चंडीगढ़: केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार किसानों की आय को दोगुना करने की बात को दोहराती रही है. किसानों की आय को बढ़ाने के लिए ही केंद्र सरकार कृषि कानून लेकर आई थी, लेकिन 1 साल तक चले आंदोलन की वजह से सरकार को यह कानून वापस लेने पड़े. वहीं किसानों की स्थिति जैसी पहले थी वैसे ही अब भी है. ऐसे में सरकार के सामने अब ऐसे क्या विकल्प मौजूद हैं? जिससे सरकार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर काम कर सकती है.
इस बारे में हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने ईटीवी भारत से बातचीत (JP Dalal interview) करते हुए बताया कि देश में 80 फीसदी किसान ऐसे हैं, जिनके पास 5 एकड़ से कम भूमि है. इन किसानों की प्रतिदिन की आय मात्र 27 रुपये तक है. प्रतिदिन की इतनी कम आय के साथ कोई भी किसान जीवन यापन नहीं कर सकता. इसीलिए सरकार उनकी आय को बढ़ाने के लिए कृषि कानून लेकर आई थी. जेपी दलाल ने बताया कि सरकार की कई अन्य योजनाएं भी थी. जैसे किसानों के लिए एसडीओ बनवाए, सोइल हेल्थ कार्ड बनवाए, फसल बीमा योजना शुरू की, किसान सम्मान निधि आदि कई काम किए थे. जिनका मकसद किसानों की आय को बढ़ाना था, लेकिन कृषि कानूनों के विरोध की वजह से यह नहीं हो पाया.
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार का यह दृढ़ निश्चय है कि किसानों की आय को बढ़ाया जाएगा. इसके लिए सरकार दूसरे तरह से काम करेगी. जैसे किसानों को बागवानी के लिए प्रोत्साहित करना, किसान फलों, फूलों और मशरूम की खेती करे, मछली पालन करें, किसान प्रोसेसिंग का काम करें, एफपीओ बनाकर काम करें. अगर किसान एफपीओ के माध्यम से खेती करेगा तो उसे बीज, खाद, मशीनें सस्ते दाम पर मिलेंगी और उसे ज्यादा लाभ होगा.
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हरियाणा में किसान आंदोलन का नहीं था कोई औचित्य
जेपी दलाल ने कहा कि हरियाणा किसानों की मदद करने में देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य है. हरियाणा सरकार सबसे ज्यादा फसलें खरीदती है. किसानों के खातों में सीधा पैसे जमा करवा दिए जाते हैं. किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ भी दिया जा रहा है. हरियाणा सरकार तो किसानों के लिए बेहतरीन काम कर रही है. हरियाणा में किसान आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता था. कृषि मंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन वापस ले लिया गया है, जिसका वे स्वागत करते हैं. अब हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि किसानों के जीवन स्तर को बेहतर किया जा सके.
कमेटी तय करेगी एमएसपी कानून का भविष्य
एमएसपी कानून के बारे में बात करते हुए जेपी दलाल ने कहा कि सरकार की ओर से कमेटी बनाई जाएगी. जिसमें सरकार के प्रतिनिधियों के साथ कृषि वैज्ञानिक और किसान नेता भी शामिल होंगे. कमेटी द्वारा देखा जाएगा कि सरकार के पास जितना खजाना मौजूद है. उसके तहत किस तरह से एमएसपी कानून बनाया जा सकता है. इसके बाद ही एमएसपी पर कानून पर कोई फैसला हो सकता है.
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सरकार जल्द लेगी किसानों पर दर्ज अपराधिक मामलों को वापस
इसके अलावा जेपी दलाल ने किसानों पर दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने को लेकर कहा कि सरकार तो किसानों पर दर्ज सभी मामलों को वापस लेना चाहती है, लेकिन कई किसानों पर गंभीर मामले दर्ज हैं या कई मामले ऐसे हैं, जो कोर्ट में चले गए हैं. उन मामलों में कोर्ट फैसला करेगी. सरकार की लीगल टीम और किसान नेता आपस में बातचीत कर इसका हल निकालेंगे.
किसी किसान को नहीं होगी यूरिया की कमी
खाद की कमी को लेकर कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में इस समय करीब 500 पॉइंट्स पर हर रोज खाद बांटी जा रही है. उनमें से 5-10 जगह ऐसी हो सकती हैं, जहां पर किसानों को लाइन में लगकर खाद लेनी पड़ी हो, लेकिन इस समय खाद की कमी नहीं है. किसानों को समय पर डीएपी खाद मुहैया करवा दी गई थी. जिससे किसान अब बिजाई कर चुके हैं. आने वाले दिनों में किसानों को यूरिया की जरूरत पड़ेगी. जिसके लिए सरकार तैयार है और किसी भी किसान को यूरिया की कमी नहीं आने दी जाएगी. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि जिन किसानों को खाद की जरूरत दो-तीन महीने बाद है. वह अभी से खाद न लें. जब उन्हें जरूरत पड़ेगी तब उन्हें खाद मुहैया करवा दी जाएगी.
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शीतकालीन सत्र में भी खाद की कमी का मुद्दा उठाया जा सकता है. इसका जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि मुद्दों को उठाना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन सरकार विपक्ष के हर सवाल का जवाब देगी. खाद की कमी को लेकर उन्होंने कहा कि कोरोना काल का हर क्षेत्र पर बुरा असर पड़ा था. काम-धंधे बंद हो गए थे और बहुत सी फैक्ट्रियां भी काफी दिनों तक बंद रही थी. कोरोना काल में खाद की प्रोडक्शन सुप्रीम ट्रांसपोर्ट आदि कई तरह की समस्याएं पेश आई. जिसके चलते खाद की कमी होना लाजमी था. लेकिन फिर भी सरकार ने दिन-रात काम करते हुए किसानों तक खाद को पहुंचाया.
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