायिक भवन बनने से उन गरीब मां बाप को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा, जिन्हें अपनी बेटियों की शादी करने के लिए बैंकट हॉल में 10 से ₹12 लाख खर्च करने पड़ते हैं। 1 साल में बनकर तैयार होने वाले इस सामुदायिक भवन के बन जाने के बाद 10 से 11 हजार रुपये में ही उन्हें कार्यक्रम करने की जगह मिल जाएगी। विपुल गोयल ने सेक्टर 7 में करीब ₹5 करोड़ से होने वाले कार्यों का शिलान्यास किया।

बाइट - विपुल गोयल, कैबिनेट मंत्री।Conclusion:कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने सेक्टर 7 में किया कई विकास कार्यों का शिलान्यास। प्रदेश में चुनावों की आहट शुरू होते ही जगह-जगह विधायकों, मंत्रियों द्वारा ताबड़तोड़ शिलान्यास का सिलसिला लगातार जारी है। प्रदेश में चुनावों को लेकर कभी भी आचार संहिता लग सकती है। इसी के चलते हर कोई कैबिनेट मंत्री हो या विधायक हो अपने अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों के शिलान्यास में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।

Last Updated : Sep 15, 2019, 4:15 PM IST
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